बी.आर. अंबेडकर कई प्रतिभाओं के व्यक्ति थे। वे एक राजनीतिज्ञ, न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक थे। इसके अलावा, अंबेडकर दलित बौद्ध आंदोलन के पीछे की ताकत थे। इसके अलावा, यह व्यक्ति उस समय भारतीय समाज में व्याप्त विभिन्न अन्याय से लड़ने के लिए भावुक थें। अन्याय के खिलाफ इस लड़ाई के तहत, अम्बेडकर ने अछूतों के समर्थन में एक अभियान का नेतृत्व किया। वह स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे। इन सबसे ऊपर, अंबेडकर ने भारत के संविधान को बनाने में एक केंद्रीय भूमिका भी निभाई थी। भीमराव अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल को है।

Happy Ambedkar Jayanti 2020 Wishes Images, Quotes: अंबेडकर जयंती पर शेयर करें उनके ये बेहतरीन कोट्स और मैसेजेज

स्पीच 1: बी.आर. अम्बेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है। वह एक अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक थें, जिन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, जिन्हें अछूत माना जाता था (उन्हें अभी भी देश के कुछ हिस्सों में अछूत माना जाता है)। भारत के संविधान के एक प्रमुख वास्तुकार, अम्बेडकर ने महिलाओं के अधिकारों और मजदूरों के अधिकारों की भी वकालत की।

Happy Bhimrao Ambedkar Jayanti 2020 Wishes Images, Quotes, Status, Messages:

स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री के रूप में मान्यता प्राप्त, भारतीय गणराज्य की संपूर्ण अवधारणा के निर्माण में अम्बेडकर जी का योगदान बहुत बड़ा है। देश में उनके योगदान और सेवा का सम्मान करने के लिए, उनका जन्मदिन हर साल 14 अप्रैल को मनाया जाता है।

स्पीच 2: अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भारत के राज्य को पुरातन मान्यताओं और विचारों से मुक्त करने के लिए अर्थशास्त्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल किया। उन्होंने अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाने की अवधारणा का विरोध किया और सभी के लिए समान अधिकारों की वकालत की।

Live Blog

14:26 (IST)14 Apr 2020
भीमराव आंबेडकर के जीवन से जुड़ी बातें

14 अप्रैल को भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष उनकी 129वीं जयंती मनाई जा रही है। डॉ. भीमराव आंबेडकर का बचपन संघर्ष में बीता। बहुत सी कठनाईयों के बावजूद उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। आज जानते हैं भीमराव आंबेडकर के धर्म, समाज और शिक्षा को लेकर क्या थे विचार।

13:49 (IST)14 Apr 2020
भीमराव आंबेडकर जयंती के मौके पर तैयार करें स्पीच

समाजों को बांटने पर केंद्रित नफरत से संबंधी बयान व हिंसक संघर्ष के दौर में करुणा, अहिंसा  , न्याय, भाईचारा, समानता, धर्मनिरपेक्षता व वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आंबेडकर शिक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती है। भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर ने श्रमिकों दलितों किसानों वह महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। 

13:11 (IST)14 Apr 2020
दुनिया को एक नया नजरिया देने वाले अम्बेडकर की खास बातें

इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो। बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। 

11:51 (IST)14 Apr 2020
भीमराव अंबेडकर से जुड़ी बातें

भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 सालों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक आदि क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिन्हें आज भी हिंदुस्तान याद रखता है. अंबेडकर जयंती के अवसर पर जानते हैं  कि उन्होंने राष्ट्र निर्माण में क्या क्या कार्य किए।

11:11 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जी की 129वीं जयंती के मौके पर जाने कुछ बातें

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू, मध्यप्रदेश के एक गांव में हुआ था। बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले आंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की थी। इतना ही नहीं बाबा साहेब को स्कूल में काफी भेदभाव झेलना पड़ा था। दलित समाज के उत्थान और उन्हें जागरुक करने में डॉ. भीमराव आंबेडकर का योगदान अतुल्य है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है, जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। इस साल बाबा साहेब की 129 वीं जयंती मनाई जा रही है।

10:42 (IST)14 Apr 2020
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय

बाबा साहेब महार जाति से आते थे जो कि उस समय अछूत माना जाता था. अंबेडकर को बचपन में ही समाज के विभेदकारी बर्ताव का सामना करना पड़ा था. उन्हें स्कूल में अलग बैठाया जाता था, ऊंची जाति के बच्चे उनसे ठीक से बात नहीं करते थे. अंबेडकर को ये बात काफी चुभती थी और उन्होंने उस अल्प आयु में ही समाज से इस विभेद को खत्म करने का प्रण ले लिया था।

10:05 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जी की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी बातें

