Keto Diet Disadvantage: आज के समय में वजन बढ़ने की समस्या आम है जिसकी वजह से लोग कई बीमारियों से घिर जाते हैं। हृदय रोग और डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में से एक मोटापा भी होता है। मोटापा या वजन बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें खराब जीवनशैली, स्ट्रेस और जंक फूड का अधिक सेवन शामिल हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने वाले लोग वजन कम करने के लिए व्यायाम से लेकर डाइटिंग तक करते हैं। आज के टाइम में वेट लॉस के लिए ज्यादातर लोग एक फिक्स्ड डाइट चार्ट को फॉलो करने की कोशिश करते हैं। इन्हीं में से एक है कीटोजेनिक डाइट जिसे आम भाषा में कीटो डाइट भी कहा जाता है। इस डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है और प्रोटीन मॉडरेट अमाउंट में पाया जाता है। ये एक हाई-फैट डाइट है जिसमें  शरीर ऊर्जा के लिए फैट पर निर्भर करता है जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, इसको अपनाने से पहले आइए जानते हैं क्या हैं इस डाइट के नुकसान-

हो सकती है लो ब्लड शुगर की समस्या: डायबिटीज के मरीजों को कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट खाने की सलाह दी जाती है ताकि उनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहे। लेकिन लगातार इसके सेवन से डायबिटीज टाइप 1 के मरीजों को नुकसान हो सकता है। इससे उन्हें लो ब्लड शुगर का खतरा अधिक होता है। इससे उन्हें थकावट, बार-बार पसीना आना और पूरे शरीर में कंपन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। टाइप 2 के मरीजों के लिए भी ये हानिकारक हो सकता है।

पोषक तत्वों की कमी: कीटो डाइट फॉलो करने वाले लोगों को कई तरह के खाद्य पदार्थों को खाने से मनाही होती है। इस वजह से शरीर में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते। इस डाइट से लोगों को विटामिन डी, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते। ज्यादा समय तक कीटो डाइट पर रहने वाले लोगों में कई तरह के विटामिंस की कमी हो सकती है।

किडनी पर पड़ता है दबाव: इस डाइट में सबसे ज्यादा प्रमुखता हाई फैट फूड्स को दी जाती है। अंडा, मीट या फिर चीज जैसे पदार्थों को लगातार खाने से किडनी में स्टोन होने का खतरा बढ़ जाता है। इन्हें खाने से ब्लड और यूरिन ज्यादा एसिडिक बनता है जिससे शरीर में मौजूद कैल्शियम यूरिन के माध्यम से बाहर निकलते जाता है। कई शोध से ये भी पता चलता है कि कीटो डाइट से शरीर में कैल्शियम को जोड़कर रखने वाले केमिकल सिट्रेट में भी कमी आती है।