Birthday Special: Interesting stories related to Pandit Nehru: पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में हुआ था। एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में जन्मे नेहरू अपनी प्रशासनिक क्षमताओं और विद्वता के लिए प्रसिद्ध थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को पूरे देश में बाल दिवस (Children’s Day 2022 Essay, Bhashan) के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और सभी उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। आइए नेहरू से जुड़े कुछ रोचक किस्से पढ़ते हैं-

फटे मोजों को भी सिलवाकर पहनते थे

जवाहर लाल नेहरू के सुरक्षा अधिकारी रहे केएम रुस्तमजी अपनी किताब ‘आई वाज नेहरूज शैडो’ में लिखते हैं कि जब मैं उनके सुरक्षा स्टाफ में शामिल हुआ तो उनकी उम्र 63 वर्ष थे, लेकिन वह उससे कम 33 साल के लगते थे। उनमें गजब की फुर्ती थी, लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते थे। एक बार में 2-2 सीढ़ियां चढ़ते थे। उन्होंने के किस्सा (Essay on Children’s Day Speech 2022) बताते हुए लिखा है कि एक बार डिब्रूगढ़ यात्रा के दौरान उनके सिगरेट केस को लेने के लिए कमरे में गया तो मैंने देखा कि हरी (प्रधानमंत्री का सहायक) उनके फैट हुए मोजों की सिलाई कर रहा था, दरअसल उन्हें चीजों को बर्बाद करना बिल्कुल पसंद नहीं था।

टैक्सी वाले से नेहरू की मुलाकात

बीबीसी से साक्षात्कार के दौरान डॉक्टर जनकराज जय ने नेहरू (Essay on Children’s Day Speech 2022) से जुड़ा एक वाकया सुनाते हुए बताया, “एक बार जवाहरलाल जब ऑफिस जा रहे थे तो साउथ एवेन्यू के पास उनकी कार पंचर हो गई। एक सरदार टैक्सी ड्राइवर ने दूर से देखा। वह अपनी टैक्सी लेकर पहुंचा और कहा, आप मेरी टैक्सी में बैठोगे तो यह मेरा सौभाग्य होगा। मैं आपको ऑफिस ले चलता हूं। यह सुनकर नेहरू बिना किसी की बात सुने उसकी टैक्सी में बैठ गए। ऑफिस पहुंचकर वह जेब टटोलने लगे तो जेब में पैसे नहीं थे। टैक्सी वाले ने कहा कि आप क्यों मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं, क्या मैं आपसे पैसे लूंगा? अब मैं 5 दिन तक किसी को भी इस गद्दी पर बिठाउंगा भी नहीं!’

जब भरा बहन विजय लक्ष्मी पंडित का बिल

नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित को खर्चीले व्यवहार का माना जाता था। एक बार वह शिमला के सर्किट हाउस में रुकी थीं। वहां रहने का बिल 2500 रुपए आया था। वह बिना बिल चुकाए चली गईं। तब हिमाचल प्रदेश का गठन नहीं हुआ था और शिमला पंजाब का हिस्सा था और भीमसेन सच्चर पंजाब के मुख्यमंत्री थे।

उन्हें राज्यपाल चंदूलाल त्रिवेदी का पत्र मिला कि 2500 रुपये की राशि को राज्य सरकार के विभिन्न खर्चों के तहत दिखाया जाए। सच्चर के गले में ये बात नहीं उतरी। हालांकि उन्होंने यह बात विजय लक्ष्मी पंडित से तो नहीं की, लेकिन झिझकते हुए नेहरू को पत्र लिख कर पूछा कि बताइए कि इस पैसे का हिसाब किस मद में रखा जाए। नेहरू ने तुरंत उत्तर दिया कि वह बिल का भुगतान स्वयं करेंगे। नेहरू ने पत्र में यह भी लिखा कि इस बिल का भुगतान एक बार में नहीं कर सकते हैं इसलिए वह पंजाब सरकार को 5 किश्तों में चुकता करेंगे। इसके बाद उन्होंने अपने निजी बैंक खाते से 5 महीने के लिए पंजाब सरकार के पक्ष में 500 रुपये के 5 चेक काटकर दिए।