विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक छह महीने की उम्र से शिशु को भोजन से अतिरिक्त पोषक तत्वों (खासतौर पर आयरन से संबंधित) की जरुरत होती है। लेकिन नवजात शिशु को एक साल की उम्र तक स्तनदूध या फॉर्मूला दूध ही देना चाहिए। शिशु के शुरुआती छह महीनों में उसकी पाचन और रोग प्रतिरोधक प्रणाली धीरे-धीरे मजबूत हो रही होती है। ऐसे अलावा आइए जानते हैं कि बच्चे को कब डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए-
खान-पान: अगर नवजात की मां को दूध नहीं आता तो वह बच्चे को बेबी फूड खिलाएं लेकिन किसी भी हाल में कोई भी ठोस खाने की चीज गलती से भी बच्चे के मुंह में न डाले। बच्चे के 6 महीने का होने तक उसे पानी भी न पिलाएं। 6 महीने का होने तक ठोस खाना या पानी देने से बच्चे की तबीयत बिगड़ सकती है जिससे उसकी जान पर भी खतरा बन सकता है।
इसके अलावा नवजात को अगर उसकी मां स्तनपान करा रही है तो मां भी अपने खान-पान का ध्यान रखें। मां जो खाती है वहीं नवजात को स्तनपान के जरिए मिलता है। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर मां खाने में करेला खाती है तो हो सकता है उसके बच्चे को स्तनपान के समय दूध कड़वा लगे। अगर आप स्तनपान करा रहीं है तो कुछ भी उल्टा-सीधा न खाएं। दाल का सेवन ज्यादा करें और पोषक आहार खाएं।
नवजात को किसी भी तरह का झटका लगने से बचाएं: नवजात को कभी भी जोर से हिलाए या झकझोरे नहीं। एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि ऐसा करने पर बच्चों पर SIDS (Sudden Infant Death Syndrome) का खतरा बढ़ जाता है। इससे बच्चे के सिर में खून रिसने लगता है और जिससे उसकी मौत भी हो सकती है। वहीं अगर आप बच्चे को नींद से जगाना चाहते हैं तो बेहतर तरीका यह है कि आप उसके पैर में हल्की चिकोटी काटें।
इन परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: अगर आपका शिशु काफी देर तक स्तनपान कर रहा है तो वो पूरे दिन में 6 से 8 बार डायपर गीला कर सकता है और इसकी वजह पेट में कोई गड़बड़ हो सकती है। मगर आपको किस समय डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है यह जानना जरूरी है। अगर बच्चा चार बार से ज्यादा डाइपर गीला करता है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इसके अलावा नवजात और निमोनिया जैसी बीमारियों की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। अगर आप बच्चे को एक सीमा से ज्यादा रोता हुआ देखें तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।