भारत और न्यूजीलैंड के बीच 18 जून से इंग्लैंड के साउथम्प्टन स्थित द रोज बाउल में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाना है। न्यूजीलैंड की टीम ने हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज 1-0 के अपने नाम की है। न्यूजीलैंड ने लॉर्ड्स में खेला गया टेस्ट ड्रॉ कराया था, जबकि बर्मिंघम में उसने 8 विकेट से जीत हासिल की थी। वहीं, विराट कोहली की सेना साउथम्प्टन में बॉयो-बबल के अंदर नेट प्रैक्टिस तक ही सीमित है। फाइनल मैच के दौरान टीम इंडिया के लिए यह बात निगेटिव जा सकती है।

निःसंदेह तेज गेंदबाजी न्यूजीलैंड की मजबूती है। उसने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट में इसका मुजाहिरा भी पेश किया था। वह भी तब जब उस मैच में ट्रेंट बोल्ट भी नहीं खेले थे। उस मैच में टिम साउदी, काइल जैमीसन, नील वैगनर और कॉलिन डीग्रैंडहोम ने अपनी स्विंग गेंदबाजी के कारण इंग्लैंड के बल्लेबाजों को काफी छकाया। तेज गेंदबाजी में हालांकि, भारत के इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह भी बहुत पीछे नहीं है। वे 2018 में इंग्लैंड दौरे पर खुद को साबित भी कर चुके हैं। कोहली के पास उमेश यादव, मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर भी मजबूत बैक-अप विकल्प के रूप में हैं।

टीम इंडिया के मुकाबले न्यूजीलैंड का स्पिन विभाग कमजोर है। रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर की बल्लेबाजी क्षमता भी भारत के लिए एक प्लस पॉइंट है। साउथम्प्टन का मौसम भी भारतीय स्पिनर्स के लिए मददगार साबित हो सकता है। साल 2018 में इंग्लैंड के मोइन अली की ऑफ स्पिन के आगे भारतीय बल्लेबाजों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था।

साल 2020 में न्यूजीलैंड दौरे पर गई टीम इंडिया की बल्लेबाजी में बहुत गहराई नहीं दिखी थी। इस बार ऋषभ पंत न्यूजीलैंड के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। हालांकि, ट्रेंट बोल्ट और नील वैगनर के खिलाफ खेलते हुए उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। पंत के बल्लेबाजी के लिए उतरने से पहले सभी दाएं हाथ के बैट्समैन (रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे) ही हैं। भारतीय टीम अगर दो स्पिनर्स के साथ मैदान में उतरती है तो न्यूजीलैंड के लिए यह इंग्लैंड के मुकाबले पूरी तरह से अलग चुनौती होगी।