अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर और मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रो डॉ नवल के. विक्रम का मानना है कि एफओपीएल व्यवस्था लागू कर गैर संक्रामक रोगों का फैलाव कम करने में काफी मदद पाई जा सकती है। इस व्यवस्था की वकालत सत्ता पक्ष व विपक्ष के कई नेताओं ने भी की। बता दें कि एफओपीएल व्यवस्था के तहत डिब्बाबंद नुकसानदेह खाद्य और पेय पदार्थों के पैकेट पर ऊपर की ओर स्पष्ट व अनिवार्य चेतावनी छापने की व्यवस्था होती है। देश में कई संगठन व विशेषज्ञ इसकी वकालत करते रहे हैं।
डॉ नवल के. विक्रम ने कहा, “यह (एफओपीएल व्यवस्था लागू करने का) कदम डायबिटीज़, हृदय रोग और विभिन्न तरह के कैंसर जैसी गैर संग्रामक बीमारियों के संकट को टालने में मदद करेगा। यह ऐसी बीमारियां हैं जो खासकर भारी मात्रा वाले नमक, चीनी और वसा वाले उच्च प्रसंस्कृत (हाईली प्रोसेस्ड) डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के सेवन से होती हैं। चेतावनी लेबल लोगों को स्वस्थ विकल्प चुनने और यहां तक कि इन अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की खपत को कम करने के लिए मदद करेंगे।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल लगभग 58 लाख भारतीय ऐसे गैर संक्रामक रोगों (NCD) की वजह से मारे जाते हैं, जिनको थामा जा सकता था। डब्लूएचओ ने भी पैकेट के ऊपर की ओर चेतावनी (एफओपीएल) का यह कहते हुए समर्थन किया है कि यह तभी प्रभावी होता है जब इसे अनिवार्य बना दिया जाए। इन्हें सभी डिब्बाबंद उत्पादों पर लागू किया जाए और यह वास्तविक खतरे को समझाने वाला हो, सरल और आसानी से दिखाई देने वाला हो और विशेषज्ञों की ओर से तैयार न्यूट्रिएंट प्रोफाइल मॉडल द्वारा निर्देशित हो।
देश में डायबिटीज़ समेत सभी गैर संचारी रोगों (NCDs) का खतरा बहुत तेजी से बढ़ रहा है जो स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर बोझ डाल रहा है। बता दें कि आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में डायबिटीज और हृदय रोग जैसे गैर संक्रामक रोगों से देश में लगभग 60 लाख मौतें हुईं। यह वर्ष की कुल मृत्यु का 62% था। नमक, चीनी और वसा (फैट) की अधिकता वाली खाने-पीने की चीजें इन बीमारियों का एक बड़ा कारण बनती हैं।
डॉ. नवल ने बताया कि चिली जैसे विकासशील देशों ने पैकेट के ऊपर की ओर चेतावनी (एफओपीएल) को अनिवार्य बनाकर चीनी युक्त पेय पदार्थों की खपत और बिक्री को काफी कम किया है। इससे उसके सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि चिली ने सबसे बेहतर माने जाने वाली उस चेतावनी व्यवस्था को अनिवार्य बनाया जिसमें पैकेट पर एक काले रंग का अष्टभुजाकार घेरा बना कर उसमें साफ लिखा जाता है कि इसमें चीनी, नमक या वसा ज्यादा है।
विभिन्न सांसदों और विशेषज्ञों का कहना है कि डिब्बाबंद नुकसानदेह खाद्य और पेय पदार्थों के पैकेट पर ऊपर की ओर स्पष्ट व अनिवार्य चेतावनी छापने की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि लोगों को स्वस्थ और सुरक्षित चीजें खरीदने का निर्णय लेने में मदद मिल सके।
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद सुशील मोदी ने सेहत के लिए नुकसानदेह खाद्य पदार्थों पर सख्त स्वास्थ्य चेतावनी की वकालत की। उन्होंने कहा कि वसा (फैट), नमक या चीनी की अधिकता (HFSS) वाली पैकेटबंद चीजों पर “सिगरेट के पैकेट की तर्ज पर चेतावनी दी जानी चाहिए। जैसे सिगरेट के पैकेट पर लिखा होता है- “धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।” इससे लोगों को स्वस्थ और सुरक्षित विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।
सुशील मोदी ने यह बात इंस्टिट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसीज एंड पॉलिटिक्स (IGPP) की ओर से “डिब्बाबंद खाने के सेहत पर प्रभाव” विषय पर आयोजित विमर्श कार्यक्रम में कही। यह आयोजन पिछले दिनों कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (CII) में किया गया था।
कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ डीपी वत्स ने कहा कि जीवनशैली और हाइली प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड ने देश के स्वास्थ्य ही नहीं अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। डॉ. वत्स आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज के निदेशक रहे हैं।
सांसदों की ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत डिब्बाबंद खाद्य और पेय पदार्थों पर सामने की ओर चेतावनी व्यवस्था ‘एफओपीएल’ अपनाने पर विचार कर रहा है। अभी नियमों के अभाव में वसा, नमक और चीनी की अधिकता वाले डिब्बांद पदार्थ जम कर बेचे जा रहे हैं जिससे एनसीडी के मामले खूब बढ़ रहे हैं।
इसी तरह वरिष्ठ राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने विशेषकर ग्रामीण भारत में एफओपीएल के लिए एक गहन जागरूकता अभियान शुरू करने का आह्वान किया। गांवों में भी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं जो खतरे की घंटी है।
आईजीपीपी के सीनियर फेलो डॉ मनीष तिवारी ने कहा कि भारत में लगभग 1.5 करोड़ बच्चे बचपन के मोटापे से पीड़ित हैं। यदि एफओपीएल को अनिवार्य बनाने जैसे उचित कदम नहीं उठाए गए तो भारत जल्द ही बचपन के मोटापे के मामले में दुनिया की राजधानी बन जाएगा।
विशेषज्ञ कहते हैं कि जहां कई देश ऐसी व्यवस्था तेजी से लागू कर रहे हैं, भारत का शीर्ष खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) 2013 से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श ही कर रहा है। चर्चा में राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला, महेश पोद्दार, राम कुमार वर्मा, दीपक प्रकाश और लोकसभा सदस्य संजय सेठ भी शामिल थे।