Allahabad High Court: पूर्व सांसद धनंजय सिंह की अपील खारिज करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि गैंगस्टर कानून के तहत दर्ज अपराध, सरकार और समाज के खिलाफ अपराध है, इसलिए एक व्यक्तिगत शिकायतकर्ता के पास अपील दाखिल करने का अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने 2002 के नदेसर टकसाल शूटआउट मामले में गैंगस्टर कानून के तहत आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील खारिज कर दी।

जस्टिस लक्ष्मीकांत शुक्ला ने कहा कि धनंजय सिंह की अपील अस्वीकार्य है क्योंकि असामाजिक गतिविधियों को रोकने का अधिकार और जिम्मेदारी अकेले सरकार की है और किसी व्यक्ति को राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।

अदालत ने कहा, ‘‘इस कानून के तहत असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम के उपाय करना विशेष रूप से राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है और इस तरह के कार्य केवल सरकार द्वारा किए जाने चाहिए। किसी को भी राज्य के कार्य में दखल देने की अनुमति नहीं दी जा सकती और यदि अनुमति दी जाती है तो इससे अराजकता पैदा हो सकती है।’’

क्या है मामला?

यह घटना चार अक्टूबर, 2002 को उस समय हुई थी जब वाराणसी के नदेसर इलाके में तत्कालीन विधायक धनंजय सिंह के वाहन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं जिसमें कई लोग घायल हो गए थे। पुलिस ने इस मामले में गैंगस्टर कानून लागू किया और कई आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

यह भी पढ़ें- ‘भगवान कृष्ण इस सब के बारे में क्या सोच रहे होंगे?’ किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणी

इस वर्ष 29 अगस्त को वाराणसी में गैंगस्टर अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश ने साक्ष्यों के अभाव में चार आरोपियों को बरी कर दिया था।

धनंजय सिंह ने इस आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। धनंजय सिंह की दलील थी कि वह इस मामले में पीड़ित और शिकायतकर्ता दोनों ही थे, इसलिए उन्हें शिकायतकर्ता के रूप में विचार कर अपील का अधिकार दिया जाना चाहिए। अदालत ने चार दिसंबर को अपने आदेश में कहा, ‘‘यह सही है कि अपीलकर्ता 2002 के उस मामले में सूचना प्रदाता है। अपीलकर्ता उस मामले में प्रत्यक्ष रूप से एक पीड़ित है। लेकिन अपील का अधिकार व्यक्तिगत रूप से किसी को नहीं दिया जा सकता।’’

यह भी पढ़ें- ‘किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल तक…’, सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के आरोपी को दी जमानत, असम पुलिस को लगाई फटकार

(भाषा)