आज भी चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई मिथक जुड़े हैं। लोगों के मन में आज भी यह एक डर है कि चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान हो सकता है या नहीं। माना जाता है कि सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर आंखों को नुकसान पहुंचता है। मगर चंद्र ग्रहण के साथ ऐसा नहीं है। इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्ण चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना सुरक्षित होता है। ऐसा करने से आंखों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है। असल का एक आंशिक चरण होता है, जिसमें चंद्रमा का कुछ भाग धरती की परछाईं से गुजरता है, जबकि दूसरे चरण में चंद्रमा पूरी तरह धरती की परछाईं से गुजरता है।
सूर्य ग्रहण आंखों को कैसे प्रभावित करता है: सूर्य ग्रहण के दौरान उससे निकलने वाला रेडिएशन आंखों के नाजुक टिशू को डैमेज करता है, जिस वजह से आखों में विजन इशू यानि देखने में दिक्कत हो सकती है। इसे रेटिनल सनबर्न भी कहते हैं। इस वजह से आंखों की रोशनी कुछ वक्त या फिर हमेशा के लिए भी जा सकती है।
इसलिए इसे कभी भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। लेकिन चंद्र ग्रहण के साथ ऐसा कुछ भी नहीं होता है। आप इसे नग्न आंखों से देख सकते हैं। इसके अलावा चश्मा और टेलिस्कोप से भी चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है।
कैसे देख सकते हैं ये ग्रहण?
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के खास चश्मे की जरूरत नहीं है। आप नंगी आंखों से भी ये चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पूरी तरह सुरक्षित है।
Highlights
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और केतु दोनों पापी ग्रह हैं जो सूर्य और चंद्रमा को शापित करते हैं। ग्रहण का कारण राहु और केतु को माना जाता है। राहु-केतु की छाया किसी के लिए भी नुकसान दायक होती है। राहु-केतु उसी राक्षस के सिर और धड़ हैं जिसने देवताओं की पंक्ति में जाकर अमृत पी लिया था।
माना जाता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारण किरणें भोजन में भी अवशोषित हो जाती हैं। यही कारण है कि ग्रहण से पहले ही लोग भोजन पका लेते हैं। ग्रहण के दौरान भोजन नहीं बनाना चाहिए और खाने से भी बचना चाहिए। घरों में लोग पीने के पानी को शुद्ध रखने के लिए तुलसी, दुर्वा आदि डालते हैं।
जिन राशियों पर ग्रहण का अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है उन्हें गोदान हवन, वस्त्र दान इत्यादि करना चाहिए। गरीबों और बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए। जहां-जहां ग्रहण दिखाई देता है, वहीं इसकी मान्यता होती है तथा जहां दिखाई नहीं देता है, वहां उसकी मान्यता नहीं माननी चाहिए।
आज पूर्णिमा के दिन लगने वाला ग्रहण आंशिक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, इसलिए ज्योतिषियों की मानें तो इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा
उपच्छाया चंद्रग्रहण का लाइव नजारा यहां देख सकते हैं www.virtualtelescope.eu . भारतीय समयानुसार अब उपच्छाया चंद्रग्रहण शुरू हो चुका है। जो रात 02:34AM तक चलेगा। इसका मध्याह्न या ग्रहणकाल के बीच का समय करीब साढ़े बारह बजे के करीब होगा।
चन्द्र ग्रहण आपके शहर में दर्शनीय नहीं हो परन्तु दूसरे देशों या शहरों में दिखाई दे तो कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। लेकिन यदि मौसम की वजह से चन्द्र ग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चन्द्र ग्रहण के सूतक का अनुसरण किया जाता है और ग्रहण से सम्बन्धित सभी सावधानियों का पालन किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण लगने से ठीक पहले सूतक लग जाता है। इस उपच्छाया ग्रहण के लिए दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर सूतक लग जाना था लेकिन उपच्छाया ग्रहण होने की वजह से इसमें सूतक नहीं लगेगा।
ग्रहण लगने से पहले आप भोजनमें हल्दी डाल सकते हैं। इस दौरान पानी पीने का भी काफी महत्व है। जानकारों की मुताबिक ग्रहण के दो घंटे पहले पानी पीना सेहत के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही आपअन्य काढ़ा भी पी सकते हैं। तुलसी पत्ते से बनी चाय भी ले सकते हैं।
इस वर्ष कुल कुल छह ग्रहण लगेंगे। तीन ग्रहण पांच जून से पांच जुलाई के बीच ही लग रहे हैं। इनमें एक सूर्य और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। एक चंद्र ग्रहण जनवरी 2020 में लग चुका है। 2020 में कुल दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण लगने जा रहे हैं। साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगेगा। 14 दिसंबर को दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा। पांच जून और पांच जुलाई को चंद्र ग्रहण लगेंगे। 30 नवंबर 2020 को चंद्र ग्रहण लगेगा।
