Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 43 वर्षीय एक आदिवासी व्यक्ति को जमानत दे दी। कोर्ट ने असम पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल किए बिना उसे दो साल तक हिरासत में रखने पर गंभीर आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि उसे अनिश्चित काल के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने हिरासत को “अवैध” करार देते हुए, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं करने के लिए असम पुलिस की खिंचाई की। इसमें कहा गया है कि 90 दिनों के बाद आरोपपत्र दाखिल करने की अधिकतम अवधि को अदालत की अनुमति से कानून के तहत 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

पीठ ने असम सरकार की ओर से पेश वकील से कहा, “यूएपीए के तहत चाहे जो भी कड़े प्रावधान हों, कानून अवैध हिरासत का प्रावधान नहीं करता। यह भयावह है। दो साल तक आपने आरोपपत्र दाखिल नहीं किया और वह व्यक्ति हिरासत में है? वास्तव में, यह अवैध हिरासत है। आप खुद को देश की प्रमुख जांच एजेंसी मानते हैं?”

वकील ने कहा कि आरोपी तोनलांग कोन्याक वास्तव में म्यांमार का नागरिक है और उसके पास से जाली भारतीय मुद्रा बरामद हुई थी तथा उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।

पीठ ने कहा कि उन्हें दो अन्य मामलों में डिफ़ॉल्ट जमानत दी गई थी, जहां निर्धारित अवधि के भीतर आरोप पत्र दायर नहीं किया गया था और बताया कि यूएपीए की धारा 43डी के तहत, आरोप पत्र दायर करने का समय अदालत के स्पष्ट आदेश द्वारा अधिकतम 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

जस्टिस मेहता ने वकील से पूछा कि पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने से किसने रोका और कहा कि यह डिफॉल्ट जमानत का मामला है। वकील ने कहा कि इस मामले में अन्य सह-आरोपी भी हैं, जो फरार हैं।

जस्टिस मेहता ने कहा, “आप किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रख सकते। यदि कानून के तहत निर्धारित अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं किया जाता है, तो उसे डिफ़ॉल्ट जमानत देनी होगी।”

आरोपी को जमानत देते हुए पीठ ने कहा, “वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की हिरासत दो साल से अधिक समय से जारी है और इसलिए, किसी भी तरह से इसे कानूनी नहीं कहा जा सकता है।”

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अभियोजन पक्ष के अनुसार, कोन्याक को 23 जुलाई, 2023 को असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसके पास से कथित तौर पर 3.25 लाख रुपये के जाली भारतीय नोट मिले थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में कोन्याक को जुलाई 2023 में प्रोडक्शन वारंट के जरिए हिरासत में लिया गया था और आरोपपत्र इस साल 30 जुलाई को ही दाखिल किया गया।

पिछले साल 20 दिसंबर को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने इस मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर चुके हैं और यूएपीए की धारा 43डी(7) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के हकदार नहीं हैं। इसमें कहा गया कि अभियुक्त ने जमानत पर रिहाई को उचित ठहराने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं बताई।

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