भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपनी खेल नियमों में संशोधन करते हुए आगामी घरेलू सत्र के लिए मल्टी डे फॉर्मेट मैचों में ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ नियम लागू किया है। इस नियम के तहत चोटिल खिलाड़ियों को बीच मैच में रिप्लेस किया जा सकेगा। यह कदम भारत और इंग्लैंड के बीच हाल में 2-2 से बराबर रही तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी टेस्ट सीरीज के दौरान ऋषभ पंत और क्रिस वोक्स के चोटिल होने के बाद उठाया गया है। 28 अगस्त से दलीप ट्रॉफी के साथ बीसीसीआई का नया घरेलू सीजन शुरू होगा।
राज्य संघों को सूचित किए गए नए नियम में कहा गया है, ‘‘अगर किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान गंभीर चोट लगती है तो नीचे दिए परिस्थितियों में खिलाड़ी को रिप्लेस करने की अनुमति दी जा सकती है। ’’ इसमें आगे कहा गया है, ‘‘यह गंभीर चोट खेल के दौरान और अनुच्छेद 1.2.5.2 में वर्णित खेल क्षेत्र के भीतर लगी होनी चाहिए।’’
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‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ कब मिलेगा
इसके अनुसार, ‘‘चोट किसी बाहरी झटके के कारण लगी होनी चाहिए और इसके परिणामस्वरूप फ्रैक्चर या गहरा कट या ‘डिस्लोकेशन’ (खिसकना) आदि हुआ हो। इस चोट के कारण खिलाड़ी बचे मैच के लिए अनुपलब्ध होना चाहिए। ’’ इसमें कहा गया, ‘‘ उस रिप्लेसमेंट खिलाड़ी पर विचार करें जो गंभीर चोट वाले खिलाड़ी के लिए लाइक टू लाइक रिप्लेसमेंट होगा।’’
मल्टी डे फॉर्मेट में लागू
यह नियम सीनियर और जूनियर घरेलू टूर्नामेंटों के मल्टी डे फॉर्मेट में लागू होगा और 28 अगस्त से दलीप ट्रॉफी और अंडर-19 सीके नायडू ट्रॉफी में इसकी शुरुआत होगी। पंत को मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट में रिवर्स स्वीप करने की कोशिश में पैर में फ्रैक्चर हो गया, जबकि वोक्स का कंधा ओवल में सीरीज के निर्णायक मैच में खिसक गया। इस घटना ने इस बात पर बहस फिर से छेड़ दी कि क्या खिलाड़ियों को गंभीर चोट लगने पर रिप्लेसमेंट की अनुमति दी जानी चाहिए। भारत के मुख्य कोच गौतम गंभीर इसके पक्ष में थे जबकि इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स इसके पक्ष में नहीं थे।
नियम 1.2.8.1 के तहत किसी खिलाड़ी को संबंधित मैच के दौरान गंभीर चोट लगती है तो इन परिस्थितियों में ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ की अनुमति दी जा सकती है:
1.2.8.1.1: गंभीर चोट खेल के दौरान और ऊपर अनुच्छेद 1.2.5.2 में वर्णित खेल क्षेत्र के भीतर लगी होनी चाहिए। चोट किसी बाहरी झटके के कारण लगी होनी चाहिए और फ्रैक्चर या गहरा कट या ‘डिस्लोकेशन’ आदि के कारण हुई होनी चाहिए। चोट के कारण खिलाड़ी बचे हुए मैच में भाग के लिए अनुपलब्ध होना चाहिए।
1.2.8.1.2: ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ की अनुमति पर निर्णय लेने का अंतिम अधिकार मैदानी अंपायर का होगा। वे बीसीसीआई मैच रेफरी या मैदान पर उपलब्ध डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
1.2.8.1.3: टीम मैनेजर बीसीसीआई मैच रेफरी को एक फॉर्म पर ‘‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ अनुरोध प्रस्तुत करेगा 1.2.8.1.3.1: गंभीर रूप से चोटिल खिलाड़ी की चोट का आंकलन करें।
1.2.8.1.3.2: उस घटना का उल्लेख करें, जिसमें गंभीर चोट लगी थी और जिसमें चोट लगने का समय भी शामिल है। 1.2.8.1.3.3: पुष्टि करें कि खिलाड़ी को गंभीर चोट लगी है और वह चोट के कारण मैच में आगे भाग नहीं ले पाएगा। 1.2.8.1.3.4: रिप्लेसमेंट के लिए अनुरोध किए गए खिलाड़ी की पहचान करें जो गंभीर चोट वाले खिलाड़ी का लाइक टू लाइक रिप्लेसमेंट होगा।
1.2.8.1.3.5 इन सभी परिस्थितियों में ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट प्लेयर’ को टॉस के समय नामित रिप्लेसमेंट में से चुने। अगर विकेटकीपर गंभीर रूप से चोटिल हो और उसे रिप्लेसमेंट की आवश्यकता हो तब मैच रेफरी नामित विकल्पों में से किसी अन्य खिलाड़ी को विकेटकीपर की अनुमति दे सकता है, बशर्ते नामित विकल्पों में कोई विकेटकीपर नहीं हो।1.2.8.2: अगर ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ की अनुमति दी जानी है तो अनुच्छेद 1.2.8.1.3.2 के तहत घटना की जानकारी के बाद ‘‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ ’ अनुरोध जल्द से जल्द बीसीसीआई मैच रेफरी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
1.2.8.3: बीसीसीआई मैच रेफरी को सामान्यतः ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ अनुरोध को तभी स्वीकृत करना चाहिए जब रिप्लेसमेंट भी समान योग्यता का खिलाड़ी हो जिसके शामिल होने से मैच के बचे भाग में उसकी टीम को अत्यधिक लाभ नहीं होगा।
(पीटीआई इनपुट से खबर)