मोबाइल कंपनी वीवो को पेप्सीको की जगह हाई प्रोफाइल इंडियन प्रीमियर लीग का नया टाइटिल प्रायोजक बनाया गया। पेप्सीको के 2017 में खत्म होने वाले पांच साल के करार के बीच से ही हटने पर यह कदम उठाना पड़ा।

ताकतवार कार्य समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करते हुए बीसीसीआई ने बयान जारी करके कहा, ‘‘आईपीएल के टाइटिल प्रायोजन अधिकार मैसर्स वीवो मोबाइल्स को दिए गए हैं। वीवा को अगले 10 दिन में बैंक गारंटी देनी होगी।’’

पेप्सीको 2013 में पांच सत्र के लिए 396 करोड़ 80 लाख रुपये की बोली लगाकर आईपीएल का टाइटिल प्रायोजक बना था। पेप्सी से पहले डीएलएफ ने 2008 से 2012 तक के अधिकार हासिल करने के लिए 200 करोड़ रुपये दिए थे।

माना जा रहा है कि 2013 में खेल को झकझोरने वाले स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के चलते पेप्सी ने आईपीएल के साथ अपना अनुबंध खत्म किया है। कंपनी ने हालांकि कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया है लेकिन पता चला है कि पेप्सीको को लगता है कि आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण ने आईपीएल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।

आईपीएल के 2013 सत्र में अंकित चव्हाण, अजित चंदीला और एस श्रीसंत को स्पाट फिक्सिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सहमालिक राज कुंद्रा पर भी सट्टेबाजी में शामिल होने के आरोप लगे थे।

बीसीसीआई ने इसके बाद तीनों क्रिकेटरों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था और उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकरण की जांच के लिए न्यायमूर्ति मुदगल समिति की नियुक्ति की थी। उच्चतम न्यायालय ने इसके बाद सजा पर फैसले के लिए न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा पैनल की नियुक्ति की थी जिसने चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स को टूर्नामेंट से दो साल के लिए निलंबित कर दिया था। दूसरी तरफ मयप्पन और कुंद्रा पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया था।

रविवार की बैठक में लिए गए अन्य फैसलों में नाईकी को भारतीय क्रिकेट टीम का पोशाक प्रायोजक बरकरार रखा गया है। बीसीसीआई ने कहा, ‘‘भारतीय क्रिकेट टीम के आधिकारिक पोशाक प्रायोजक के रूप में नाईकी के अनुबंध को बढ़ा दिया गया है।’’