भीषण गर्मी का मौसम अपने चरम पर है। दिन के साथ-साथ रात में भी उमस से स्थिति गंभीर होती जा रही है और ऐसे में एयर कंडीशनर यानी एसी पर लोगों की निर्भरता बढ़ रही है। दिन के अलावा चैन की नींद के लिए लोग रातभर एसी चलाकर सो रहे हैं। हालांकि, आपको बता दें कि अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं या रातभर एसी चलाकर सोते हैं तो गर्मी से राहत पाने का आपका ये तरीका आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।
दरअसल, हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि एसी में सोने से गर्म और उमस भरी रातों में राहत मिल सकती है लेकिन अगर इसका उचित उपयोग न किया जाए तो यह कुछ स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा कर सकता है। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ समस्याओं के बारे में बता रहे हैं।
श्वसन स्वास्थ्य होता है प्रभावित
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रातभर एसी चलाकर सोने से श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर ठंडी हवा के प्रति संवेदनशील लोगों को या अस्थमा और एलर्जी जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को इस तरह की परेशानी का अधिक सामना करना पड़ सकता है। एसी से निकलने वाली ठंडी हवा श्वसन तंत्र में जलन पैदा कर सकती है, जिससे खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।
ऐसे में इस तरह के जोखिम को कम करने के लिए एसी के तापमान को मध्यम स्तर पर सेट कर सोएं, हवा में नमी जोड़ने के लिए ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें और एलर्जी और प्रदूषकों को कम करने के लिए एयर फिल्टर को नियमित रूप से साफ करें साथ ही समय-समय पर इसे बदलना भी न भूलें।
स्किन और आंखों पर होता है खराब असर
एसी से निकलने वाली हवा नमी को कम करने का कारण बनती है। इससे आपकी स्किन और आंखें शुष्क हो सकती हैं, उनमें खुजली और जलन का एहसास बढ़ सकता है। ऐसे में शुष्क त्वचा और आंखों को राहत देने के लिए भी ह्यूमिडिफायर का उपयोग जरूरी हो जाता है। इससे अलग इन परेशानियों से राहत पाने के लिए एक्सपर्ट्स सोने से पहले त्वचा पर मॉइस्चराइजर लगाने और आंखों को हाइड्रेट करने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।
मांसपेशियों में अकड़न और दर्द
रातभर एसी चलाकर सोने से अगले दिन आपको मांसपेशियों में अकड़न और जोड़ों में दर्द महसूस हो सकता है, खासकर अगर शरीर लंबे समय तक ठंडे तापमान के संपर्क में रहे तो इस तरह की परेशानी बेहद आम हो जाती है। ठंडे तापमान के कारण मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं और उनमें कसाव आ सकता है, जिससे अकड़न और असुविधा हो सकती है। इसके अतिरिक्त, ठंडी हवा गठिया या अन्य मस्कुलोस्केलेटल स्थितियों वाले व्यक्तियों में जोड़ों के दर्द और कठोरता को बढ़ा सकती है।
इस तरह की परेशानी से राहत पाने के लिए, एसी के तापमान को बहुत अधिक कम न करें। साथ ही सोने से पहले कुछ देर वॉक या हल्के स्ट्रेचिंग व्यायाम जरूर करें।
इम्यून सिस्टम होता है वीक
लंबे समय तक एसी की ठंडी हवा शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कमजोर कर सकती है, जिससे आप वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील बन सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लंबे समय तक ठंडे तापमान के संपर्क में रहने से नाक के मार्ग और ऊपरी श्वसन पथ में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं, जिससे शरीर की रोगजनकों और वायरस से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इस तरह के श्वसन संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए आप एसी में टाइमर सेट कर सकते हैं या एक समय तक कमरा ठंडा होने के बाद एसी को बंद कर सकते हैं।
एलर्जी को करता है ट्रिगर
एसी चालू करके सोने से संवेदनशील व्यक्तियों में एलर्जी बढ़ सकती है। दरअसल, ठीक से रखरखाव न किया जाए तो एसी यूनिट धूल, पराग, फफूंद और पालतू जानवरों की रूसी जैसे एलर्जी को बढ़ावा देने वाले पार्टिकल्स को आप तक पहुंचा सकती है। इस स्थिति में बार-बार छींक आना, नाक बंद होना, नाक बहना और आंखों में खुजली जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।
एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए या एलर्जी को रोकने के लिए एसी यूनिट में हाई एफिशिएंसी पार्टिकल अरेस्टिंग (HEPA) फिल्टर का उपयोग करने पर विचार करें, साथ ही एयर फिल्टर को नियमित रूप से साफ करें या बदलें। इससे अलग अपने बेडरूम को भी साफ, धूल और पालतू जानवरों की रूसी से मुक्त रखें।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।