Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकारों को फटकार लगाई कि उन्होंने देश भर में आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने और उन्हें छोड़ने के अगस्त माह के आदेश का अनुपालन करने के संबंध में हलफनामा दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, दिल्ली और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि अगर अधिकारी अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित नहीं होते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा या कठोर कदम उठाए जाएंगे। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, “हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया है? मुख्य सचिव स्पष्टीकरण दें। अन्यथा जुर्माना लगाया जा सकता है और दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे। सभी राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए गए। आपके अधिकारी अखबार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ते? सभी ने इसकी सूचना दी है। एक बार जब उन्हें जानकारी हो जाए तो उन्हें आगे आना चाहिए। सभी मुख्य सचिव 3 नवंबर को मौजूद रहें, अन्यथा हम ऑडिटोरियम में कोर्ट का संचालन करेंगे।”
देश की छवि विदेशों में खराब हो रही- जस्टिस विक्रम नाथ
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि आवारा कुत्तों से संबंधित घटनाएं लगातार जारी हैं। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, “लगातार घटनाएं हो रही हैं और देश की छवि विदेशी देशों की नजरों में खराब हो रही है। हम समाचार रिपोर्ट भी पढ़ रहे हैं।”
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क्या था पूरा मामला?
अब पूरे मामले की बात करें तो आवारा कुत्तों से संबंधित मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब 11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली के नगर निगम अधिकारियों को आदेश दिया कि वे सभी क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को पकड़े और आठ हफ्ते के अंदर कम से कम 5000 कुत्तों की क्षमता वाले शेल्टर होम बनाएं। कोर्ट के इस आदेश को लेकर काफी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला था।
इसके बाद यह मामला जस्टिस नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया। तीन जजों की पीठ ने 22 अगस्त को अपने 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि कुत्तों को टीकाकरण के बाद ही शेल्टर होम से छोड़ा जाए। कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट से अपने पास में ट्रांसफर कर लिया।
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