आत्माराम भाटी
ओलंपिक व एशियाई खेलों के बाद खेल जगत का तीसरा महाकुंभ राष्ट्रमंडल खेलों का 22वां संस्करण बर्मिंघम में 28 जुलाई को भारतीय समयानुसार आधी रात को रंगारंग उद्घाटन समारोह होने के बाद अपना आधा सफर पूरा कर चुका है। इन खेलों के चार दिनों के सफर में भारतीय खिलाड़ियों ने खासकर भारोत्तोलकों व जूडो खिलाड़ियों ने अपने दमखम से 3 स्वर्ण, 3 रजत व 3 कांस्य सहित कुल 9 पदक भारत के नाम कर दिए। पहले चार दिन में पदकों के लिहाज से भारात्तोलकों ने 3 स्वर्ण, 2 रजत व 2 कांस्य के साथ 7 पदक भारत के नाम किए। 1 रजत व 1 कांस्य जुड़ाको ने जीते।
1934 लंदन राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार पदार्पण करने वाले भारत ने इस बार के खेलों में इसी आशा में 106 पुरुष व 104 महिला कुल 210 खिलाड़ियों पर तोक्यो ओलिंपिक के बाद 77 करोड़ इनके विदेश व देश में प्रशिक्षण व खेल उपकरणों पर खर्च कर इन्हें 16 खेलों में उतारा है, ताकि अंग्रेजों से 75 साल पहले मिली आजादी का अमृत महोत्सव उनके घर में आयोजित खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक भारत के नाम कर मना सके।
इसलिए सरकार व देश के खेल प्रेमियों की निगाहें इन खिलाड़ियों पर विशेष रूप से हैं कि क्या इस बार बर्मिंघम में ये खिलाड़ी 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक सबसे ज्यादा 38 स्वर्ण, 27 रजत व 36 कांस्य के साथ जीते 101 पदकों के रेकार्ड को धराशायी कर नया इतिहास बना कर लौटेंगे।
लेकिन यह इतिहास बना कर लौटना इस बार इतना आसान नहीं रहने वाला है। क्योंकि इन खेलों में भारत ने अब तक जिस खेल निशानेबाजी में सबसे ज्यादा पदक जीते हैं, वह इस बार शामिल नहीं है।
यही नहीं तीरंदाजी में भी ज्यादा पदकों की संभावना थी, वह भी नहीं है। ऐसे में 181 स्वर्ण, 173 रजत और 149 कांस्य कुल 503 पदकों में सबसे ज्यादा 63 स्वर्ण, 44 रजत व 26 कांस्य कुल 135 पदक भारत की झोली में डालने वाले खेल निशानेबाजी का न होना भारत के पदक तालिका में पहले तीन स्थान प्राप्त करने में मुश्किलें पैदा करेगा।
ऐसे में सबसे ज्यादा पदक की उम्मीद वाले खेलों कुश्ती, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस के साथ एक या दो पदकों तक सिमटे खेल हाकी व क्रिकेट के दम पर 101 पदकों के लक्ष्य को भेदना भारतीय खिलाड़ियों के लिए आसान नहीं रहेगा। इस बार के इन खेलों में पदक जीतने का सिलसिला शुरू किया महाराष्ट्र के 21 वर्षीय संकेत महादेव सरगर ने जिन्होंने 55 किलो भारवर्ग में स्रैच में 113 और क्लीन एवं जर्क में 135 कुल 248 किलो भार उठा देश के नाम पदकों की शुरुआत स्वर्ण पदक से करने की पूरी कोशिश की, लेकिन क्लीन व जर्क के दूसरे अवसर पर नसों में खिंचाव के कारण स्वर्ण जीतने वाले से एक किलो कम भार कम होने से रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। संकेत के बाद निगाहें गत राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य जीतने वाले गुरुराजा पुजारी पर थी, लेकिन 61 किलो भार वर्ग में पुजारी स्रैच में 118 व क्लीन व जर्क में 151 कुल 269 किलो भर उठा इस बात भी कांस्य ही जीत पाए।
खेलों के दूसरे दिन के समापन से पहले भारत के खाते में स्वर्ण पदक आना पक्का था। यह पदक नाम करने वाली थीं तोक्यो ओलिंपिक 2020 की रजत विजेता, राष्ट्रमंडल खेल 2014 में रजत व 2018 में स्वर्ण जीतने वाली भारोत्तोलक मीराबाई चानू। चानू ने निराश भी नहीं किया और 49 किलो भार वर्ग में स्रैच में 88 किलो वजन उठाकर राष्ट्रीय रेकार्ड व क्लीन व जर्क में 113 किलो कुल 201 किलो वजन उठाते हुए राष्ट्रमंडल खेल व राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप का नया रेकार्ड बनाते हुए पहला स्वर्ण पदक भारत के नाम कर खुशी भर दी।
