आत्माराम भाटी

भारत साल 2023 की शुरुआत में वैश्विक स्तर की हाकी प्रतियोगिता के बाद मुक्केबाजी दुनिया की सबसे बड़ी प्रतियोगिता आइबीए महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता के 13वें संस्करण की मेजबानी 15 मार्च यानी कल से दिल्ली के इंदिरा गांधी खेल कांपलेक्स में शुरू कर चुका है, जो 26 मार्च तक चलेगी।

भारत को तीसरी बार मिला मेजबानी करने का अवसर

भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका में 2001 में पहली बार शुरू हुई इस वैश्विक प्रतियोगिता की 2006, 2018 बाद तीसरी बार मेजबानी करने का अवसर मिला है, क्योंकि अब तक कोई भी देश तीन बार मेजबानी नहीं कर सका है। रूस 2005 व 2019 व चीन 2008 व 2012 दो-दो बार मेजबानी कर चुके हैं। इस बार कि प्रतियोगिता में 74 देशों के 350 यानी अब तक के सबसे ज्यादा मुक्केबाज भाग लेंगी।

पिछली बार 73 देशों की 310 मुक्केबाजों ने भाग लिया था

पिछली बार 73 देशों की 310 मुक्केबाजों ने भाग लिया था। भारत की 12 महिला मुक्केबाज सभी 12 भार वर्ग में रिंग में अपना जलवा दिखाने उतरेंगी। लेकिन सबसे बड़ी उम्मीद पिछले साल इस्तांबुल, तुर्की में फ्लाइट वेट वर्ग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली 50 किलो भार वर्ग में उतरने वालीं निकहत जरीन से है। भारत की पदक की उम्मीद निकहत के साथ असम की 25 साल की तोक्यो ओलिंपिक 2020 के साथ दो बार 2018 व 2019 में विश्व चैम्पिनशिप में ही कांस्य जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन से भी है कि वे घर में अपने पदक का रंग सोने में बदल पाने में कामयाब होंगी। लवलीना ने कहा भी है कि उसने विजेता बनने के लिए अपना सौ फीसद देने के लिए कड़ी मेहनत की है। उसे उम्मीद है कि इस बार भार वर्ग 75 किलो भार वर्ग होने से भी उसे फायदा जरूर मिलेगा जिसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी, क्योंकि तीन कांस्य 69 किलो भार वर्ग में मिले थे।

IBA
निकहत जरीन

इस बार प्रतियोगिता में भारत की तरफ से जो 12 महिला मुक्केबाज रिंग में उतर रही हैं, उनमें हरियाणा राज्य की आठ मुक्केबाज हैं। इनमें भी पांच मिनी क्यूबा नाम से प्रसिद्ध भिवानी शहर की हैं,जबकि दो हिसार व एक कैथल की है। भिवानी से 2022 राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक विजेता नीतू घनघास व कांस्य पदक विजेता जैस्मीन लेंबोरिया, 2022 में एशियाई प्रतियोगिता में कांस्य पदक विजेता प्रीति पंवार, यूथ विश्व विजेता साक्षी चौधरी, राष्ट्रीय विजेता नूपुर स्योरण हैं। 2022 में ही विश्व प्रतियोगिता में कांस्य जीतने वालीं कैथल की मनीषा मौन है तो मौजूदा एशियाई व राष्ट्रीय विजेता स्वीटी बुरा तथा शशि चौपड़ा हिसार से हैं।

सबकी निगाहें इन हरियाणवी रिंग की रानियों के मुक्केबाजी के उस दमदार पंच से है जो देश की झोली में ज्यादा से ज्यादा पदक डालें। इनके अलावा सनामाचा चानू के साथ मंजू बंबोरिया जो चार साल पहले दक्षिण एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता है पर भी निगाहें रहेंगी। लेकिन सबसे ज्यादा उम्मीद की किरण देश के पूर्वोतर राज्य से आने वाली पहाड़ों की चढ़ाई से मुक्केबाजी की रिंग में उतर कर विश्व स्तर पर देश का नाम करने वाली लवलीना बोरगोहेन व गत विजेता निकहत जरीन से है कि वे हर हाल में रिंग में अपनी विरोधियों को अपने दमदार पंच से धराशायी कर देश के नाम स्वर्ण पदक जीतें।

बाकी अन्य मुक्केबाजों से भी आशा है कि वे भी अपने दमदार पंच से पदकों की संख्या में बढ़ोतरी कर 74 देशों की सूची में प्रथम तीन में भारत का नाम दर्ज करवा दें तो बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। हालांकि मुक्केबाजी के गढ़ कहे जाने वाले अब तक सर्वाधिक 60 पदक जीतने वाला रूस, 50 पदक जीतने वाला चीन, 35 पदक अपने नाम करने वाला तुर्की के विश्वस्तरीय मुक्केबाजों के सामने 39 पदक जीत कर पदक तालिका में चौथे स्थान पर विराजमान भारतीय मुक्केबाजों के लिए इतना आसान नहीं रहने वाला है।

वैसे भी इस प्रतियोगिता में कुल आठ ओलंपिक पदक विजेता भाग ले रही हैं जिनके पंच का सामना करना आसान नहीं होगा। फिर भी अब तक हुए 12 संस्करणों में 10 स्वर्ण सहित 39 पदक भारत के नाम हैं और अपने घर में भारतीय मुक्केबाज उनकी संख्या दो-तीन स्वर्ण के साथ कुल पदकों की संख्या 45 तक पहुंचा दें तो बड़ी उपलब्धि होगी। भारत में पुरुष विश्व चैम्पियनशिप अभी तक नहीं हुई है, जबकि महिलाओं की तीसरी बार हो रही है। इस आयोजन के मद्देनजर बीएफआइ अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि इस प्रतियोगिता में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने के लिए हमारी खिलाड़ियों को हर संभव सहयोग हमने दिया है।

हमारी मुक्केबाज कितने भी पदक जीते, लेकिन एक बात पक्की है कि इस वैश्विक प्रतियोगिता के आयोजन जिसमें दुनिया की दिग्गज मुक्केबाज भाग ले रही हैं, उनके मुकाबले देखने के बाद देश के युवा मुक्केबाजों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और भारत की साख भी मुक्केबाजी की दुनिया में बढ़ेगी। बारह दिन तक चलने वाली इस प्रतियोगिता के शुभंकर का नाम चीते के नाम पर वीरा रखा गया है, जिसका अनावरण केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पिछले दिनों किया।

अब देखना है कि भारतीय मुक्केबाजी रिंग की महारानी और छह बार की विश्व विजेता एमसी मेरीकाम से प्रेरणा लेते हुए इस वैश्विक प्रतियोगिता में भारतीय लाडलियां भी शुभंकर के अनुरूप अपने विरोधियों पर वीरता, शौर्य, साहस और ताकत के साथ अपने पंच बरसा कर देश के नाम कितने पदक करने में कामयाब होती है।