Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को निर्देश दिया है कि वह अपनी अलग रह रही पत्नी को 24 घंटे के भीतर उसका सारा सामान सौंप दे। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बेहद निराशाजनक है कि उसने 2022 से अपनी पत्नी को उसके कपड़े और अन्य सामान लेने की अनुमति नहीं दी है।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने पति द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पति ने अपने नाबालिग बेटे को दिवाली के दिन घर आने की अनुमति देने का निर्देश मांगा था ताकि परिवार पूजा कर सके। इस अनुरोध का मां ने कड़ा विरोध किया।
पति की याचिका?
सुप्रीम कोर्ट ने पिता और मां को अपने बेटे को पास के मंदिर में पूजा के लिए ले जाने की अनुमति दी और कहा कि यदि वे चाहें तो दादा-दादी भी उनके साथ जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि शादियां असफल हो सकती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पति अपनी पत्नी को उसके कपड़े लेने की अनुमति न दे। यह अलग बात है कि वे एक साथ रहने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन हम कम से कम उम्मीद करते हैं कि उसके सामान को उसे वापस किया जाए।
पीठ ने कहा कि यह बेहद घटिया है कि 2022 से व्यक्ति ने अपनी पत्नी को उसके कपड़े और अन्य सामान लेने की अनुमति नहीं दी है। इस जोड़े ने 2016 में शादी की थी। जब शादी में समस्याएं आईं, तो महिला 2022 में बेटे के साथ चली गई और तब से अलग रह रही है। व्यक्ति एक बीमा कंपनी में काम करता है और महिला एक बैंक में काम करती हैं।
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