Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष गद्दाम प्रसाद कुमार को उन 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है, जो पिछले साल मार्च और जून के बीच भारत राष्ट्र समिति से सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। कोर्ट ने आज मौखिक रूप से कहा कि तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष का आचरण न्यायालय की घोर अवमानना दर्शाता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने बीआरएस विधायक कौशिक रेड्डी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। 31 जुलाई को कोर्ट ने ऐसी याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए अध्यक्ष को तीन महीने की समय सीमा तय की थी। सीजेआई ने आज चेतावनी दी कि अगर अध्यक्ष अगले हफ्ते तक इस मामले पर फैसला नहीं लेते हैं तो उन्हें न्यायालय की अवमानना के लिए कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
अपना नया साल कहां मनाना चाहते हैं- सीजेआई गवई
सीजेआई गवई ने कहा , ” तेलंगाना स्पीकर ने अदालत की घोर अवमानना की है या तो अगले हफ्ते तक इस पर फैसला हो या फिर अवमानना का सामना करना पड़े। हम पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें (स्पीकर को) संवैधानिक छूट नहीं है। यह उन्हें तय करना है कि वह अपना नया साल मनाना चाहते हैं।” अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि दो हफ्ते में फ़ैसला हो जाएगा। पीठ ने अब मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद करना तय किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के अनुरोध वाली याचिका पर 17 नवंबर को सुनवाई करने पर सहमति जताई थी। यह अवमानना याचिका बीआरएस नेताओं केटी रामाराव, पाडी कौशिक रेड्डी और केओ विवेकानंद द्वारा दायर कई रिट याचिकाओं पर सीजेआई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ की ओर से दिए गए 31 जुलाई के फैसले से सामने आई है। शीर्ष अदालत ने दोहराया कि संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करते समय विधानसभा अध्यक्ष एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करते हैं और इसलिए उन्हें संविधान के तहत प्राप्त छूट नहीं मिलती है। दसवीं अनुसूची दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों से संबंधित है।
