खेल मंत्रालय ने बीते दिनों रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI)को निलंबित किया था। इसके बाद बुधवार को इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) फेडरेशन को चालने के लिए तदर्थ समिति (Ad-hoc Committee) का गठन हुआ। अब कुश्ती संघ के निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा है कि उन्हें तदर्थ समिति मंजूर नहीं है। उन्होंने कोर्ट का रुख करने का संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में कानूनी सलाह लेंगे।

इस हफ्ते की शुरुआत में रविवार, 24 दिसंबर को खेल मंत्रालय द्वारा कड़े शब्दों में लिखे पत्र के साथ नवनिर्वाचित कुश्ती संघ को निलंबित किर दिया था। इसके बाद आईओए ने डब्ल्यूएफआई की दिन-प्रतिदिन की प्रक्रियाओं पर नजर रखने के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया। भूपेन्द्र सिंह बाजवा को इसका अध्यक्ष बनाया गया। एमएम सौम्या और मंजूषा कंवर दो अन्य सदस्य हैं।

क्या कहा संजय सिंह ने

इंडिया टुडे से बातचीत में डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ने कहा कि उन्हें तदर्थ समिति मंजूर नहीं है। यदि मंत्रालय नवगठित समिति को भंग नहीं करता है तो वह कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ” मुझे तदर्थ समिति मंजूर नहीं है। मैं मंत्री से बात करूंगा और फिर भी अगर मामले का हल नहीं निकला तो कानून सलाह लूंगा।”

खेल मंत्रालय ने क्यों लिया था एक्शन?

खेल मंत्रालय ने नए भारतीय कुश्ती संघ को यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि ऐसा प्रतित होता है कि यह पूर्व पदाधिकारियों के पूरे नियंत्रण में है। गुरुवार 21 दिसंबर को नई दिल्ली में वोटिंग के बाद पूर्व राष्ट्रपति बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को नया अध्यक्ष चुना गया। चुनाव काफी देरी से हुए। वैश्विक कुश्ती संस्था (UWW) ने चुनाव कराने में विफल रहने पर भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित कर दिया था। मामला तब का है जब देश के शीर्ष पहलवानों ने बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने पूर्व प्रमुख पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।