Legal News Hindi: आस्था के टकराव से जुड़ा एक अनोखा वैवाहिक विवाद उत्तराखंड हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट में एक हिंदू महिला ने अपने पति इस आधार पर तलाक मांगा है कि उसका पति नास्तिक है। वह पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों को करने से मना करता है।

हाई कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ता पूनम ने तर्क दिया कि उनके पति और उनका परिवार स्वयंभू संत रामपाल के अनुयायी हैं, जिसके कारण वे पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों को अस्वीकार करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शादी के बाद उन्हें अपने घर से पारिवारिक मंदिर हटाने और देवताओं की मूर्तियों को हटाने के लिए कहा गया।

पूनम के अनुसार, मामला तब और बिगड़ गया जब उनके पति ने उनके बेटे के नामकरण संस्कार में शामिल होने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ऐसे धार्मिक रीति-रिवाजों का कोई मतलब नहीं है। आस्था के इस टकराव के चलते उन्होंने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत नैनीताल के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया।

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इसके बाद, याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस रवींद्र मैथानी और जस्टिस आलोक माहरा की खंडपीठ ने सुनवाई की और पाया कि सुलह की संभावना अभी भी मौजूद है।

पारिवारिक सौहार्द की रक्षा के कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप, कोर्ट ने दोनों पक्षों को उनके सात साल के बच्चे के कल्याण को ध्यान में रखते हुए, काउंसलिंग के लिए भेजा। काउंसलिंग का उद्देश्य या तो दंपति के बीच सुलह कराना है या फिर उनके बीच सौहार्दपूर्ण अलगाव को सुगम बनाना है।

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