Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य में जाति-संबंधी हिंसा और भेदभावपूर्ण कार्रवाइयों की होने वाली घटनाएं चौंकाने वाली हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जातिगत दावे अनियंत्रित तरीके से जारी रहे तो जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, वे डेढ़ सदी के अंदर अस्तित्वहीन हो जाएंगे।
कोर्ट ने 14 अक्टूबर को दमोह जिले की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है, जहां ओबीसी समुदाय के एक व्यक्ति को कथित तौर पर ऊंची जाति के लोगों द्वारा अपमानित किया गया था और कथित तौर पर एआई-जनरेटेड मीम शेयर करने के लिए एक व्यक्ति के पैर धोने के लिए मजबूर किया गया था। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच ने मामले में पुलिस द्वारा लगाई गई धाराओं पर भी कड़ा रुख अपनाया और उन्हें और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वे घटना के वीडियो में दिखाई देने वाले सभी लोगों के खिलाफ एनएसए लगाएं।
कोर्ट ने कहा, “यह वही राज्य है जहां जनरल कैटेगरी के एक व्यक्ति ने एक आदिवासी व्यक्ति के सिर पर पेशाब कर दिया था और उसे शांत करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने पीड़ित के पैर धोए थे। जातिगत पहचान बढ़ रही है। हर समुदाय, पूरे हिंदू समाज को नुकसान पहुंचाते हुए, बार-बार और बेशर्मी से अपनी जातिगत पहचान का प्रदर्शन करता है।”
जातीय हिंसा की घटनाएं बढ़ रहीं- कोर्ट
अदालत ने आगे कहा, “हर एक जाति अपनी जातीय पहचान के प्रति मुखर और अति-जागरूक हो गई है और अपनी जाति विशेष से संबंधित होने के गौरव को प्रदर्शित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।” कोर्ट ने कहा, “इससे जातीय हिंसा की कई घटनाएं बढ़ रही हैं। ज्यादातर मामलों में पीड़ित सबसे कम पढ़ा लिखा और आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा गरीब हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना, हरियाणा में एक वरिष्ठ एडीजीपी द्वारा आत्महत्या, ऐसे जाति-संबंधी मुद्दों के इस देश में प्रमुखता हासिल करने के उदाहरण हैं।”
ये भी पढे़ं: सरकार के आग्रह पर बदला जज के ट्रांसफर का फैसला
अदालत ने कहा, “लोग खुद को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र कहते हैं और अपनी स्वतंत्र पहचान का दावा करते हैं। इस समय, अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो डेढ़ सदी के भीतर, खुद को हिंदू कहने वाले लोग आपस में ही लड़कर खत्म हो जाएंगे।” मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि वह आमतौर पर पुलिस को इन आरोपियों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई करने का निर्देश नहीं देती, क्योंकि यह कार्यपालिका के विवेक का मामला है।
रासुका के तहत कार्रवाई करें- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट
कोर्ट ने कहा, “हालांकि, इस दिशा में कार्रवाई करने में देरी और पीड़ित जिस समुदाय से है, उसके लोगों में पैदा हो रहे आक्रोश के कारण, अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो स्थिति हिंसा की ओर ले जा सकती है, जिसके बाद पुलिस की कार्रवाई अप्रभावी हो जाएगी और सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी।” कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “जातिगत कटुता और भेदभाव की यह दुष्टता अपने चरम पर पहुंचने से पहले, दमोह पुलिस और प्रशासन को निर्देश दिया जाता है कि वे उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ रासुका के तहत तुरंत कार्रवाई करें, जो वीडियो में दिखाई दे रहे हैं और जिनकी पहचान सुनिश्चित की जा सकती है।”
ये भी पढे़ं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2023 के चुनावों से पहले सोना जब्त करने पर जांच दल को लगाई फटकार