उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ गया है। एक तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। तो वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) समेत दूसरे विपक्षी दल भी कुर्सी के लिए जी-जान से प्रयास में जुटे हैं। सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि योगी सरकार अपने तमाम मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है, जिसमें कई मंत्रियों का नाम भी शामिल है।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाले योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट पर नजर डालें तो चुनावी हलफनामे में दी गई जानकारी के मुताबिक 80 प्रतिशत मंत्री ऐसे हैं, जो करोड़पति हैं। जबकि करीब 45 फीसद मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसद करोड़पति मंत्रियों की औसत संपत्ति 5.34 करोड रुपए है।

सबसे अमीर मंत्री हैं नंदी: योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी सर्वाधिक संपत्ति के मालिक हैं। इलाहाबाद साउथ सीट से विधायक नंदी ने अपने हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 57.11 करोड़ रुपये बताई थी। वहीं, इलाहाबाद वेस्ट सीट से विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह अमीर मंत्रियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं। उनके पास 22.06 करोड रुपए की संपत्ति है। इसी तरह अमीर मंत्रियों की लिस्ट में कानपुर नगर के महाराजपुर सीट से विधायक सतीश महाना तीसरे नंबर पर हैं। वह 20 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं।

जो सबसे अमीर, उसी पर सबसे ज्यादा कर्ज: योगी सरकार के सबसे अमीर मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पर सबसे ज्यादा कर्ज भी है। साल 2017 में दिये गए चुनावी हलफनामें में उन्होंने बताया था कि उनपर 26.02 करोड रुपए का कर्ज है। इसी तरह, हलफनामे में दी गई जानकारी के मुताबिक तब सिद्धार्थ नाथ सिंह भी 9 करोड़ रुपये से अधिक (9,31,72,910) के कर्जदार थे। वहीं, गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग सर्वाधिक कर्जदार मंत्रियों की सूचि में तीसरे नंबर पर थे। उनपर 8 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था।

(यूपी की सबसे अमीर महिला विधायक, घर में हैं सौ से ज्यादा हथियार; जानिए कितनी संपत्ति की मालकिन ये MLA)

84 प्रतिशत मंत्री हैं ग्रेजुएट: योगी सरकार के 84 प्रतिशत मंत्री ग्रेजुएट हैं। चुनावी हलफनामे में दी गई जानकारी पर एक नजर डालें तो योगी सरकार के 84 फीसदी मंत्री ऐसे हैं जो या तो ग्रेजुएट हैं या उससे ज्यादा पढ़े लखे हैं। जबकि 16 प्रतिशत दसवीं या बारहवीं तक पढ़े-लिखे हैं।