दूसरे दिन की समाप्ति से पहले भारत के नाम एक और रजत पदक किया 55 किलो भार वर्ग में मणिपुर में खेती करने व किराना की दुकान चलाकर अपने परिवार का ध्यान रखने वाले की बेटी बिंदियारानी देवी ने। उन्होंने स्रैच में 86 व क्लीन व जर्क में 116 कुल 202 किलो भार उठाकर संकेत की तरह अपने विरोधी से दूसरे अवसर पर 114 किलो भार न उठाने के कारण एक किलो के अंतर से स्वर्ण से चूक गर्इं।
भारोत्तोलन में पदक का सिलसिला तीसरे दिन भी जारी रहा जब 19 साल के 2016 में विश्व यूथ चेम्पियनशिप में रजत, 2017 में राष्ट्रमंडल जूनियर में स्वर्ण, 2018 में युवा यूथ ओलिंपिक स्वर्ण व 2021 में राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में स्वर्ण अपने नाम कर चुके जेरेमी लालरीननुंगा ने 67 किलो भार वर्ग में अपने विरोधियों से स्रैच में ही 140 भार उठाकर 10 अंकों की बढ़त बना स्वर्ण की अपनी दावेदारी पेश कर दी। क्लीन व जर्क में पहले अवसर में 156 व दूसरे में 160 से कुल 300 किलो भार उठाने के बाद जेरेमी ने स्वर्ण पक्का करते हुए जतला दिया कि उनकी तैयारी पर सरकार ने 36 लाख लगाए हैं वह बेकार नहीं होने देंगे। हालांकि दूसरे व तीसरे अवसर पर उन्हें चोट लगी लेकिन हार नहीं मानी और देश के नाम दूसरा व भारोत्तोलन में 5वां पदक पक्का कर दिया।
जेरेमी के बाद तीसरे दिन के खेलों में भारत की झोली में एक और स्वर्ण पदक डाला पश्चिम बंगाल के देउलपुर के रहने वाले अंचित श्युली ने। मात्र आठ साल की उम्र में पिता के देहांत के बाद परिवार के पालन पोषण के लिए कढ़ाई का काम करके जिम्मा उठाने वाले अंचित ने स्रैच में 143 व क्लीन व जर्क में 170 कुल 313 किलो भार उठाकर तीसरा स्वर्ण पदक देश के नाम कर नया इतिहास बना दिया।
भारत के लिए चौथे दिन एक रजत व दो कांस्य पदक भारोत्तोलन व जुडो खिलाड़ियों ने जीते। जुडो खिलाड़ी सुशीला देवी ने 48 किलो भार वर्ग में फाइनल में पहुंच स्वर्ण की उम्मीद जगाई, लेकिन फाइनल में दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी पर पार नहीं पा सकीं और इन खेलों में 2014 के बाद दूसरा रजत पदक अपने नाम किया । वहीं 60 किलो भार वर्ग में जुडो खिलाड़ी विजय कुमार ने कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। चौथे दिन का तीसरा पदक भारोत्तोलक हरजिंदर कौर ने 71 किलो भार वर्ग में स्रैच में 93 व क्लीन व जर्क में 119 कुल 212 किलो भार उठा कांस्य पदक के रूप में जीत कर भारत के कुल पदकों की संख्या को 9 तक पहुंचाया।
टेबल टेनिस में गत विजेता भारत को टीम मुकाबले में मलेशिया से आश्चर्यजनक रूप से हार का सामना करना पड़ा जबकि मलेशिया की टीम में कोई भी विश्व रैंकिंग खिलाड़ी नहीं था। पुरुष टीम ने सेमीफाइनल में नाइजीरिया को 3-0 से हरा फाइनल में कदम रख पदक पक्का कर दिया जहां उसे स्वर्ण के लिए सिंगापुर से भिड़ना है।
मुक्केबाजी में पांच बार के एशियन चैम्पियनशिप विजेता 28 साल के शिव थापा ने 63.5 किग्रा वेट कैटगरी के अपने पहले मुकाबले में पाकिस्तान के सुलेमान बलोच को 5-0 से शिकस्त देने के बाद दूसरे मुकाबले में हारकर बाहर हो गए। लेकिन निखत जरीन व लवलीना बोरेगोहन ने क्वार्टरफाइनल में पहुंच पदक की उम्मीद बरकरार रखी। 1998 के बाद राष्ट्रमंडल खेलों में वापस शामिल हुए क्रिकेट खेल में अपने पहले मैच में भारतीय महिला टीम को स्वर्ण पदक की दावेदार आस्ट्रेलिया के हाथों 3 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन दूसरे मैच में पाकिस्तान को 8 विकेट से हराकर जीत का सफर शुरू किया।