तुषार भादुरी। टीम इंडिया ने वनडे वर्ल्ड कप 2023 में अपने शानदार अभियान की शुरुआत चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया को हराकर की थी। चेपक में ऑस्ट्रेलिया की हार की वजह से अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम ने स्लो पिच चुना गया। इसका खामियाजा टीम इंडिया को भुगतना पड़ा। परिणाम अलग रहा, लेकिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम में चेन्नई का रिप्ले देखने को मिला। चेपक में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया था। अच्छी शुरुआत के बाद टीम बिखर गई और भारत को 199 रन का टारगेट दिया।
फाइनल में भारत के साथ भी यही हुआ। रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम ने अच्छी शुरुआत के बाद दबाव में आ गई और 240 रन ही बना सकी। चेन्नई में खेले गए भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच ग्रुप स्टेज मैच में 199 रन का टारगेट चेज करते हुए परेशानी में थी। टीम ने 2 रन पर ही 3 विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद विराट कोहली और केएल राहुल ने भारत को संभाला था और टीम इंडिया 6 विकेट से जीती थी। कुछ ऐसा ही नरेंद्र मोदी स्टेडियम में देखने को मिला। कंगारू टीम ने 47 रन पर 3 विकेट गंवा दिए थे।
चेन्नई वाली गलती अहमदाबाद में
इसके बाद ट्रेविस हेड और मार्नस लाबुशेन ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को संभाला और 6 विकेट से जीत दर्ज की। चेन्नई में भले ही भारत को जीत मिली थी, लेकिन वह कंगारू तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन से डर गई थी। विराट कोहली का कैच जोश हेजलवुड की गेंद पर पकड़ा गया होता तो उसका स्कोर 20 रन पर 4 विकेट हो सकता था। इसके बाद नतीजा कुछ और हो सकता था। यही वजह था फाइनल पाकिस्तान के खिलाफ मैच में इस्तेमाल किए गए पिच पर खेला गया। पाकिस्तान की टीम भी अच्छी शुरुआत के बाद बिखर गई थी। 115 पर 3 विकेट से 191 रन पर ऑल आउट हो गई थी। यानी पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम हालत खराब होनी ही थी।
क्यों इस्तेमाल की हुई पिच पर हुआ फाइनल
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार फाइनल से पहले भारतीय थिंक टैंक इस बात से चिंतित था कि अगर स्पिनर्स के लिए स्वर्ग चेपक में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज परेशान कर सकते हैं, तो अगर परिस्थितियां थोड़ी भी कंगारुओं के पक्ष में रहीं तो परिणाम उलट हो सकता है। यही कारण है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने उस पिच को चुना जो पाकिस्तान के खिलाफ मैच के लिए इस्तेमाल की गई थी।
रोहित ने बिगाड़ी गेंदबाजों की लेंथ
स्लो पिच ऑस्ट्रेलिया के लिए खतरनाक थी। पिच में गति न होने से रोहित शर्मा को पहले पावरप्ले के दौरान विपक्षी टीम पर आक्रमण करने में मदद मिल रही थी। पिच से सीमर्स को ज्यादा गति या मूवमेंट नहीं मिलने के कारण रोहित ने थ्रू द लाइन खेलने का जोखिम उठाया। वह गेंदबाजों की लेंथ को बिगाड़ने के लिए डाउन द ट्रैक आए।
रणनीति उल्टी पड़ गई
रोहित ने जो तेज शुरुआत दी। उससे बाद के बल्लेबाजों को रन रेट के बारे में ज्यादा चिंता किए बिना टिकने का मौका मिला। फाइनल में भी, पहले 10 ओवरों के बाद भारत के 80 रन तक पहुंचने का मुख्य कारण रोहित ही थे, भले ही इस दौरान उन्होंने तीन विकेट खो दिए। यहां रणनीति उल्टी पड़ गई क्योंकि ट्रैक भारत की उम्मीद के हिसाब से बहुत सुस्त हो गया।
लाइट्स में बल्लेबाजी के लिए बेहतर हो गई पिच
भारतीय बल्लेबाजों को दोपहर में कटर, धीमी गेंदों, ऑफ-स्पीड बाउंसर और हार्ड-लेंथ गेंदों के खिलाफ संघर्ष करते देखा गया। लाइट्स में बल्लेबाजी करने के लिए यह पिच काफी बेहतर हो गई। सूरज की रोशनी में विराट कोहली-केएल राहुल की साझेदारी को उस समय की तुलना में कहीं अधिक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जब ट्रैविस हेड और मानुस लाबुशेन ने शाम को भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाए।
ऑस्ट्रेलियाई टीम तैयार थी अहमदाबाद की चुनौती के लिए
आस्ट्रेलियाई टीम को पता था कि फाइनल में उसे किस प्रकार की पिच की मिलेगी। वह चुनौती के लिए अच्छी तरह से तैयार थे। दूसरी ओर मेहमान टीम इस तरह की पिच से तालमेल नहीं बिठा पा रही थी। मेजबान टीम ने अपने लीग मैच ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई, लखनऊ, अहमदाबाद और कोलकाता की स्पिन-अनुकूल पिच पर खेले।
पूरे टूर्नामेंट पिच जांचते रहे द्रविड़
श्रीलंकाई के पास सीम आक्रमण बहुत मजबूत नहीं था तो उसके साथ मैच मुंबई में हुआ। जहां शाम के समय बल्लेबाजी करना कठिन था। हर वेन्यू पर मुख्य कोच राहुल द्रविड़ पिच की बारीकी से जांच करते हुए दिखे। इसके अलावा यह खबर भी सामने आई कि भारतीय टीम मैनेजमेंट किस विपक्षी टीम के खिलाफ कैसी विकेट की डिमांड कर रहा है।