14 अप्रैल को डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर का 129 वां जन्मदिन है। प्रत्येक वर्ष इस महापुरुष के जन्मदिन को पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार हम अपने घरों में रह कर बाबा साहेब को स्मरण करेंगे। आज वैश्विक आपदा की घड़ी है। कोरोना वायरस रूपी महामारी पूरे मानव समाज को निगलने के लिए तत्पर है, इस भयानक परिस्थिति में भी हमारे देश में तथाकथित कुछ लोगों का स्वर राष्ट्रीय एकता और अखंडता को खंडित कर रहा है। तब ऐसे में डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता के संदर्भ में दिए विचार को सबको स्मरण कराना अतिआवश्यक है।

09:39 (IST)14 Apr 2020
डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जीवन में किए कई बेहतर काम, जानिए

डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत में दलितों और पिछड़े वर्ग के मसीहा के रूप में देखा जाता है। वह 1947 में स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए संविधान सभा द्वारा गठित ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान को तैयार करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भीमराव अम्बेडकर भारत के प्रथम कानून मंत्री भी थे। देश के प्रति अतुलनीय सेवाओं के लिए वर्ष 1990 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

09:04 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जी के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें

1913 में एमए करने के लिए वे अमेरिका चले गए। तब उनकी उम्र महज 22 साल थी। अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक स्कॉलरशिप मिलने के कारण संभव हो सका था। इसके बाद 1921 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से एमए की डिग्री ली। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद उन्होंने कांग्रेस का भारत के कानून मंत्री बनने का प्रस्ताव मान लिया । 29 अगस्त 1947 को वे संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के चैयरमेन नियुक्त किए गए। 16 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपनाया।  6 दिसंबर 1956 को अंबेडर का निधन हो गया।

08:59 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जयंती के लिए स्पीच

उस समय देश में बालविवाब कराए जाते थे। 1907 में उन्होंने मैट्रिक पास की और फिर 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया। इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे। 1912 में उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स व पॉलिटिकल साइंस से डिग्री ली।

08:59 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जयंती के लिए स्पीच

उस समय देश में बालविवाब कराए जाते थे। 1907 में उन्होंने मैट्रिक पास की और फिर 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया। इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे। 1912 में उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स व पॉलिटिकल साइंस से डिग्री ली।

08:56 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जयंती के लिए ट्रेंडिंग स्पीच

1956 में उन्होंने समाजिक और राजनीतिक आंदोलन दलित बौद्ध आंदोलन चलाया। इसमें भारत के लाखों दलित लोगों ने हिस्सा लिया। उन्हें 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत बीआर अंबेडकर को भारत रत्न दिया। बाबासाहेब का जीवन सचमुच संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। हर साल 11 करोड़ लोग भीम जयंती के महोत्सव में भाग लेते हैं। इस साल कोविड 19 लॉकडाउन के चलते लोग घर में रहेंगे। 1906 में अंबेडकर की शादी 9 साल की लड़की रमाबाई से हुई। उस समय अंबेडकर की उम्र महज 15 साल थी।

07:40 (IST)14 Apr 2020
अंबेडकर जयंती पर यहां से तैयार करें स्पीच

भारतीय संविधान के निर्माता बीआर अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। बीआर अंबेडकर ने न सिर्फ संविधान का निर्माण किया बल्कि देश की सबसे बड़ी बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बनाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने भारत में दलित बौद्ध आंदोलन चलाया। बचपन से ही बीआर अंबेडकर दलितों की स्थिति को लेकर चिंतित थे। एक दलित बच्चा होने के कारण उन्होंने देखा था कि किस तरह दलित बच्चों और दूसरे बच्चों में भेदभाव किया जाता था।

06:19 (IST)14 Apr 2020
बराबरी के ज्ञान से पूरी होती है शिक्षा

शिक्षा तभी पूरी होती है जब उससे बराबरी का ज्ञान होता है। जहां ऊंच-नीच का भाव आए वह अज्ञानता है। 

06:18 (IST)14 Apr 2020
देने और बांटने में भेदभाव से मानव में आया अहंकार

ईश्वर ने सबको समान बनाया और सबको एक बराबर समय दिया। हमने उसको बांट दिया। देने और बांटने में भेदभाव ने मानव में अहंकार पैदा कर दिया। जब हम सब को बराबर समझेंगे तो वहां सच्चा धर्म होगा। वही ईश्वर की प्राप्ति होगी।

06:15 (IST)14 Apr 2020
धर्म और कर्तव्य का संबंध

कर्तव्य और धर्म साथ-साथ होते हैं। जो धर्म हमें सेवा भाव और समानता का बोध कराए वही धर्म है। 

