उच्चतम न्यायालय ने निठारी हत्याकांड के एक मामले में दोषसिद्धि और मृत्युदंड को चुनौती देने वाली सुरेन्द्र कोली की सुधारात्मक याचिका को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। यह आदेश भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने पारित किया, जिन्होंने कोली की याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की थी। कोली निठारी हत्याकांड के अन्य मामलों में पहले ही बरी हो चुका है।

निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद हुआ था। कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और फरवरी 2011 में उच्चतम न्यायालय ने उसकी सजा को बरकरार रखा था।

सीबीआई की अपील को शीर्ष अदालत ने कर दिया था खारिज

उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गयी थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2023 में कोली और सह-अभियुक्त पंढेर को निठारी से जुड़े कई अन्य मामलों में बरी कर दिया था और 2017 में निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को पलट दिया।

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अदालत ने कोली को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और पीड़ित परिवारों ने बरी किए जाने के इन फैसलों को बाद में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।