केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उसने राष्ट्रीय जनता दल (राजद प्रमुख) लालू प्रसाद, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य से जुड़े नौकरी के बदले जमीन ‘घोटाले’ में आरोपियों के सत्यापन का काम “काफी हद तक पूरा कर लिया है।”

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं कि क्या आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने चार दिसंबर को सीबीआई को मामले में आरोपियों की स्थिति की पुष्टि करने के बाद एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। मामले के 103 आरोपियों में से चार की मौत हो चुकी है।

अदालत ने कहा, “सीबीआई के वरिष्ठ वकील ने बताया है कि पिछले आदेशों के अनुसार सत्यापन का काम काफी हद तक पूरा कर लिया गया है।” उसने कहा, “यह बताया गया है कि आरोपी संख्या 89 अश्विनी कुमार मल्होत्रा का निधन हो गया है। सीबीआई ने उक्त आरोपी के संबंध में मृत्यु सत्यापन रिपोर्ट (डीवीआर) दाखिल करने और बाकी आरोपियों की स्थिति की पुष्टि करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया है।” इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को सूचीबद्ध कर दी। न्यायमूर्ति गोगने ने 10 नवंबर को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने पर फैसला चार दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया था।

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सीबीआई ने कथित घोटाले के सिलसिले में लालू, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए थे। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू के कार्यकाल में मध्यप्रदेश के जबलपुर में भारतीय रेलवे के पश्चिम-मध्य जोन में ग्रुप-डी श्रेणी में की गई भर्तियां अभ्यर्थियों की ओर से राजद सुप्रीमो के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों को उपहार में दी गई या उनके नाम पर हस्तांतरित की गई जमीनों के बदले में की गई थीं।

सीबीआई ने दावा किया है कि ये भर्तियां नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थीं और लेन-देन में बेनामी संपत्तियां शामिल थीं, जो आपराधिक कदाचार और साजिश के बराबर है। हालांकि, आरोपियों ने आरोपों से इनकार करते हुए मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है।

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(भाषा)