प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह के लिए चादर भेजी जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की कोर्ट में यह याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर तत्काल सुनवाई करने की मांग को बेंच ने खारिज कर दिया।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह चादर चढ़ाने के लिए भेजी गई है। इसे 814वें सालाना उर्स के मौके पर चढ़ाया जाना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री की किरेन रिजिजू यह चादर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चढ़ाएंगे वहीं, याचिका में इस पर रोक लगाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि अजमेर दरगाह पर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से चादर चढ़ाने के लिए भेजना गलत है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह दावा किया जा रहा है कि वहां भगवान शिव का मंदिर था और इस संबंध में कोर्ट में एक याचिका लंबित है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजी गई चादर को चढ़ाने से रोका जाए और तत्काल अर्जी पर सुनवाई हो।
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इस मामले पर सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि आज इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। पूर्व में भी प्रधानमंत्रियों की तरफ से अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजी जाती रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उस परंपरा को बनाए रखा है। अजमेर की कोर्ट में भी ऐसी ही एक अर्जी दाखिल की गई थी।
यह याचिका हिंदू सेवा के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है। वह उस मुकदमे में भी एक पक्ष रहे हैं, जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह को हिंदू मंदिर तोड़कर बनाया गया। गुप्ता की दलील है कि केंद्र की ओर से एक विवादित ढांचे पर चादर को चढ़ाने के लिए भेजना गलत है। ऐसा करना न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने जैसा है। इससे फेयर ट्रायल का अधिकार भी खत्म होता है। वो भी तब ट्रायल कोर्ट में इस संबंध में मामला लंबित है।
