दिल्ली के जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण हटाने का मसले पर सियासी घमासान मच गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि खास समुदाय को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उनके घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। इसकी तुलना तुर्कमान गेट कांड से भी की जा रही है।
जून 1975 में जब इमरजेंसी लगी तो उस जगमोहन मल्होत्रा (Jagmohan Malhotra) दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के चेयरमैन हुआ करते थे। छोटे कद के जगमोहन का ब्यूरोक्रेसी में बड़ा नाम था। बेहद इमानदार, तेज-तर्रार और कड़क अफसर। उन्होंने डीडीए की इमेज बदलकर दी थी। इमरजेंसी लगी तो संजय गांधी ने पुरानी दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने का ऐलान किया। खासकर लाल किला, जामा मस्जिद और तुर्कमान गेट के आसपास के इलाकों को और इस काम के लिए उनके जेहन में जो सबसे पहला नाम आया वो जगमोहन का था।
उस दौर में पुरानी दिल्ली में ‘फ्लोरा’ नाम का एक रेस्टोरेंट हुआ करता था..ठीक जामा मस्जिद से सटा। इसका अपना रुतबा था। दिल्ली के तमाम इंटेलेक्चुअल…पत्रकार यहां बैठा करते थे। पुरानी दिल्ली में जब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू हुई तो सबसे पहले बुलडोजर इसी रेस्टोरेंट पर चला। कहा गया कि ये रेस्टोरेंट अवैध तरीके से बना था।
जगमोहन का नाम सुन घरों में दुबक जाते थे लोग: इसके बाद बुलडोजर चलता गया। कार्रवाई जैसे-जैसे आगे बढ़ी, पुरानी दिल्ली के बाशिंदों में जगमोहन के नाम का डर बैठ गया। मशहूर पत्रकार और लेखक तवलीन सिंह अपनी किताब ‘दरबार’ में लिखती हैं कि उस दौर में एक वक्त ऐसा आया जब जगमोहन का नाम सुनते ही पुरानी दिल्ली के लोग अपने घरों में दुबक जाते थे। अफवाह यह भी फैली कि जगमोहन मुसलमानों से नफरत करते हैं और ऐलान किया है कि जामा मस्जिद का इलाका खाली खरवाने के बाद ही दम लेंगे। हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया था।
फोन करने के बाद भी नहीं रुका बुलडोजर: लेखक अजय बोस और जॉन दयाल अपनी किताब, ‘फॉर रीज़न्स ऑफ़ स्टेट डेल्ही अंडर इमरजेंसी में’ तुर्कमान गेट से जुड़ा एक और किस्सा शेयर करते हुए लिखते हैं कि डीडीए के तहसीलदार कश्मीरी लाल जब एक बुलडोजर लेकर तुर्कमान गेट के इलाके में पहुंचे तो लोगों ने उन्हें घेर लिया। कश्मीरी लाल ने लोगों को समझाते हुए कहा कि वे सिर्फ अवैध फुटपाथ तोड़ेंगे…। लोगों ने सवाल किया कि फुटपाथ तोड़ने के लिए दो बुलडोजर की क्या जरूरत?
शिकायत कर लौटे तो टूट चुके थे घर: इसी बीच करीब 100 लोगों का झुंड स्थानीय पार्षद अर्जन दास के पास पहुंच गया, जो संजय गांधी के करीबी माने जाते थे। अर्जन दास ने लोगों की शिकायत सुनी और सीधे सूचना एवं प्रसारण मंत्री वीसी शुक्ल के पास पहुंचे। शुक्ल ने डीडीए के चेयरमैन जगमोहन को फोन मिलाया और बुलडोजरों को वापस बुलाने को कहा। लेकिन बाद में जब लोग वापस तुर्कमान गेट पहुंचे तो वहां का दृश्य देख दंग रहे। पचासों घर टूटे पड़े थे…सामान बिखरा था…महिलाएं बिलख रही थीं।