Akhlaq Lynching Case: अखलाक लिंचिंग केस में सूरजपुर की एक कोर्ट से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप वापस लेने की राज्य की याचिका को खारिज कर दिया और इसके बजाय दैनिक सुनवाई के साथ मुकदमे को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। बता दें, साल 2015 में अखलाक की लिंचिंग हुई थी।
कोर्ट ने कहा, “गौतम बुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त और ग्रेटर नोएडा के उपायुक्त को पत्र भेजा जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबूतों को हर तरह की सुरक्षा प्रदान की जाए।” अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सौरभ द्विवेदी ने मामले को “अत्यंत महत्वपूर्ण” श्रेणी में रखने और प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को मामले में जल्द से जल्द साक्ष्य दर्ज करने का भी निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।
दादरी के बिसाडा गांव में अपने घर पर कथित तौर पर गाय की हत्या करने और उसका मांस रखने करने की अफवाहों के चलते अखलाक (50) की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी।
15 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में अभियोजन वापस लेने के लिए एक आवेदन दिया था, जिसमें अखलाक के परिजनों द्वारा आरोपी के नाम लेने के संबंध में कथित तौर पर असंगत बयानों, आरोपी से कोई आग्नेयास्त्र या धारदार हथियार बरामद न होने, और आरोपी और पीड़ित के बीच किसी भी प्रकार की दुश्मनी या शत्रुता के न होने जैसे कारण बताए गए थे।
इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अब मूल रूप से वही तर्क दिया है जो दो आरोपियों ने पहले प्रस्तुत किया था। इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को बताया कि मोहम्मद अखलाक की लिंचिंग के आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए दायर आवेदन में उत्तर प्रदेश सरकार ने वही तर्क दिया है जो दो आरोपियों ने आठ साल से अधिक समय पहले जमानत के लिए सफलतापूर्वक आवेदन करते समय दिया था।
28 सितंबर 2015 को, गांव के मंदिर से यह घोषणा होने के बाद कि उसने एक गाय की बलि दी है। जिसके बाद उसके घर के बाहर भीड़ जमा हो गई। अखलाक और उसके बेटे दानिश, जिन्होंने बीच-बचाव करने की कोशिश की। उनको उनके घर से घसीटकर बाहर निकाला गया और तब तक पीटा गया जब तक वे बेहोश नहीं हो गए। अखलाक की बाद में नोएडा के एक अस्पताल में मौत हो गई, जबकि दानिश गंभीर सिर की चोटों और एक बड़ी सर्जरी के बाद बच गया।
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पुलिस ने अखलाक की पत्नी इकरामन की शिकायत के आधार पर जार्चा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 323 (हमला), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) आदि के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।
पुलिस ने 23 दिसंबर, 2015 को सूरजपुर की मजिस्ट्रेट अदालत में लिंचिंग के सिलसिले में एक नाबालिग समेत 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। हालांकि, आरोप पत्र में गाय के मांस का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया था, क्योंकि उस समय अंतिम फोरेंसिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी।
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