भारतीय क्रिकेट के बड़े नाम राष्ट्रीय चयनकर्ता के पद के लिए आवेदन करने से अक्सर कतराते हैं और जानकारों का मानना है कि जो बनना भी चाहते हैं, उन्हें इस पद के लिए वेतन कम होने के कारण गंभीरता से नहीं लिया जाता। उत्तर क्षेत्र (North Zone) से चेतन शर्मा की जगह बीसीसीआई को तब तक कोई बड़ा नाम नहीं मिलेगा जब तक वेतन में इजाफा नहीं होता। इस क्षेत्र से दिग्गज क्रिकेटर्स की बात करें तो केवल वीरेंद्र सहवाग चयनकर्ता बनने के पात्र हैं। पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह दो बार आवेदन कर चुके हैं। शायद वह बोर्ड को भाते नहीं हैं। दूसरी बार उन्हें इंटरव्यू तक के लिए भी नहीं बुलाया गया, जबकि वह 35 टेस्ट और 59 वनडे इंटरनेशनल खेलने के अलावा कुल मिलाकर 734 विकेट ले चुके हैं।

चेतन शर्मा को फरवरी में एक स्टिंग आपरेशन के बाद पद गंवाना पड़ा। इस स्टिंग में वह भारतीय खिलाड़ियों और टीम चयन को लेकर गोपनीय जानकारी पर बात करते नजर आए थे। भारत के पूर्व ओपनर बल्लेबाज शिवसुंदर दास को उनकी जगह अध्यक्ष बनाया गया जबकि एस शरत (दक्षिण), सुब्रोतो बनर्जी (मध्य) और सलिल अंकोला (पश्चिम) चयन समिति में हैं। सीनियर चयन समिति के अध्यक्ष को एक करोड़ रुपये सालाना मिलते हैं, जबकि चार अन्य सदस्यों को 90 लाख रुपये सालाना दिए जाते हैं।

श्रीकांत से पहले नहीं मिलता था वेतन

आखिरी बार कोई बड़ा क्रिकेटर चयन समिति का अध्यक्ष था जब दिलीप वेंगसरकर (2006 से 2008) और कृष्णामाचारी श्रीकांत (2008 से 2012) ने यह जिम्मेदारी संभाली थी। वेंगसरकर का काम अवैतनिक (honorary) था, जबकि श्रीकांत के चयनकर्ता बनने के बाद से बीसीसीआई ने वेतन देना शुरू किया। मोहिंदर अमरनाथ भी चयन समिति में थे और संदीप पाटिल भी इसके अध्यक्ष रहे। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम की हार के बाद कप्तान के तौर पर एमएस धोनी के भविष्य को लेकर तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और अमरनाथ के बीच मतभेद हो गया था।

वीरेंद्र सहवाग उत्तर क्षेत्र से बड़ा नाम

इस समय उत्तर क्षेत्र से चयन समिति में शामिल किए जाने के लिए एक ही बड़ा नाम उभरता है और वह है वीरेंद्र सहवाग। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया ,‘‘प्रशासकों की समिति (CAC) के कार्यकाल के दौरान वीरू को मुख्य कोच के पद के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया। कोच बाद में अनिल कुंबले बने। अब नहीं लगता कि वह खुद से आवेदन करेंगे। इसके अलावा उनके जैसे बड़े खिलाड़ी को उसके कद के अनुरूप वेतन भी देना होगा।”

प्रमुख खिलाड़ी को चयन समिति में आने से क्यों कतराते हैं

सूत्र ने कहा, “ऐसा नहीं है कि बीसीसीआई एक चीफ सेलेक्टर को कम से कम 4-5 करोड़ रुपये नहीं दे सकता। यह हितों के टकराव के कई मुद्दों को हल कर सकता है, जो प्रमुख खिलाड़ियों को चयन समिति में आने के बारे में सोचने से भी रोकते हैं।” उत्तर क्षेत्र से अन्य दिग्गज खिलाड़ी या तो प्रसारक चैनलों से जुड़े हैं या आईपीएल टीमों से। कुछ की अकादमियां है तो कुछ कॉलम लिखते हैं। गौतम गंभीर, हरभजन सिंह और युवराज सिंह भी उत्तर क्षेत्र से है, लेकिन क्रिकेट को अलविदा कहे पांच साल पूरा होने के मानदंड पर खरे नहीं उतरते।

मनिंदर सिंह दो बार आवेदन कर चुके हैं

भारत के पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह दो बार आवेदन कर चुके हैं। पहली बार उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, लेकिन दूसरी बार नहीं। उन्होंने 35 टेस्ट में 88 और 59 वनडे में 66 विकेट लिए थे। उन्होंने अपने करियर में कुल 145 फर्स्ट क्लास और 110 लिस्ट ए मैच खेले। इसमें उन्होंने क्रमशः 606 और 128 विकेट लिए थे। अगर बीसीसीआई को नॉर्थ जोन से कोई बड़ा नाम नहीं मिलता है तो पूर्व विकेटकीपर अजय रात्रा एक विकल्प हैं। जब चेतन शर्मा की दोबारा नियुक्ति हुई तो वह अशोक मल्होत्रा, सुलक्षणा नाइक और जतिन परांजपे की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने उनका भी इंटरव्यू लिया था।

विवेक राजदान भी विकल्प

एक अन्य विकल्प विवेक राजदान हो सकते हैं, जिन्होंने पिछले दशक में बीसीसीआई पैनल कमेंटेटर के रूप में काफी घरेलू क्रिकेट देखा है। वह फिलहाल अमेरिका में छुट्टी मना रहे हैं और उन्होंने कहा, ” अगर मुझसे संपर्क किया जाता है तो मुझे दिलचस्पी होगी और भारतीय क्रिकेट की सेवा करना सम्मान की बात होगी, लेकिन मेरा मानना है कि चयनकर्ता पद के लिए तभी आवेदन करना चाहिए जब आपको आवेदन करने के लिए कहा जाए।”

क्यों है बड़े नाम की जरूरत

भारतीय क्रिकेट को लेकर अक्सर कहा जाता है कि चयन बैठकों के दौरान बड़ा नाम न होने पर चीफ सेलेक्टर का विराट कोहली, रवि शास्त्री या राहुल द्रविड़ जैसे नामों के सामने बात पर कायम रहना मुश्किल लगता है। दिग्गज पदाधिकारी ने कहा, “जब दिलीप भाई चेयरमैन थे, तो उन्हें एस बद्रीनाथ और विराट कोहली के बीच चयन करना था। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भारत ए के कुछ मैच देखे थे और उन्हें पता था कि किसे चुनना है। बाकी इतिहास है। वह ग्रेग चैपल के सामने भी अपनी बात रखते थे।”