Baba Ramdev: योग गुरु बाबा रामदेव सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते हैं और तमाम समसामयिक मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। तमाम बीमारियों का योग के जरिए निदान के टिप्स भी देते रहते हैं। स्वदेशी प्रोडक्ट्स के हिमायती बाबा रामदेव ने ट्विटर पर अपनी कुछ तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें वे हल चलाते नजर आ रहे हैं।
इस तस्वीरों के साथ उन्होंने लिखा, ‘मेरा जन्म किसान परिवार में हुआ और कर्म से योगी बन गया। आज स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति जैसे फैमिली डॉक्टर रखते हैं वैसे ही फैमिली किसान रखना पड़ेगा। जो हम खेत में डालते हैं वह हमारे पेट में आता है। खेत में यूरिया, DAP, Pesticides, डालने से शाक, अन्न, दूध, घी आदि जो सब खेत से आता है वह जहरीला हो गया है।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘इसका एकमात्र समाधान है कि भारत को तम्बाकू, शराब, जंक फूड आदि से बचकर आर्गेनिक खेती को अपनाना पड़ेगा। वापस अपनी पुरानी संस्कृति में लौटना होगा। आज पूरी दुनिया में आर्गेनिक उत्पादों का महत्व लोग समझ रहे हैं।’ इस ट्वीट के बाद बाबा रामदेव ट्रोल्स के निशाने पर आ गए।
चमन श्रीवास नाम के एक यूजर ने लिखा ‘तुम केवल एक राजनीतिक व्यापारी हो और कुछ नहीं, लेकिन खुल के व्यापार करना चाहिए, योगी के वेश में नहीं। हमारे हिन्दू धर्म का मज़ाक भी उड़ता है। आपने जो बयान 2014 से पहले दिया था, ऐसा हो जाएगा वैसा हो जाएगा, वो बयान अब सुनाई ही नहीं देता है। आपने सरकार से एक बार भी पूछा नही बस व्यापार बढ़ता गया।’
मेरा जन्म किसान परिवार में हुआ और कर्म से योगी बन गया,
आज स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को जैसे फैमिली डॉक्टर रखते है वैसे ही फैमिली किसान रखना पड़ेगा,
जो हम खेत में डालते हैं वह हमारे पेट में आता हैं,खेत में जो यूरिया, DAP, pesticides, डालने से शाक,अन्न,दूध, घी आदि जो सब खेत से pic.twitter.com/m4oqAQMx3X— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) September 2, 2020
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘वैसे विदेशी बूट, विदेशी कारों में घूमते हैं और ड्रामा देखो। खड़ाऊं पहनकर खेत कौन जोतता है, सब इसकी नौटंकी है और कुछ नहीं।’ वहीं मनोज नाम के यूजर लिखते हैं ‘क्या नौटंकी है, वाह। टीवी पर शिल्पा शेट्टी के साथ नजर आते हो और यहां खेतों की फोटो डालते हो’।
तमाम यूजर बाबा रामदेव का समर्थन भी करते नजर आए।आयुषी नाम की यूजर ने लिखा, देश में किसानों के लिए रोज नई-नई योजनाएं आ रही हैं। खेती के लिए कोई अलग से अच्छा और जैविक पद्धति से सोचे अच्छा लगता है’।