Chhattisgarh High Court News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि आरोपी द्वारा एक महिला का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए “आई लव यू” कहना उसकी मर्यादा का उल्लंघन है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी लड़की के साथ खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में किसी युवा लड़के का ऐसा व्यवहार बहुत आपत्तिजनक है।
जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी उस व्यक्ति की दोषसिद्धि के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रहे थे, जो घटना के समय 19 साल का था। पीड़िता का हाथ पकड़कर उसे खींचने और कथित तौर पर स्कूल से लौटते समय “आई लव यू” कहने के आरोप में उसे आईपीसी और पॉक्सो की अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।
कोर्ट ने सजा घटाकर एक साल कर दी
कोर्ट ने कहा, “अपीलकर्ता द्वारा पीड़िता के साथ किया गया कृत्य आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध के दायरे में आता है, क्योंकि उसने यह कृत्य पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से किया था।” अदालत ने आईपीसी के प्रावधानों के तहत निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन सजा को तीन साल से घटाकर एक साल कर दिया।
कोर्ट ने यह मानते हुए कि आरोपी उस समय 19 साल का लड़का था और पीड़िता का हाथ पकड़ने, उसे खींचने और आई लव यू कहने के अलावा उसने कोई अन्य आपत्तिजनक कृत्य नहीं किया था। कोर्ट ने यह देखते हुए कि आरोपी जमानत पर है, आरोपी को संबंधित अदालत के सामने सरेंडर करने और कारावास की बची हुई सजा पूरी करने का निर्देश दिया।
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POCSO की सजा रद्द कर दी गई
ट्रायल कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश में, आरोपी को न केवल मानहानि करने के लिए बल्कि पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न के लिए भी दोषी ठहराया। हालांकि, हाई कोर्ट ने पाया कि पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी की दोषसिद्धि स्थिर नहीं थी क्योंकि यह साबित नहीं हुआ था कि घटना की तारीख को पीड़िता नाबालिग थी, लेकिन यह माना कि स्पेशल कोर्ट ने उसे आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराने में कोई गलती नहीं की।
आखिर क्या है पूरा मामला?
अब पूरे मामले की बात करें तो यह आरोपी के पीड़िता का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचने और आई लव यू कहने के कथित कृत्य से जुड़ा हुआ है। वह अपनी छोटी बहन और दोस्त के साथ स्कूल से घर लौट रही थी। यह तर्क दिया गया कि घटना के बाद महिला डर गई और भयवश एक मजार के अंदर चली गई।
राज्य की तरफ से पेश वकील प्रभा शर्मा ने तर्क दिया कि निचली अदालत का दोषसिद्धि का फैसला अच्छी तरह से तर्कसंगत था। अभियुक्त की तरफ से पेश हुए वकील पुनीत रूपारेल ने तर्क दिया कि आई लव यू कहना अपने आप में पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि यह संदेह से परे साबित नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने पीड़िता का हाथ यौन इरादे से पकड़ा था और इस बात पर जोर दिया कि इसके बावजूद, निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराया और सजा सुनाई।
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