उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी बॉडी में कई तरह के बदलाव आते हैं। 30-40 साल की उम्र में हमारी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और बॉडी में कमजोरी आने लगती है। खराब डाइट,बिगड़ता लाइफस्टाइल और तनाव की वजह से हमारी मांसपेशियां समय से पहले कमजोर हो रही है। मांसपेशियां इस हद तक कमजोर हो रही है कि हम किसी बोतल का ढक्कन तक आसानी से नहीं खोल पाते हैं। मांसपेशियों में होने वाली इस कमजोरी को मेडिकल भाषा में सारकोपीनिया (Sacropenia) कहा जाता है। हम हर 10 सालों में 3- 8 फीसदी तक मसल मास (Muscle Mass) लॉस करते हैं जिसकी वजह से उम्र बढ़ने पर शरीर ढीला,कमजोर और मांसपेशियों में कमजोरी होने लगती है।
मांसपेशियों में होने वाली इस परेशानी से बचाव करना जरूरी है। उम्र बढ़ने पर मसल लॉस की प्रक्रिया को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। सारकोपीनिया के लक्षणों की बात करें तो इस परेशानी में हाथ की पकड़ का कम होना शामिल है। कई महाद्वीपों में स्वस्थ बुजुर्गों पर हुए एक अध्ययन के अनुसार, 17.5% भारतीयों को एडवांस्ड मसल लॉस था, जिसे सार्कोपेनिया भी कहा जाता है। यह आंकड़ा एशिया के दूसरे देशों और यूरोप की तुलना में काफी बड़ा है। एबॅट के न्यूट्रीशन बिजनेस में मेडिकल एण्ड साइंटिफिक अफेयर्स के हेड डॉ. इरफान शेख ने जनसत्ता डॉट कॉम को बताया कि बढ़ती उम्र के साथ सार्कोपेनिया का प्रभाव कम करने के लिए मांसपेशियों की सेहत के बारे में जानना जरूरी है।
सार्कोपेनिया सेहत को कैसे प्रभावित करता है:
सार्कोपेनिया को एडवांस्ड मसल लॉस भी कहा जाता है और इसमें व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ बड़ी मात्रा में मांसपेशियों का द्रव्य खतम होता जाता है और मांसपेशियों की ताकत भी जाती रहती है। हर साल 40 साल की उम्र के लोग 8 फीसदी तक मसल मास को लॉस कर सकते हैं। 70 वर्ष की आयु के बाद यह दर संभावित रूप से दोगुनी हो जाती है। भारत के हर तीसरे पुरूष और पांचवी महिला में सार्कोपेनिया पाया गया है।
एक अनुमान के अनुसार दुनिया में 50 मिलियन लोगों को यह बीमारी है और अगले 40 वर्षों में यह संख्या 200 मिलियन से ज्यादा होने की संभावना है। मसल लॉस से ऊर्जा और गतिशीलता कम हो सकती है,गिरने और हड्डी टूटने का जोखिम बढ़ सकता है। मांसपेशियों और ताकत को बनाए रखने के लिए डाइट में और लाइफस्टाइल में बदलाव करना जरूरी है। आइए कुछ उपायों के बारे में बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप इस परेशानी से बचाव कर सकते हैं।
नाश्ता स्किप नहीं करें:
सुबह का नाश्ता हमारा पहला मील होता है जो पोषण का पावरहाउस होता है। सुबह के नाश्ते में आप पोषक तत्वों से भरपूर कुछ फूड्स जैसे अंडे, साबुत अनाज, फल और डेयरी उत्पाद को शामिल करें। ये फूड्स बॉडी को पूरा दिन एनर्जी देंगे और आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाएंगे।
बॉडी को एक्टिव रखें:
मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए बॉडी को एक्टिव रखना जरूरी है। आप डेली रूटीन में वॉक को शामिल करें,साइकल चलाएं और स्वीमिंग करें। जॉगिंग, बैडमिंटन या क्रिकेट खेलें। रोजाना एक घंटा बॉडी को एक्टिव रखने के लिए इन गतिविधियों को अपनाने से मांसपेशियों स्ट्रॉन्ग बनती है।
प्रोटीन डाइट का करें सेवन:
मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए शरीर के वजन के हर किलो पर लगभग 1 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना जरूरी है। रोजाना पर्याप्त मात्रा में उच्च-गुणवत्ता का प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाएगा।
संतुलित आहार का सेवन करें:
उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियो को मजबूत बनाने के लिये नियमित और संतुलित आहार जरूरी है। बैलेंस डाइट बॉडी की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करेगी। अपनी डाइट में बीटा-हाइड्रोक्सी-बीटा-मिथाइलब्यूरेट सप्लीमेंट को शामिल करें। ये मांसपेशियों की ताकत और कार्यात्मकता को बनाये रखने में सहायक हो सकता है।