पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया और कई नए चेहरों को जगह दी। इसमें अपना दल (एस) की नेता और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल भी शामिल हैं। आपको बता दें कि अनुप्रिया साल 2014 में भी मोदी कैबिनेट का हिस्सा थीं। वह सबसे युवा मंत्रियों में शुमार थीं और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। साल 2012 में सियासी करियर की शुरुआत करने वालीं अनुप्रिया की राह काफी उथल-पुथल भरी रही है।

बता दें, अनुप्रिया पटेल ने पिता की मौत के बाद राजनीति में कदम रखा था और साल 2012 में अपना दल की ओर से वाराणसी के रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर पटेल अखाड़े में उतरीं और मिर्जापुर सीट से जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर पर जगह दी गई।

ऐसे शुरू हुई सियासी जंग: अनुप्रिया पटेल द्वारा वाराणसी की रोहनिया सीट छोड़ने के बाद से ही उनके परिवार में रस्साकस्सी तेज हो गई थी। पटेल के रोहनिया सीट छोड़ने के बाद यहां उपचुनाव हुए। अनुप्रिया चाहती थीं कि उनके पति यहां से चुनाव लड़ें तो वहीं उनकी मां कृष्णा पटेल ने खुद ही रोहनिया सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस कदम के बाद से ही मां-बेटी के रिश्ते तल्ख हो गए।

मां-बेटी के रिश्ते में और तल्खी तब आई जब अपना दल अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने अपनी सांसद बेटी अनुप्रिया पटेल को ‘अनुशासनहीनता’ के आरोप में पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया। तब उन्होंने कहा था, “हमने अनुशासनहीनता के आधार पर अनुप्रिया पटेल को पार्टी से बाहर करने का फैसला किया है। जब से लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, उन्होंने एक भी पार्टी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया है। यह निर्णय पार्टी की जिला, मंडल और राज्य स्तर समिति की संयुक्त बैठक में लिया गया है।”

वहीं अनुप्रिया पटेल का दावा था कि उनकी मां के पास उन्हें पार्टी से निकालने का कोई उपयुक्त कारण नहीं है। अपना दल से निकलने के बाद अनुप्रिया पटेल ने साल 2016 में ‘अपना दल (सोनेलाल)’ के नाम से पार्टी का गठन किया। साल 2018 में वह पार्टी की अध्यक्ष बन गईं। वहीं दूसरी ओर उनकी मां कृष्णा पटेल ने पार्टी पर अधिकार को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कई विवादों के बाद कृष्णा पटेल ने ‘अपना दल (कमेरावादी)’ नाम से अलग पार्टी का गठन किया।

जहां एक तरफ कृष्णा पटेल की पार्टी खास प्रदर्शन नहीं कर पाई तो वहीं अनुप्रिया पटेल की पार्टी ने साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरने का फैसला किया। अनुप्रिया पटेल ने विधानसभा चुनाव में राज्य की 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें 9 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बता दें कि राजनीति में कदम रखने से पहले अनुप्रिया पटेल एमिटी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर भी रह चुकी हैं।