मनीष कुमार जोशी
विम्बलडन टेनिस की दुनिया का सरताज है। विम्बलडन एक शाही टूर्नामेंट है जहां सबकुछ अनुशासित होता है। यहां सफेद कपड़ों में टेनिस खेला जाता है। यह दूसरे ग्रैंड स्लेम से बिलकुल अलग है क्योंकि यह ग्रास कोर्ट पर खेला जाता है। यहां जीतने के लिए अलग तरह के कौशल की आवश्यकता होती है। इस बार विम्बलडन प्रशासन ने रूस और बेलारूस के खिलाडियों के खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। लिहाजा पुरुषों में दुनिया के नंबर दो खिलाड़ी मेदवदेव और महिलाओं में दावेदार अंजारेका नहीं खेल पाएंगी।
पुरुषों में राफेल नडाल प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। 14वां रोलां गैरांस और 22 ग्रैंड स्लेम ने जीतने के बाद नडाल का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। वैसे रोलां गैरासं के जूते को विम्बलडन में बदलना आसान काम नहीं है। विम्बलडन की सतह बिलकुल अलग है। ऐसे में नडाल के लिए कामयाबी आसान नहीं होगी। जोकोविच विम्बलडन के प्रबल दावेदारों में से एक हैं। वे विम्बलडन जीतकर नडाल के सर्वाधिक ग्रैंड स्लेम खिताब जीतने के अंतर को कम करना चाहेंगे। पांच बार के चैम्पियन जोकोविच को ग्रास कोर्ट पर हराना आसान नहीं है। दुनिया के 7 नंबर के खिलाड़ी कार्लोस अल्कारेज भी दावेदारों में है।
मियामी ओपन और मैड्रिड ओपन जीतकर उन्होंने अपनी संभावनाएं बढ़ाई हैं। कैस्पर रूड और ज्वरेव भी दावेदारो में हैं। ग्रास कोर्ट पर चैम्पियन का अंदाजा लगाना जोखिम का काम होता है। इसी तरह से बेरिटीनी और सिटसिपास भी चैम्पियन बनने की कुव्वत रखते है। कुल मिला कर पुरुष वर्ग में युवा और उम्रदराज के बीच टक्कर है।
महिलाओं में स्थिति एकदम साफ है। दुनिया की नंबर एक खिलाडी ईगा स्वातेक खिताब की प्रबल दावेदार हैं। बैटिंग साईटो पर सबसे बडा दांव ईगा स्वातेक पर लगाया जा रहा है। वे सबसे युवा दावेदारों में से एक है। वे दो ग्रैंड स्लेम जीत चुकी हैं। रोलां गैरासं जीतने के बाद उसका आत्मविश्वास ऊंचा है। उनकी कमजोरी है कि ग्रास कोर्ट पर उनकी कोई खास उपलब्धि नहीं है। उनके पीछे हैं कौरी गाफ। रोलां गैरासं के फाइनल में स्वातेक से गाफ हारीं थीं। स्वातेक के बाद गाफ को बड़ा दावेदार माना जा रहा है परन्तु उनको भी अभी ग्रास कोर्ट पर सिद्ध करना है।
हार्डकोर्ट पर कई टूर्नामेंट जीतकर वे अपने आपको साबित कर चुकी हैं। नावोमी ओसाका को एक समझदारी भरा दावेदार माना जा सकता है। वर्ष 2018 से वे लगातार हर साल एक ग्रैंड स्लेम जीतती आई हैं परन्तु इस साल उसका प्रदर्शन अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा है। साल के पहले दो ग्रैंड स्लेम के फाइनल में वे नहीं पहुंच पाईं । रोमानिया की सिमोन हैलप को भी एक मजबूत दावेदार माना जा सकता है। इस बार महिला वर्ग में सबसे आकर्षण का केन्द्र होंगी सेरेना विलिम्यस। 40 वर्षीय सेरेना को वाइल्ड कार्ड के जरिये प्रवेश मिला है। सेरेना ने वर्ष 2016 के बाद कोई टूर्नामेंट नहीं जीता है। अब वे एक बार फिर हाथ आजमा रही हैं। विम्बलडन उसका पसंदीदा टूर्नामेंट रहा है।
भारतीय खिलाड़ियों से कोई खास उम्मीदे नहीं की जानी चाहिए। सानिया मिर्जा अपना संभवत: अंतिम विम्बलडन खेल रही हैं। युगल में सानिया मिर्जा अपने फेयरवेल में खिताब के नजदीक पहुंच सकती हैं। रोहन बोपन्ना यदि खेलते हैं तो वे युगल में कुछ कमाल कर सकते हैं। यूके भांबरी और रामकुमार क्वालिफाई क्लियर करते हैं तो मुख्य ड्रा में स्थान पा सकते हैं। कुल मिलाकर इस बार विम्बलडन बहुत खास होने वाला है। मुकाबला युवा और अनुभवी खिलाड़ियों के बीच होगा।