Kailash Kher suicide attempt: कैलाश खेर भारतीय संगीत उद्योग में एक बड़ा नाम है। जिन्होंने फिल्मी गानों के साथ-साथ आध्यात्मिक और धार्मिक गीतों में भी सफलता हासिल की है। लेकिन सफलता की तलाश में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया। न्यूज एजेंसी एएनआई के पोडकास्ट पर उन्होंने खुद यह कहानी बताई।
कई व्यवसायों और नौकरियों में असफल होने के बाद कैलाश खेर पंडिताई सीखने के लिए ऋषिकेश चले गए। लेकिन वहां भी वह सबसे अलग-थलग महसूस करते थे और एक दिन वह बेचैन हो गए और आत्महत्या करने के लिए गंगा में कूद गए। लेकिन तभी एक शख्स ने कूदकर कैलाश की जान बचा ली।
ऋषिकेश जाकर लगाई थी गंगाजी में छलांग
एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में कैलाश खेर ने उस समय के बारे में बताया जब उनकी उम्र 20 वर्ष के आस-पास थी। उन्होंने कहा, “मैंने जीवित रहने के लिए कई अजीबोगरीब काम किए थे। मैं 20 या 21 साल का था जब मैंने दिल्ली में एक्सपोर्ट कारोबार करना शुरू किया। मैं जर्मनी में हस्तशिल्प भेजता था। दुर्भाग्य से अचानक वह व्यवसाय चौपट हो गया। व्यवसाय में कई समस्याओं का सामना करने के बाद, मैं ‘पंडित’ बनने के लिए ऋषिकेश चला गया। हालांकि, मुझे लगता था कि मैं वहां एक अनुपयुक्त था क्योंकि मेरे साथी साथी मुझसे छोटे थे, और मेरे विचार कभी उनके मेल नहीं खाते थे। मैं निराश था क्योंकि मैं हर चीज में असफल हो रहा था..इसलिए एक दिन मैंने गंगा नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की।”
कैलाश खेर ने आगे कहा, ‘लेकिन घाट पर एक शख्स ने तुरंत गंगा में छलांग लगा दी और मुझे बचा लिया। उन्होंने पूछा, ‘तेरना नहीं आता गया क्यों था?’ मैंने जवाब दिया, ‘मरने’… और मेरी सुसाइड की बात जाने के बाद मुझे सर पर तेज की टपली मारी।’
उन्होंने यह भी साझा किया कि इस घटना के बाद उन्होंने अगले दिन खुद को बिना भोजन किए अपने कमरे में बंद कर लिया। उन्होंने कहा कि वह अपने अस्तित्व के बारे में सोचते रहे और कठिन दौर के दौरान भगवान से संवाद करने की कोशिश की।
मिस फिट होने की भावना
हर व्यक्ति ऐसे लोगों की संगति में रहना पसंद करता है जो उसकी तरह सोचते या समझते हों। लेकिन जब व्यक्ति खुद को दूसरों से अलग समझने लगता है तो वह नकारात्मक भावनाओं से घिरने लगता है। रिसर्चगेट पर प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि मिस फिट होने की भावना के बहुत खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। कैलाश खेर भी मानते हैं कि वह खुद हर काम में मिस फिट महसूस करते थे।
उदास और परेशान व्यक्ति
लोगों से अलग होने की भावना ने कैलाश खेर को ऋषिकेश की पावन भूमि में भी सुखी नहीं रहने दिया। याद करते हुए 49 वर्षीय गायक ने कहा कि सफलता के लिए मार्गदर्शन करने वाले संत ने उन्हें एक परेशान और उदास व्यक्ति के रूप में पहचाना।
ज्यादा भावुक होना
डिप्रेशन, तनाव और चिंता जैसी मानसिक बीमारियों से पीड़ित ज्यादातर मरीज हाइपरसेंसिटिव हो जाते हैं। जिसमें वह लोगों की हर बोली और व्यवहार से जुड़ जाता है और खुद को कोसने या खुद पर सवाल उठाने लगता है।
5 ऐसी बातें जो आपको इन लोगों से कभी नहीं कहनी चाहिए
कई मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जो लोग अत्यधिक संवेदनशील होते हैं वे उनसे नकारात्मक बातें कहने से बचना चाहिए, ऐसा करने से उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। जैसे कि- तुम सिर्फ फालतू सोचते हो। अगर ऐसा ही रहा तो कोई आपका साथ नहीं देगा। तुम पागल हो गए हो। तुम्हारी सोच ही तुम्हारे दुख का कारण है। तुम्हें अपना इलाज करवाना चाहिए आदि बातें अवसाद ग्रस्त लोगों से नहीं करना चाहिए।
ऐसे करें सपोर्ट
- उन्हें सुनें और समझें
- छोटी-छोटी चीजों से उन्हें स्पेशल फील कराएं
- वे कहां फंस गए हैं, इसका जवाब ढूंढने में उनकी मदद करें
- लोगों को ऐसा महसूस कराएं कि वे वही बनना चाहते हैं जो वे हैं