पूर्व भारतीय बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का मानना है कि विदेशी कोच भी खिलाड़ियों के साथ भेदभाव कर सकते हैं, जैसा अक्सर भारतीय कोचों पर आरोप लगाया जाता है। उन्होंने इसके लिए ग्रेग चैपल का उदाहरण दिया और पूर्व कंगारू खिलाड़ी पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चैपल ने उन्हें कप्तान बनाने का वादा किया, लेकिन दो महीने बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया। सहवाग ने कहा कि जब वह भारतीय टीम में खेलते थे तो सीनियर्स से पूछते थे कि कोई भारतीय कोच क्यों नहीं हो सकता है। उन्हें जवाब मिला था कि पूर्वाग्रह एक बड़ा कारण है।

वीरेंद्र सहवाग ने स्पोर्ट्स नेक्स्ट इंटरव्यू पर कहा, “उन सीनियर्स ने भारतीय कोचों के साथ काफी समय बिताया था और उन्हें लगता था कि कुछ खिलाड़ी को वह पसंदीद करते थे और उनका रवैया काफी पक्षपाती हुआ करता था। जो फेवरेट नहीं होता है उसकी शामत आ जाती है। उनका मानना था कि यदि कोई विदेशी कोच आता है, तो वह सभी खिलाड़ियों के साथ वैसा व्यवहार करेगा जैसा वह चाहते हैं, लेकिन वास्तव में, यह सच नहीं है क्योंकि विदेशी कोचों के भी अपने पसंदीदा खिलाड़ी होते हैं।”

ग्रेग चैपल को लेकर क्या बोले वीरेंद्र सहवाग

वीरेंद्र सहवाग ने आगे कहा, ” विदेशी कोच भी नाम देखते हैं… तेंदुलकर हों, द्रविड़ हों, गांगुली हों या लक्ष्मण हों। जब ग्रेग चैपल आए थे तो उन्होंने पहला बयान दिया तो कहा कि सहवाग कप्तान होंगे। दो महीने में… कप्तानी तो भूल ही जाइए, मैं टीम से बाहर हो गया।” उन्होंने तब कहा कि भारतीय टीम उस स्थिति में नहीं थी, जहां उन्हें कोचिंग की जरूरत थी, बल्कि उसे बेहतर प्रबंधन की जरूरत थी।

गैरी कर्स्टन को सर्वश्रेष्ठ कोच बताया

सहवाग ने कहा कि खिलाड़ियों के साथ अच्छे संबंध वाले कोच उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को जानते थे और वे अधिक सफल रहे। इसके बाद उन्होंने गैरी कर्स्टन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “गैरी कर्स्टन सर्वश्रेष्ठ कोच थे, जो मुझे 50 गेंदें खेलने के लिए कहते थे और फिर मुझे घर या होटल वापस जाने के लिए कहते थे। राहुल द्रविड़ 200 गेंदें खेलेंगे, तेंदुलकर 300 और गंभीर 400, उन्हें पता था कि प्रत्येक खिलाड़ी को अभ्यास करने की कितनी आवश्यकता है।”