आयुर्वेद भी ग्रहण के दौरान एक दरभा घास के उपयोग की सलाह देता है। यह काफी हद तक प्राचीन वर्षों से चली आ रही प्रथाओं पर आधारित है. वैज्ञानिक रूप से, इन सावधानियों का कोई पता नहीं चला है।
मीन राशि के जातकों के खर्चे पहले से कहीं अधिक बढ़ रहे हैं, जो उनकी चिंता का कारण बन सकती है। आंखों, सिर या रक्त से जुड़ी समस्या आपके खर्चों का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य सेवाओं में या बीमा पॉलिसी में आपके ख़र्चे बढ़ेंगे।
आयुर्वेद के अनुसार जो भोजन आप ग्रहण से पहले करें उसमें आप हल्दी भी डाल सकते हैं। यह भी सलाह दी जाती है कि ग्रहण से दो घंटे पहले खूब पानी पीना चाहिए। तुलसी की चाय भी पी सकते हैं।
वास्तव में कोई सावधानी नहीं है, लेकिन आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है. ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं।
ग्रहण के दौरान क्या करना है और क्या नहीं इससे जुड़े बहुत से भ्रम मौजूद हैं। कुछ लोग इस दौरान उपवास में विश्वास करते हैं, जबकि कुछ लोग ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के घरेलू काम से बचने की सलाह देते हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार 21 जून को अमावस्या के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण अधिक प्रभावी होगा। जो भारत में भी दिखाई देगा। मिथुन राशि में ग्रहण लगने के कारण इसी राशि के जातकों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। ये साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण होगा।
कुल, आंशिक और पेनुमब्रल तीन प्रकार के चंद्र ग्रहण होते हैं। 5 जून 2020 को पेनुमब्रल चंद्रग्रहण होगा। पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse,) में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा पूरी तरह से संरेखित होते हैं। पृथ्वी चंद्रमा की सतह तक पहुंचने से सूर्य की कुछ रोशनी को अवरुद्ध करती है और चंद्रमा के एक हिस्से को अपनी बाहरी छाया के साथ कवर करती है, जिसे पेनुमब्रल के रूप में भी जाना जाता है।
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए। चंद्र ग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए।
ग्रहण काल का सूतक लगते ही खाना-पीना नहीं चाहिए। इस समय कोई भी शुभ कार्य, यहां तक की भगवान की सामान्य पूजा-आरती भी नहीं की जाती। मंदिर के कपाट इस दौरान बंद कर दिए जाते हैं। सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। साथ ही गर्भवती स्त्रियों को धार वाली किसी भी वस्तु का प्रयोग इस दौरान नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के समय भगवान (चंद्रमा या सूर्य) को राहु ग्रसित करता है, जिससे भगवान अत्यंत कष्ट में रहते हैं। ऐसे समय में जब कोई भक्त पूजा-पाठ करता है, तो भगवान को इससे बल मिलता है और उनका कष्ट कम होता है। विद्वानों का कहना है कि ग्रहण के दौरान जितनी आराधना की जाए, उससे कई गुणा ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। ग्रहण के समय जब आप पूजा-पाठ करते हैं, जो भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। वहीं, ग्रहण के बाद दान-दक्षिणा से दोष और पाप का नाश होता है।
ग्रहण के समय तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने सालों तक नरक में वास करता है। ऐसी मान्यता है कि चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे)। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं।
पृथ्वी का बड़ा हिस्सा जून के चंद्रग्रहण को देख पाने में सक्षम होगा। क्योंकि ये ग्रहण भारत के अलावा यूरोप के अधिकांश भाग, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना को लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।
सूतक काल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है। - जब भी सूतक लगता है तो उस दौरान भगवान की मूर्तियों न तो छुआ जाता और न ही पूजा होती है। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।- सूतक के समय भगवान का ध्यान और मंत्रों का जप करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।- सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में स्थित रहें। तो वहीं उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है। इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है।
चंद्र ग्रहण के दिन 5 ग्रह वक्री रहेंगे. इतने बड़ी संख्या में ग्रहों का वक्री होना शुभ नहीं माना जाता है। यह बड़ी घटनाओं का कारक माना जाता है। इस दिन बृहस्पति, शुक्र और शनि व्रकी रहेंगे जबकि राहु-केतु सदैव ही वक्री रहते हैं।
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है। इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना। यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता। उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है। यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी है।
पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse,) में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा पूरी तरह से संरेखित होते हैं। गौरतलब है कि इसके बाद साल का तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई 2020 को लगेगा। जुलाई के बाद इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।
सूर्य ग्रहण से विपरीत, चंद्र ग्रहण की घटना को नग्न आंखों से देखा जा सकता है. इससे आंखों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2020 में रात्रि के समय चंद्र ग्रहण को आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि रात के समय कोई भी हानिकारक किरणें वातावरण में नहीं होंगी।
साल का पहले पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 को लग चुका है। दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को यानी आज रात में लगने जा रहा है। यह एक उपछाया ग्रहण होगा जो भारत समेत एशिया, अफ्रीका और यूरोप में नजर आएगा।
ग्रहण काल के दौरान भगवान शिव की चालीसा का पाठ करें और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों का जाप करें। आप जितना ज्यादा भगवान शिव की पूजा करेंगे आपको उतना ही लाभ होगा। इसके अलावा अपनी माता के चरण स्पर्श करें।
साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने जा रहा है। वहीं 5 जून को 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है। इसके कई ज्योतिष समीकरण भी बन रहे हैं। इस ग्रहण के आस-पास तीन ग्रहण लग रहे हैं। जिनमें दो चंद्र ग्रहण हैं। ज्योतिष की मानें तो 1 साल में तीन से ज्यादा ग्रहण का लगना किसी भी तरह से सही नहीं माना जाता है। जबकि इस साल कुल 6 ग्रहण लग रहे हैं।
ग्रहण के समय इन बड़े ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन-धन की हानि कर सकता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भयंकर वर्षा एवं बाढ़ से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में महामारी और भोजन का संकट इन देशों में कई स्थानों पर हो सकता है।
इस महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों ही लगने वाले हैं। पांच जून को चंद्र ग्रहण लगेगा और इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा योग 1962 में बना था। जब शनि मकर राशि में वक्री था। इस बार भी वही योग बन रहा है। ज्योतिषियों ने बताया कि इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार एक ही माह में तीन ग्रहण होने वाले हैं। इसमें पांच जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और पांच जुलाई को फिर से चंद्र ग्रहण होगा।
घरों में ग्रहणकाल में धूप-अगरबत्ती जलाकर रखें, जिससे कि निगेटिव एनर्जी घर से बाहर निकल जाए। इसके साथ ही तुलसी के पौधे को सूतक काल के दौरान ना छूए। और ना ही ग्रहण के दौरान सोना चाहिए। इस दौरान कैंची का प्रयोग न करें। और फूलों को न तोड़े। बालों व कपड़ों को साफ न करें। ग्रहण के दौरान दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस, बकरी का दोहन न करें।
ये चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में दिखाई देगा। भारत में भी यह ग्रहण तय समय पर दिखाई देगा लेकिन उपछाया ग्रहण होने की वजह से यहां किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं रोके जाएंगे। यह चंद्र ग्रहण रात तकरीबन सवा 11 बजे से ढाई बजे तक रहेगा यानी इसकी कुल अवधि करीब तीन घंटे रहेगी। ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होंगे।
दरअसल, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में होते हैं तो चंद्रग्रहण लगता है। ऐसे में पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती। ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है। उपछाया शंकु से बाहर निकल जाती है, और भूभा (Umbra) में प्रवेश नहीं करती। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब धुंधला पड़ता है, ये काला नहीं होता।
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए। चंद्र ग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण की शुरुआत 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 2.32 AM (6 जून) के करीब होगी। जबकि रात 12 बजकर 54 मिनट पर ये ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
इस चंद्र ग्रहण को पॉपुलर यूट्यूब चैनल्स पर देखा जा सकेगा। इनमें लाइवस्ट्रीम करने वाले फेमस होस्ट Slooh और Virtual Telescope भी शामिल हैं। Virtual Telescope Project 2.0 को ग्रहण के लाइव वेबकास्ट के लिए जाना जाता है जिसे एस्ट्रोनॉमर Gianluca Masi चलाते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के खास चश्मे की जरूरत नहीं है। आप नंगी आंखों से भी ये चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पूरी तरह सुरक्षित है। चंद्र ग्रहण देखने के लिए आपको अपनी आंखों की सुरक्षा की चिंता नहीं करनी चाहिए। चूंकि चंद्रमा की रोशनी आंखों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं डालती है इसलिए आप बिना चश्मे के चंद्रग्रहण देख सकते हैं।