विराट कोहली के खराब फॉर्म के साथ उनकी कप्तानी इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। खबरें आर्इं कि आगामी टी-20 विश्व कप के बाद वे सीमित ओवर की कप्तानी छोड़ सकते हैं। नए कप्तान के रूप में रोहित शर्मा का नाम आया। हालांकि, भारतीय क्रिकेट बोर्ड के एक अधिकारी ने इन खबरों को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया। अब सवाल है कि बगैर आग लगे धुआं तो उठता नहीं। तो फिर विराट की कप्तानी में ऐसा क्या हुआ जिससे लगा कि टीम इस शानदार खिलाड़ी के नेतृत्व क्षमता में आगे नहीं बढ़ रही।
दरअसल, सीमित ओवरों के टूर्नामेंट में विराट ने बतौर बल्लेबाज ठीकठाक प्रदर्शन किया है लेकिन कप्तान के तौर पर ज्यादा सफल नहीं रहे हैं। यही कारण है कि भारतीय टीम की कमान ‘हिटमैन’ यानी रोहित को सौंपने की चर्चा हो रही है। विराट को 2017 में सीमित ओवर की टीम का कप्तान बनाया गया। अभी तक उनकी अगुआई में टीम 45 टी-20 मैचों में से 27 में सफल रही। दो मुकाबलों के परिणाम नहीं आ सके और दो टाई रहे। वहीं एकदिवसीय मैचों में कोहली की कप्तानी में 95 बार टीम मैदान पर उतरी और 65 मैच जीतने में सफल रही। 27 मैचों में हार मिली। एक मुकाबला टाई रहा तो दो के परिणाम नहीं निकल सके।
2017 में ही रोहित शर्मा को पहली बार भारतीय टीम की कप्तानी करने का मौका मिला। उस समय श्रीलंका के खिलाफ घरेलू शृंखला में विराट कोहली को आराम दिया गया और रोहित को कमान सौंपी गई। भारत ने यह एकदिवसीय शृंखला 2-1 से जीती थी। 2018 में रोहित ने अपनी कप्तानी में भारत को पहले निदहास ट्रॉफी जिताई और उसके बाद उसी साल एशिया कप जीत दिलाने में सफल रहे। अभी तक 19 अंतरराष्ट्रीय टी-20 में भारतीय ओपनर ने कप्तानी करते हुए 15 में जीत दर्ज की, जबकि सिर्फ चार में टीम को हार का सामना करना पड़ा। एकदिवसीय प्रारूप में भी रोहित ने 10 मैचों में कप्तानी करते हुए आठ में सफलता हासिल की।
आइपीएल में भी कप्तान कोहली फेल
इसमें दो राय नहीं कि विराट में बल्लेबाजी कौशल कूट-कूट कर भरा है। वे फॉर्म में हों तो किसी भी पिच पर किसी भी गेंदबाज की बखिया उधेड़ दें। हालांकि यह भी सच है कि कुछ साल में उनकी बल्लेबाजी का ग्राफ थोड़ा नीचे आया है। यह एक बड़ा कारण है कि उनकी कप्तानी को लेकर भी सुर्खियां बन रही हैं। इंडियन प्रीमियर लीग में विराट को 2012 में रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु की कमान सौंपी गई थी। हालांकि नौ साल में एक बार भी वे टीम को खिताब नहीं दिला सके। 2016 एकमात्र ऐसा साल रहा जब आरसीबी की टीम फाइनल में पहुंची। वहीं उनके सामने जिस प्रतिद्वंद्वी की चर्चा हो रही है, उन्होंने तो प्रीमियर लीग में कमाल कर दिखाया है। उनकी कप्तानी में मुंबई इंडियंस की टीम पांच बार चैंपियन बन चुकी है। 2013 में जब आॅस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान से जिम्मेदारी रोहित को दी गई तब किसी ने नहीं सोचा था कि वे इस तरह का कमाल करेंगे। लेकिन, रोहित ने साल दर साल अपनी बल्लेबाजी और नेतृत्व क्षमता को निखारा और आइपीएल के सबसे सफल कप्तान बन गए।
आइसीसी ट्रॉफी नहीं जीतने का दाग
