भारतीय क्रिकेट के चकाचौंध भरे मैदान में जहां हर चौका और छक्का दर्शकों के दिलों की धड़कन बढ़ा देता है, एक ऐसी कहानी है जो स्टेडियम की चमक-दमक से परे, घर की चारदीवारी में चुपके से लिखी जाती है। यह कहानी है पूजा पबारी की, जिन्होंने अपने पति भारतीय टेस्ट क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा के साथ उनके उतार-चढ़ाव भरे सफर को न केवल जिया, बल्कि उसे एक किताब – “The Diary of a Cricketer’s Wife” (HarperCollins) में बयां भी किया। यह किताब एक क्रिकेटर की पत्नी की भावनाओं के दस्तावेज है साथ ही उन अनकही कहानियों का आलम है, जो खेल की दुनिया में परिवार की भूमिका को उजागर करती हैं।
चयनकर्ता की वो कॉल
2023 में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की हार के बाद चेतेश्वर पुजारा को वह खबर मिली, जिसका डर हर क्रिकेटर को सताता है। चयनकर्ताओं ने उन्हें बताया कि टीम को अब युवा चेहरों की जरूरत है और वह इस नई योजना का हिस्सा नहीं होंगे। 100 से ज्यादा टेस्ट खेल चुके पुजारा के लिए यह एक बड़ा झटका था। जहां अन्य सीनियर खिलाड़ियों को खराब फॉर्म के बावजूद मौके दिए गए, वहीं पुजारा को लंबा मौका नहीं मिला।
चेतेश्वर ने अपनी आदत के मुताबिक चुप्पी साध ली लेकिन उनकी पत्नी पूजा का गुस्सा फूट पड़ा। क्यों सिर्फ चेतेश्वर को हार का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है? इतनी आलोचना क्यों झेलनी पड़ती है? क्यों न क्रिकेट को अलविदा कह दो? ये सवाल पूजा के मन में उमड़ते-घुमड़ते रहे। जवाब न होने के बावजूद, पूजा ने एक ऐसी बात कही, जो उनकी किताब का आधार बनी- “ये उतार-चढ़ाव सिर्फ तुम्हारे नहीं, हमारे-तुम्हारे परिवार के लिए भी हैं।”
WAGs: बस एक ग्लैमरस छवि?
क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ियों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स को ‘WAGs’ (Wives and Girlfriends) कहकर एक सीमित दायरे में बांध दिया जाता है। स्टेडियम के VVIP बॉक्स में बैठी ये महिलाएं खेल के माहौल के हिसाब से अपनी भावनाएं व्यक्त करती हैं, लेकिन उनकी अपनी कहानियां, उनकी चुनौतियां और उनके त्याग अक्सर अनसुने रह जाते हैं। पूजा की किताब इस रूढ़ि को तोड़ती है और क्रिकेटरों की पत्नियों की उस दुनिया को सामने लाती है, जहां अकेलापन, चिंता और जिम्मेदारियां उनकी निरंतर साथी होती हैं।
पूजा कहती हैं, “हमें हमेशा ग्लैमरस भूमिका में देखा जाता है, लेकिन हकीकत इससे बहुत अलग है। स्टेडियम में हंसी और तालियों के पीछे हमारे दिमाग में हजारों विचार उमड़ रहे होते हैं। कैमरे बार-बार हमारी ओर घूमते हैं लेकिन उसके बाद हमारी कहानी वहीं खत्म हो जाती है। कोई हमारी बात नहीं सुनता।”
घर की जंग और मैदान की जीत
पूजा की किताब में एक मार्मिक प्रसंग है, जो 2018-19 के ऐतिहासिक ऑस्ट्रेलिया दौरे का है। यह वह दौर था जब चेतेश्वर पुजारा ने चार टेस्ट में तीन शतक जड़कर भारत को ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज जीत दिलाई। लेकिन इस जीत के पीछे पूजा का एक अनकहा संघर्ष था। उसी दौरान, एक रात 2:30 बजे पूजा को उनके ससुर का फोन आया। उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय उनकी बेटी जो अभी एक साल की भी नहीं थी, उनके पास सो रही थी। पूजा ने तुरंत अपने ससुर को अस्पताल पहुंचाया, रिश्तेदारों को बुलाया और अपनी बेटी की देखभाल की व्यवस्था की। डॉक्टरों ने हार्ट एब्लेशन प्रक्रिया की सलाह दी।
लेकिन सुबह चेतेश्वर का प्री-मैच कॉल आया जो उनका सालों पुराना रिवाज था। पूजा ने अपनी सारी चिंताओं को छिपाते हुए सामान्य बात की। “हैमस्ट्रिंग कैसी है?” उन्होंने पूछा। चेतेश्वर ने कहा – “ठीक है,” “मैच के लिए शुभकामनाएं,” पूजा ने हल्की हंसी के साथ कहा लेकिन उनका मन भारी था।
चेतेश्वर को बाद में अपने पिता की हालत के बारे में बताया गया, जब वह सिडनी में अंतिम टेस्ट खेल रहे थे। उसी दिन पूजा अपने ससुर के साथ मुंबई के अस्पताल में थीं, और चेतेश्वर ने 193 रनों की शानदार पारी खेली। अस्पताल के लिफ्ट में कर्मचारी भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच देख रहे थे, बेखबर कि जिस बल्लेबाज की वे तारीफ कर रहे थे, उसका मन उसी अस्पताल में अटका था।
अनिश्चितताओं का खेल
क्रिकेट की दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है। पूजा लिखती हैं कि ऑस्ट्रेलिया में जीत के बाद वह अपने पति के स्वागत की तैयारी कर रही थीं लेकिन चेतेश्वर ने बताया कि वह सौराष्ट्र के रणजी क्वार्टर फाइनल के लिए कानपुर जा रहे हैं। यह पहली बार नहीं था। उनकी बेटी के जन्म के समय भी चेतेश्वर एक रणजी मैच के लिए बाहर थे।
लेकिन अब जब चेतेश्वर नियमित रूप से भारतीय टीम का हिस्सा नहीं हैं, वह अपने परिवार के लिए समय निकालने की कोशिश करते हैं। वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ते हैं और पूजा के किसी नए काम में उनकी मदद करने को तैयार हैं। पूजा कहती हैं, चेतेश्वर ने मेरी भूमिका को सराहा है। यह एहसास कि हम इस सफर में बराबर के भागीदार हैं, हर मुश्किल को सार्थक बनाता है।
एक जीत जो सिर्फ मैदान की नहीं
पूजा के लिए 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज सिर्फ चेतेश्वर की जीत नहीं थी। वह कहती हैं, मैं ऑस्ट्रेलिया नहीं गई थी लेकिन प्रशंसकों की खुशी और प्यार ने मुझे गर्मजोशी से भर दिया। चाहे मेरा योगदान कितना भी छोटा हो, यह जीत मेरी भी थी। हर जगह जो प्यार और सम्मान मिलता है, वह कृतज्ञता से भर देता है।