सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि अगर वह कोई प्राइवेट काम नहीं कर रही हो तो बिना इजाजत किसी महिला की फोटो लेना जुर्म नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई महिला निजी कार्य नहीं कर रही हो तो उसकी फोटो खींचना और उसकी सहमति के बिना मोबाइल फोन पर उसका वीडियो बनाना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354C के तहत तांक-झांक करने का अपराध नहीं माना जाएगा।
ऐसे एक मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने एक आरोपी को बरी कर दिया। जिस पर शिकायतकर्ता को उसके फोटो खींचकर और अपने मोबाइल फोन पर वीडियो बनाकर धमकाने का आरोप था। महिला ने दावा किया कि आरोपी ने उसकी निजता में दखल दिया और उसकी इज्जत को ठेस पहुंचाई।
महिला ने दर्ज कराई थी प्राइवेसी में दखल की शिकायत
शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ 19 मार्च, 2020 को एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायत आईपीसी की धारा 341, 354सी और 506 के तहत दर्ज की गई। महिला ने आरोप लगाया कि 18 मार्च, 2020 को जब उसने अपने दोस्त और कुछ काम करने वालों के साथ प्रापर्टी में घुसने की कोशिश की तो आरोपी ने उन्हें अंदर जाने से रोका और धमकाया।
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महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने बिना उसकी सहमति के उसकी तस्वीरें और वीडियो लिए। जिससे उसकी निजता में दखल हुआ और उसकी इज्जत को ठेस पहुंची। जांच के बाद पुलिस ने 16 अगस्त, 2020 को अपील करने वाले के खिलाफ इन अपराधों के लिए आरोप पत्र दाखिल किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले का समर्थन किया जिसमें अपील करने वाले आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करते हुए कहा गया था कि यह साफ तौर पर समझ में आता है कि लिखी हुई शिकायत में तस्वीरें खींचने और वीडियो बनाने का आरोप आईपीसी की धारा 354सी के तहत अपराध नहीं कहा जा सकता।
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