विराट कोहली में भले ही क्लाइव लॉयड, रिकी पोंटिंग, ग्रीम स्मिथ और एमएस धोनी जैसे सर्वश्रेष्ठ कप्तानों के गुण देखने को मिलते हैं लेकिन उनके नाम अब तक आइसीसी की कोई बड़ी ट्रॉफी नहीं है। विराट की कप्तानी में भारत को 2017 की आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल, 2019 के एकदिवसीय विश्व कप के सेमी फाइनल और विश्व टैस्ट चैंपियनशिप 2021 के फाइनल में हार मिली। क्रिकेट विशेषज्ञों की मानें तो विराट में सफल होने के सारे गुण हैं। बस समय उनके साथ खड़ा नहीं है। वे कहते हैं 70-80 के दशक में क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली वेस्ट इंडीज का दबदबा देखने को मिला। उसके बाद रिकी पोंटिंग के रूप में दुनिया को एक निडर और शक्तिशाली कप्तान मिला। उसी दौरान ग्रीम स्मिथ की अगुआई वाली दक्षिण अफ्रीका ने भी अपना दमखम दिखाया। 2007 से शुरू हुआ महेंद्र सिंह धोनी का युग और उसके बाद विश्व क्रिकेट ने कोहली का विराट रूप देखा।
धोनी के नक्शे कदम पर कोहली
कोहली जिस बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं उसमें लगातार फ्लॉप हो रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि वे अपनी बल्लेबाजी पर काम करना चाहेंगे। इसलिए माना जा रहा है कि वे धोनी के नक्शे कदम पर चलेंगे। यानी जिस तरह धोनी ने बल्लेबाजी पर ध्यान लगाने के लिए टैस्ट की कप्तानी छोड़ी थी उसी तरह कोहली भी अपना भार कम कर बल्लेबाजी पर ध्यान लगाएंगे। इसमें कुछ गलत भी नहीं। जिस तरह धोनी ने कोहली के साथ अपनी जिम्मेदारी बांटी थी। ठीक उसी तरह विराट भी रोहित के साथ जिम्मेदारी को साझा करने की राह पर हैं।
कप्तानी के दबाव में बल्लेबाजी पर असर
क्रिकेट पंडितों की मानें तो तीनों प्रारूप में कप्तानी के दबाव से विराट कोहली की बल्लेबाजी पर असर पड़ रहा है। टैस्ट में विराट ने अपना आखिरी शतक 2019 के नवंबर में लगाया था। इससे पता चलता है कि वे लंबे समय से अपने कौशल का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं। भारत को 2022 और 2023 के बीच दो विश्व कप (एकदिवसीय और टी-20) भी खेलने हैं। ऐसे में उनके लिए और टीम इंडिया के लिए भी जरूरी है कि वह अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करें। कोहली भी मान रहे हैं कि तीनों प्रारूपों की कप्तानी की जिम्मेदारी उनकी बल्लेबाजी पर भारी पड़ रही है। काम के बोझ को लेकर वे पहले भी कई बार बयान दे चुके हैं।
कौन है सर्वश्रेष्ठ
अंतरराष्ट्रीय पटल पर कोहली ने भारत को कई सफलताएं दिलाई हैं। जीत के फीसद को देखें तो उसमें भी वे काफी आगे हैं। एक तरफ भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में शामिल धोनी का जीत फीसद 53.61 रहा, तो अजहरुद्दीन ने 47.05 फीसद मुकाबले जीते। विराट की बात की जाए तो उनकी जीत फीसद 63.41 है। सौरव गांगुली की गिनती भी देश के सफल कप्तानों में की जाती है। दादा का जीत फीसद 49.48 रहा।
विराट से ज्यादा सफल रोहित
एकदिवसीय और टी-20 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम को सफलता रोहित की कप्तानी में ज्यादा मिली है। उनकी कप्तानी में एकदिवसीय मैचों में टीम का सफलता फीसद 80 है। वहीं विराट की कप्तानी में टीम 70.43 फीसद मैच जीतने में सफल हुई है। वहीं टी-20 में रोहित की कप्तानी में टीम ने 78.94 फीसद मैच जीते हैं। टी20 में विराट की कप्तानी में टीम इंडिया ने 60 फीसद मैच जीते हैं।