सांसदों और विधायकों के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के मामलों की सुनवाई करने वाली राउज एवेन्यू की तीन विशेष अदालतें अब पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों के खिलाफ भी मामलों की सुनवाई करेंगी। राज निवास के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालतों का दायरा बढ़ गया है।

इससे पहले जुलाई 2023 में सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के राउज एवेन्यू अदालत परिसर में बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनावाई के लिए तीन विशेष अदालतों गठित करने को मंजूरी दी थी।

एक अधिकारी ने बताया कि यह अधिसूचना 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के बाद आई थी। हालांकि आप सरकार ने अधिसूचना में तीन साल से अधिक की देरी की थी।

सीपीसीआर अधिनियम की धारा 25 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 28 के तहत इन नामित/विशेष अदालतों के गठन के लिए उपराज्यपाल की मंज़ूरी हेतु प्रस्ताव दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रस्तुत किया गया था और विधि विभाग द्वारा इसकी जाँच की गई थी।

ये तीन अदालतें बच्चों के विरुद्ध अपराधों, बाल अधिकारों के उल्लंघन और पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए पहले से अधिसूचित आठ अदालतों के अतिरिक्त हैं।

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पॉक्सो अधिनियम की धारा 28(1) में कहा गया है कि त्वरित सुनवाई के लिए, राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए प्रत्येक ज़िले के लिए एक सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करेगी।

CPCR अधिनियम की धारा 25 में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ अपराध या बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए, राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से, अधिसूचना द्वारा, राज्य में कम से कम एक न्यायालय या प्रत्येक जिले के लिए, उक्त अपराधों की सुनवाई के लिए एक सत्र न्यायालय को बाल न्यायालय के रूप में निर्दिष्ट कर सकती है। लेकिन कि इस धारा की कोई भी बात लागू नहीं होगी यदि – (क) सत्र न्यायालय को पहले से ही एक विशेष न्यायालय के रूप में नामित किया गया है या (ख) किसी अन्य कानून के तहत ऐसे अपराधों के लिए पहले से ही एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया है।

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