22:44 (IST)13 Apr 2020
अंबेडकर के स्वतंत्र विचार

अंबेडकर के विचारः मैं उसी धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए। जब तक आप सामाजिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं, कानून जो भी आपको स्वतंत्रता देता है वह आपके लिए बेमानी है।

20:22 (IST)13 Apr 2020
मनुष्य और उसके विचार दोनों नश्वर होते हैं- अंबेडकर

अंबेडकर ने मनुष्य नश्वर बताते हुए उसके विचारों को भी नश्वर बताया। वे कहते थे एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।

19:10 (IST)13 Apr 2020
दूरदर्शी थे बाबा साहेब अंबेडकर

आंबेडकर को पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती जैसी नौ भाषाओं का ज्ञान थ।  इसे उनकी दूरदर्शिता ही कही जाएगी कि उन्होंने देश के लिए एक ऐसा संविधान तैयार किया जो सभी जाति और धर्म के लोगों की रक्षा करता है व उन्हें समानता का अधिकार प्रदान करता है।

18:43 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti Quotes 2020

भाग्य पर आश्रित रहने के बजाय अपनी मेहनत और कर्म पर विश्वास रखना चाहिए- बाबा साहेब अंबेडकर

16:42 (IST)13 Apr 2020
अंबेडकर जयंती के मौके पर यहां से तैयार करें सिंपल स्पीच

डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में उन्‍होंने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया। अंबेडकर ने 1956 में अपनी आख‍िरी किताब बौद्ध धर्म पर लिखी जिसका नाम था 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्‍म'। यह किताब उनकी मृत्‍यु के बाद 1957 में प्रकाश‍ित हुई।

16:14 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020: स्पीच तैयार करने के लिए यहां से लें मदद

बाबासाहेब अंबेडकर ने 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वो हार गए. मार्च 1952 में उन्हें राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और फिर अपनी मृत्यु तक वो इस सदन के सदस्य रहे।

15:45 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Essay: भीमराव अंबेडकर जयंती के लिए स्पीच

डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर प्रकांड विद्वान थे. तभी तो अपने विवादास्‍पद विचारों और कांग्रेस व महात्‍मा गांधी की आलोचना के बावजूद उन्‍हें स्‍वतंत्र भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया। इतना ही नहीं 29 अगस्‍त 1947 को अंबेडकर को भारत के संविधान मसौदा समिति का अध्‍यक्ष न‍ियुक्‍त क‍िया गया। भारत के संविधान को बनाने में बाबा साहेब का खास योगदान है।

15:12 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Nibandh: स्पीच तैयार करने के लिए यहां से ले सकते हैं आप मदद

अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी ने 1937 में केंद्रीय विधानसभा चुनावों मे 15 सीटें जीती। महात्‍मा गांधी दलित समुदाय को हरिजन कहकर बुलाते थे, लेकिन अंबेडकर ने इस बात की खूब आलोचना की। 1941 और 1945 के बीच उन्‍होंने कई विवादित किताबें लिखीं जिनमें 'थॉट्स ऑन पाकिस्‍तान' और 'वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्‍स' भी शामिल हैं।

14:40 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Essay: बच्चों के लिए यहां से लें सिंपल स्पीच

डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर समाज में दलित वर्ग को समानता दिलाने के जीवन भर संघर्ष करते रहे। उन्‍होंने दलित समुदाय के लिए एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत की जिसमें कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों का ही कोई दखल ना हो। 1932 में ब्रिटिश सरकार ने अंबेडकर की पृथक निर्वाचिका के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी, लेकिन इसके विरोध में महात्‍मा गांधी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। इसके बाद अंबेडकर ने अपनी मांग वापस ले ली। बदले में दलित समुदाय को सीटों में आरक्षण और मंदिरों में प्रवेश करने का अध‍िकार देने के साथ ही छुआ-छूत खत्‍म करने की बात मान ली गई।

14:13 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Speech: ट्रेंडिंग स्पीच तैयार करने के लिए यहां से लें मदद

अंबेडकर लंदन से अर्थशास्‍त्र में डॉक्‍टरेट करना चाहते थे लेकिन स्‍कॉलरश‍िप खत्‍म हो जाने की वजह से उन्‍हें बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वापस भारत आना पड़ा। इसके बाद वे कभी ट्यूटर बने तो कभी कंसल्‍टिंग का काम शुरू किया लेकिन सामाजिक भेदभाव की वजह से उन्‍हें सफलता नहीं मिली। फिर वे मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्‍त हो गए. 1923 में उन्‍होंने 'The Problem of the Rupee' नाम से अपना शोध पूरा किया और लंदन यूनिवर्सिटी ने उन्‍हें डॉक्‍टर्स ऑफ साइंस की उपाध‍ि दी. 1927 में कोलंबंनिया यूनिवर्सिटी ने भी उन्‍हें पीएचडी दी।

