कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका समय पर पता नहीं चला तो ये जानलेवा साबित होती है। कैंसर कई प्रकार का होता है, जिसमें अग्न्याशय यानी पैंक्रियाटिक कैंसर भी शामिल है। हाल ही में ‘द क्राउन’ और ‘द सिक्स्थ सेंस’ में अपनी भूमिकाओं के लिए मशहूर ओलिविया विलियम्स ने अग्नाशय के कैंसर के साथ अपने भयावह अनुभव को साझा किया है। ओलिविया विलियम्स को 2018 में वीआईपीओमा, उनके अग्न्याशय में पाया जाने वाला एक बहुत ही दुर्लभ कैंसर ट्यूमर होने का पता चला था। ओलिविया विलियम्स ने बताया कि इसको लेकर वह सालों से डॉक्टरों से शिकायत कर रही थीं, लेकिन डॉक्टरों को शुरू में लगा कि उन्हें ल्यूपस है या वह पेरिमीओपॉजल है।

चार साल में 10 डॉक्टरों को दिखाया

विलियम्स ने बताया कि चार साल तक उन्होंने 10 डॉक्टरों से मुलाकात की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके लक्षणों का कारण क्या है, जिसमें अंगों में दर्द, थकान और लगातार दस्त शामिल हैं। शुरू में उन्हें ल्यूपस और पेरिमेनोपॉज का गलत निदान किया गया था, जिसके बाद एक डॉक्टर ने आखिरकार उनके अग्न्याशय में एक दुर्लभ कैंसर ट्यूमर पाया।

उन्होंने कहा कि अगर किसी ने चार साल में मेरा सही निदान किया होता, जब मैं कह रही थी कि मैं बीमार हूं, जब उन्होंने मुझे बताया कि मैं रजोनिवृत्त हूं या मुझे चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम है या मैं पागल हूं। एक डॉक्टर ने मुझे मनोवैज्ञानिक के पास भेजा था। अगर समय रहते पता लगाया गया होता, तो एक ऑपरेशन से पूरी बात साफ हो सकती थी और मैं खुद को कैंसर-मुक्त कह सकती थी, जो मैं अब कभी नहीं कह सकती। हालांकि, विलियम्स ट्यूमर को हटाने के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजर चुकी हैं, लेकिन कैंसर का पता बहुत देर से चला, इसलिए यह उनके लिवर में फैल गया और मेटास्टेसिस लगातार उभरता रहा।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

डॉ. आदित्य पुनमिया, कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एचसीजी कैंसर सेंटर, बोरीवली के मुताबिक, पैंक्रियाटिक कैंसर खतरनाक और चुपचाप बढ़ने वाले कैंसरों में से एक है, जिसकी समय रहते पहचान कर पाना मुश्किल होता है। इसे अक्सर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण बहुत ही मामूली होते हैं जैसे थकान, अंगों में दर्द, बिना वजह वजन घटना, पेट में हलकी सी तकलीफ जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यही वजह है कि जब तक इसका सही से पता चलता है, तब तक ये कैंसर शरीर में काफी फैल चुका होता है।

लेट डायग्नोसिस का मतलब क्या जिंदगीभर की जंग?

ओलिविया की तरह अगर किसी को इस कैंसर का देर से पता चलता है, तो अक्सर ऑपरेशन या पूरी तरह से ठीक करने वाले इलाज के मौके निकल जाते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि अब कुछ नहीं किया जा सकता। आज मेडिकल साइंस काफी आगे बढ़ चुकी है। अब टार्गेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन जैसे इलाज मौजूद हैं जो बीमारी को धीमा करते हैं, लक्षणों को कंट्रोल में रखते हैं।

पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण क्या है?

  • स्मोकिंग- पैंक्रियाटिक कैंसर का सबसे बड़ा रिस्क स्मोकिंग है। लंबे समय तक तंबाकू का इस्तेमाल सीधे पैंक्रियास को नुकसान पहुंचाता है।
  • मोटापा- पेट के आसपास की चर्बी, जो सूजन और इंसुलिन रेसिस्टेंस को बढ़ाती है।
  • डायबिटीज- टाइप 2 डायबिटीज के कारण भी पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा रहता है।
  • फैमिली हिस्ट्री- अगर किसी के परिवार में ये कैंसर पहले हो चुका है, तो उसे स्क्रीनिंग पर खास ध्यान देना चाहिए।

पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव के लिए क्या करें?

पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव के लिए लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव करना और जोखिम कारकों से बचना महत्वपूर्ण है। इसके लिए धूम्रपान न करना, स्वस्थ आहार लेना, वजन कंट्रोल बनाए रखना और नियमित एक्सरसाइज से पैंक्रियाटिक कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।