दिल्लीवासियों को पिछले कुछ महीनों से खतरनाक प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 400 के पार बना हुआ है जो गंभीर श्रेणी में आता है। पूरे दिल्ली-एनसीआर में घना कोहरा और धुंध छायी रहती है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। इस सबके चलते लोग अपने घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरिफायर लगा रहे हैं। इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका (PIL) में एयर प्यूरीफायर को चिकित्सा उपकरण घोषित करने की मांग की गई है।
हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि एयर प्यूरीफायर को लग्जरी नहीं बल्कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण पैदा हुए आपातकालीन संकट का सामना करने के लिए एक आवश्यकता के रूप में माना जाना चाहिए। PIL में एयर प्यूरीफायर को चिकित्सा उपकरण घोषित करने की मांग की गई है। अधिवक्ता कपिल मदन द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाना मनमाना, अनुचित और असंवैधानिक है। इस मामले की सुनवाई आज होने की संभावना है।
एयर प्यूरिफायर को चिकित्सा उपकरणों की श्रेणी को शामिल करने की मांग
एयर प्यूरिफायर को चिकित्सा उपकरणों की उस श्रेणी को शामिल करने का निर्देश देने का आग्रह करते हुए, जिस पर केवल पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है, जनहित याचिका दाखिल की गयी है। इस PIL में कहा गया है, “विशेष रूप से बेहद खराब, गंभीर और गंभीर+ एक्यूआई के दौरान प्यूरिफायर की अनिवार्यता, समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी के रीक्लासिफिकेशन की जरूरत है।”
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दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना मुश्किल
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में एयर क्वालिटी का वर्णन करते हुए याचिका में कहा गया है कि यह क्षेत्र अत्यंत गंभीर और खतरनाक वायु गुणवत्ता संकट से ग्रस्त है, जहां जहरीले कणों के कंसन्ट्रेशन से सांस लेना भी खतरनाक हो जाता है। याचिका के मुताबिक, “शहर में श्वसन संबंधी बीमारियों , फेफड़ों को नुकसान, हृदय संबंधी समस्याओं, बच्चों के विकास में बाधा और असमय मृत्यु दर में भारी वृद्धि देखी जा रही है। मौजूदा हालात एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति पैदा करते हैं और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार पर तत्काल, प्रत्यक्ष और असंवैधानिक हमला हैं।”
याचिका में यह भी कहा गया है कि एयर प्यूरिफायर हानिकारक कणों को छानते और हटाते हैं और वायु गुणवत्ता सेंसर के माध्यम से मॉनिटरिंग में योगदान करते हैं जो हानिकारक उतार-चढ़ाव का पता लगाने में सक्षम बनाते हैं। याचिका में दावा किया गया है कि चूंकि इनका प्राथमिक उद्देश्य रोग पैदा करने वाले जोखिमों की रोकथाम और उन्हें कम करने के साथ ही सांस की रक्षा करना है इसलिए एयर प्यूरिफायर वैधानिक रूप से ‘चिकित्सा उपकरण’ की श्रेणी में आते हैं।
दिल्ली का AQI बहुत खराब
बुधवार सुबह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ और एक्यूआई ‘गंभीर’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गया है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, सुबह एक्यूआई 336 दर्ज किया गया जबकि मंगलवार को यह 415 दर्ज किया गया था। सीपीसीबी के ‘समीर’ ऐप के अनुसार, दिल्ली के 40 वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्र में से 36 में एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
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