13:42 (IST)13 Apr 2020
Bhimrao Ambedkar Jayanti: यहां से तैयार करें आसान स्पीच

भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar)  मुंबई की एल्‍फिंस्‍टन रोड पर स्थित गवर्नमेंट स्‍कूल के पहले अछूत छात्र बने। 1913 में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए भीमराव का चयन किया गया, जहां से उन्‍होंने राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। 1916 में उन्‍हें एक शोध के लिए पीएचडी से सम्‍मानित किया गया।

13:12 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Essay: स्पीच के लिए लें यहां से मदद

अंबेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे लेकिन जातीय छुआछूत की वजह से उन्‍हें प्रारंभ‍िक श‍िक्षा लेने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. स्‍कूल में उनका उपनाम उनके गांव के नाम के आधार पर आंबडवेकर ल‍िखवाया गया था। स्‍कूल के एक टीचर को भीमराव से बड़ा लगाव था और उन्‍होंने उनके उपनाम आंबडवेकर को सरल करते हुए उसे अंबेडकर कर दिया। 

12:40 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020: अंबेडकर जयंती पर खास स्पीच

डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर (B. R. Ambedkar) का जन्‍म 14 अप्रैल 1891 को मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था। हालांकि उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्‍ट्र के रत्‍नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और मां भीमाबाई थीं। अंबेडकर महार जाति के थे। इस जाति के लोगों को समाज में अछूत माना जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था।

12:05 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Essay: इस खास मौके पर तैयार करें स्पीच

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। अंबेडकर को बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। भारत के संविधान निर्माता और आजाद भारत के पहले कानून मंत्री होने का श्रेय भी उन्हें जाता है। उन्होंने दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया और महिला अधिकारों का समर्थन किया। 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।

11:31 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Bhashan: अंबेडकर जयंती के लिए तैयार करें स्पीच

बाबा साहेब ने 1956 में अपना लिया था बौद्ध धर्म। उनके साथ ही लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म अपना लिया था। उनका मानना था कि मानव जाति का लक्ष्य खुद में सतत सुधार लाना है। डॉ. अंबेडकर की पहली पत्नी का नाम रमाबाई, जिनसे उनकी शादी महज 9 साल की उम्र में हुई थी। रमाबाई की मृत्यु के बाद उन्होंने सविता से दूसरा विवाह किया था। सविता अंबेडकर ने भी उनके साथ बौद्ध धर्म अपना या था। सविता का निधन 2003 में हुआ। डॉ. अंबेडकर को 29 अगस्त 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। उनकी अध्यक्षता में 2 साल 11 महीने और 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ। 

10:57 (IST)13 Apr 2020
Bhimrao Ambedkar Jayanti 2020: आसान स्पीच के लिए यहां से लें मदद

भारतीय गरीबों के लिए उनके महत्वपूर्ण योगदान को याद रखने और सम्मान करने के लिए भारत डॉ. बी. आर अंबेडकर की जयंती मनाता है। उन्होंने भारतीय संविधान के पीछे मुख्य भूमिका निभाई थी। 1923 में, शिक्षा की आवश्यकता को फैलाने और निम्न-आय वर्ग की वित्तीय स्थिति को समृद्ध करने के लिए उनके द्वारा बहिश्त हितकारिणी सभा की स्थापना की गई थी। एक सामाजिक आंदोलन, जिसका उद्देश्य देश में जातिवाद को खत्म करना था, उसके द्वारा चलाया गया था। उन्होंने सामाजिक आंदोलनों जैसे पुजारी विरोधी आंदोलन, मंदिर प्रवेश आंदोलन, जाति-विरोधी आंदोलन, आदि की शुरुआत की।

10:24 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020 Speech: सिंपल और ट्रेंडिंग स्पीच यहां से तैयार करें

केंद्र सरकार ने बीआर आंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को अपने सभी कार्यालयों में छुट्टी की घोषणा की है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में इसकी जानकारी दी गई है। केंद्र सरकार ने बैंको के लिए भी यह छुट्टी अधिसूचित की है। आपको बता दें कि भारत के संविधान निर्माता, चिंतक, समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। बाबा साहेब के नाम से मशहूर अंबेडकर अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया। इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। 

10:06 (IST)13 Apr 2020
Ambedkar Jayanti 2020: यहां से तैयार करें बेहतरीन स्पीच

डॉ. बी आर अम्बेडकर का योगदान उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने कई कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। उल्लेखनीय घटनाओं में समानता जांता, मूक नायक आदि शामिल हैं। कांग्रेस सरकार ने उन्हें 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश प्रशासन से मुक्त होने पर पहला कानून मंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया था। उन्हें 29 अगस्त 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। उन्होंने देश के लिए नए संविधान की रचना की। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को नया संविधान अपनाया था।