भारत के लोगों के लिए आयुर्वेद एक अहम इलाज होता है। कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जो दवाइयों का सेवन करना उचित नहीं समझते हैं और उन्हें आयुर्वेदिक इलाज कराना एक बेहतर विकल्प लगता है। चाहे सर्दी-जुकाम हो या फिर डेंगू जैसी बड़ी बीमारी, लोगों का मानना है कि आयुर्वेदिक इलाज अधिक प्रभावी होता है। आयुर्वेद बीमारियों को ठीक करने के साथ-साथ शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। लेकिन यदि आप एलोपैथी डॉक्टर की सलाह लेते हैं तो वह आपको आयुर्वेदिक इलाज की सलाह नहीं देते हैं। ऐसा वो इसलिए भी नहीं करते हैं क्योंकि हर डॉक्टर अपनी तरह से इलाज करने की कोशिश करता है। यहां तक कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल सिस्टम ने भी एक शोध में यही बताया कि कोई भी आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथ इलाज लेने की सलाह नहीं देता है और वो इसे एक पनिशेबल ऑफेंस भी कहते हैं।
कुछ ऐसे डिसऑर्डर होते हैं जैसे- लीवर, अर्थराइटिस, सर्दी-जुकाम, किडनी स्टोन और पाइल्स जिसका इलाज सिर्फ आयुर्वेद में होता है और इसका प्रभाव भी जल्दी कम होता है। ये इलाज इस बीमारियों के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। मेदांता अब आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेदि इलाज एक साथ करने की सलाह देता है।
मेदांता के चेयरमैन ने भी ऐसा कहा है कि भले ही मॉडर्न मेडिसिन कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को बेहतर करने में मदद करता है, लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव होते हैं और बहुत महंगें भी होते हैं। दूसरी तरफ आयुर्वेद एक बेहतर इलाज होता है और यह आपके इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
मेदांता के चेयरमैन ने ऐसा भी कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथ दोनों एक बेहतर तरीका होता है कई बीमारियों के इलाज के लिए। जरूरत पड़ने पर यह कॉम्बिनेशन एक बेहतर विकल्प होता है। यह बीमारियों से तुरंत राहत दिलाता है।