अल्जाइमर एक ऐसी भूलने की बीमारी है जिसमें याददाश्त कमजोर होने लगती है। इस बीमारी की वजह से निर्णय लेने की क्षमता कम होती है और बोलने में दिक्कत आती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे इस बीमारी का खतरा भी बढ़ता जाता है। 65 साल की उम्र के बाद इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि रोजमर्रा की परेशानियां और तनाव कम उम्र में भी लोगों को इस दिमागी बीमारी का शिकार बना सकता है।

आधुनिक जीवन शैली और सुख सुवाधाएं हमारे दिमाग को आलसी बना रही हैं। जब दिमाग की एक्सरसाइज नहीं होती तो वो सिकुड़ने लगता है जिससे संज्ञानात्मक गिरावट आ सकती है और अल्जाइमर की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। हमारे खान-पान की आदतें इस बीमारी को बढ़ा सकती हैं। चीनी से भरपूर और हाई कैलोरी वाले फूड मस्तिष्क की सूजन का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, शराब और नशीली दवाओं का सेवन मस्तिष्क के ऊतकों को जल्दी नुकसान पहुंचाते हैं जिससे मस्तिष्क समय से पहले बूढ़ा हो जाता है।

​माना जाता है कि ​अल्जाइमर की बीमारी मस्तिष्क की कोशिकाओं में और उसके आसपास प्रोटीन के निर्माण के कारण होती है। अमाइलॉइड (Amyloid)एक प्रोटीन होता है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के चारों ओर टुकड़े बनाता है, जबकि एक अन्य प्रोटीन ताऊ (tau)मस्तिष्क कोशिकाओं के भीतर परेशानी पैदा कर सकता है। यह प्रक्रिया 40 साल की उम्र में शुरू हो सकती है, जो कि शुरुआती अल्जाइमर है। खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल इस बीमारी के लक्षणों को बढ़ाने में असरदार है। अगर आप भी दिमाग की सेहत को दुरुस्त करना चाहते हैं और डिमेंशियां से बचाव करना चाहते हैं तो कुछ आदतों में बदलाव करें। आइए जानते हैं कि कौन सी ऐसी आदते हैं जिन्हें बदलकर हम डिमेंशियां से बचाव कर सकते हैं।

निष्क्रिय लाइफस्टाइल बढ़ा सकती है डिमेंशिया की परेशानी:

गतिहीन जीवन शैली और अपर्याप्त एक्सरसाइज ब्रेन की गति को धीमा कर देती है। एक्सरसाइज ना सिर्फ बॉडी को हेल्दी रखती है बल्कि ब्रेन को भी हेल्दी रखती है। एक्सरसाइज करने से दिल की सेहत दुरुस्त रहती है। बॉडी को एक्टिव रखने से और रेगुलर व्यायाम करने से एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होते हैं जो गुड फील कराते हैं और ब्रेन की हेल्थ को दुरुस्त करते हैं।

नींद की कमी बढ़ा सकती है परेशानी:

जिन लोगों को नींद कम आती है या कम सोते हैं उन्हें भी डिमेंशिया का खतरा अधिक रहता है। लम्बे समय तक कम नींद सोने से दिमाग में ताउ प्रोटीन का स्तर बढ़ने लगता है जो ब्रेन की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है और डिमेंशिया की बीमारी का कारण बनता है।

पानी कम पीना भी याददाश्त को करता है कमजोर:

याददाश्त को स्ट्रॉन्ग बनाना चाहते हैं तो बॉडी को हाइड्रेट रखें। पानी अधिक पीएंगे तो आपकी बॉडी हाइड्रेट रहेगी और ब्रेन भी ठीक से काम करेगा। दिन में रोजाना 8 गिलास पानी का सेवन करने से बॉडी हाईड्रेट रहती है। अपर्याप्त पानी और लिक्विड चीजों का कम सेवन करने से बॉडी में डिहाइड्रेशन की परेशानी बढ़ सकती है।

दवाईयों और एल्कोहल का अधिक सेवन:

दवाईयों और एल्कोहल का अधिक सेवन दिमाग की सेहत को भी प्रभावित करता है। लम्बे समय तक दवाईयों और एल्कोहल का सेवन आपके दिमाग की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। जो लोग दवाईयों और एल्कोहल का ज्यादा सेवन करते हैं उन्हें डिमेंशिया का खतरा अधिक होता है।

खराब डाइट बढ़ा सकती है डिमेंशिया:

खराब डाइट का सेवन करने से ना सिर्फ सेहत प्रभावित होती है बल्कि दिमाग की सेहत भी प्रभावित होती है। डाइट में सैचुरेटेड फूड जैसे चीज़, बटर, केक और रेड मीट का सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर तेडी से बढ़ता है। फ्रूट्स और सब्जियों का सेवन करने से दिमाग की सेहत दुरुस्त रहती है उसका सेवन करें।