प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महेंद्र प्रताप सिंह का परिचय देते हुए कहा कि वो महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में जाकर पहली निर्वासित सरकार बनाई थी और खुद उसके राष्ट्रपति बने थे। इसी के साथ उन्होंने ने 14 नवंबर को अलीगढ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर एक यूनिवर्सिटी बनाने की नींव रखी है। जाट परिवार से निकले राजा महेंद्र प्रताप सिंह अपने इलाके के काफी पढ़े-लिखे शख्स तो थे ही, लेखक और पत्रकार की भूमिका भी उन्होंने निभाई।
पहली निर्वासित सरकार: आपको बता दें एक दिसंबर, 1915 को राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में अंग्रेजों के शासन के दौरान स्वतंत्र भारतीय सरकार की घोषणा की थी, जिसे निर्वासित सरकार कहते हैं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने जो काम बहुत पहले किया था, वही काम सुभाष चंद्र बोस ने बाद में किया था। कहा जाता है कि दोनों में काफी समानताएं थी।
1957 का चुनावी दंगल: राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1957 के लोकसभा चुनाव में तब के जनसंघ के कद्दावर नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी की जमानत तक जब्त करवा दी थी। दरअसल देश की आजादी के बाद 1957 में हुए दूसरे आम चुनाव में अटली जी ने मथुरा से पर्चा दाखिल किया था। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजा महेंद्र प्रताप सिंह तथा कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में दिगंबर सिंह चुनाव मैदान में थे। वैसे चौधरी दिगंबर सिंह उस दौर में जाट समुदाय के बड़े कांग्रेसी नेता थे और उन्होंने अपनी इस हार का बदला 1962 में राजा महेंद्र सिंह को करीब 30 हजार वोट से ही हराकर ले लिया था।
एक अपील और जमानत जब्त: 1957 के इस लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव प्रचार में एक बार कह दिया था कि देश की आजादी के लिए जो योगदान राजा साहब का रहा है, उनके सम्मान के लिए वोट उन्हीं को दीजिए। दरअसल, उस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी मथुरा और बलरामपुर दो सीटों से एक साथ चुनाव लड़ रहे थे। अटल जी के अपील का असर यह हुआ कि पहले लोकसभा का चुनाव हार चुके राजा महेंद्र प्रताप इस बार 40।68 फीसद ( 95202 ) वोट पाकर जीत गए और खुद अटल बिहारी वाजपेयी महज 10 फीसद वोट पाकर चौथे नंबर पर रहे, इस चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो गई थी ।
मथुरा विधानसभा से इस बार इन्हें मिला टिकट: भारतीय राजनीति के युग पुरुष कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का मथुरा से पुराना और नजदीकी नाता रहा है। वो मथुरा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। फिलहाल इस बार भाजपा से मथुरा विधानसभा सीट से दूसरी बार कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा मैदान में होंगे। बसपा ने भाजपा से बागी हुए एस के शर्मा, कांग्रेस से 4 बार विधायक रहे प्रदीप माथुर एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। इनके अलावा हाथरस के पूर्व विधायक देवेंद्र अग्रवाल भी इस बार सपा से इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।