Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अवैध प्रवासियों की स्थिति के संबंध में एक अहम टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि क्या न्यायपालिका से यह अपेक्षा की जाती है कि वह देश में अवैध तरीके से प्रवेश करने वालों को असाधारण विशेषाधिकार दे। रोहिंग्या प्रवासियों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी की, “क्या आप चाहते हैं कि हम उनके लिए रेड कॉर्पेट बिछाएं।”

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसके सीमा संबंधी मुद्दे संवेदनशील हैं। मुख्य न्यायाधीश कांत ने सवाल उठाया कि क्या भारतीय नागरिकों की जरूरतों की कीमत पर आप्रवासियों को देश के संसाधनों तक पहुंच दी जानी चाहिए।

क्या हमारे गरीब बच्चे लाभ के हकदार नहीं है- सीजेआई

सीजेआई सूर्य कांत ने कहा, “नॉर्थ ईस्ट की ओर हमारी सीमा संवेदनशील है और हमें उम्मीद है कि आप जानते होंगे कि देश के अंदर क्या हो रहा है और इसलिए आप उनके (आप्रवासियों) लिए रेड कार्पेट चाहते हैं। आप सुरंग आदि के माध्यम से प्रवेश करते हैं और फिर आप खाना, आश्रय, बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार आदि के हकदार हैं। क्या हम इस तरह से कानून को खींचना चाहते हैं? क्या हमारे गरीब बच्चे लाभ के हकदार नहीं हैं? बंदी प्रत्यक्षीकरण आदि (हिरासत में लिए गए प्रवासियों की रिहाई के लिए) मांगना बहुत ही काल्पनिक है।”

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याचिका में क्या कहा गया था?

कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के लापता होने का आरोप लगाते हुए एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने इस साल मई में कई रोहिंग्याओं को हिरासत में लिया था और उनका वर्तमान ठिकाना अज्ञात है। याचिका में इन व्यक्तियों का पता लगाने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की गई थी और उनकी हिरासत की वैधता पर सवाल उठाया गया था। वहीं, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि याचिका किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर की गई है, जिसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। एसजी मेहता ने कहा, “एक जनहित याचिकाकर्ता, जिसका रोहिंग्याओं से कोई लेना-देना नहीं है, ये प्रार्थनाएं कर रहा है।”

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