पिछले हफ्ते जब विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया। अब 36 वर्षीय दिग्गज खिलाड़ी सिर्फ वनडे फॉर्मेट में खेलता दिखेगा। पिछले साल भारत की टी20 विश्व कप जीत के बाद उन्होंने टी20 इंटरनेशनल फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि साउथ अफ्रीका में होने वाले 2027 विश्व कप में कोहली खेल पाएंगे या नहीं, लेकिन भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री का मानना ​​है कि कोहली क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद खेल से दूर हो जाएंगे और कोचिंग या कमेंट्री की भूमिका नहीं निभाएंगे।

शास्त्री ने स्पोर्टस्टार के लिए लिखे अपने कॉलम में कोहली को लेकर कहा, ” वह अभी भी वनडे में भारतीय क्रिकेट की सेवा करने के लिए मौजूद हैं, लेकिन मुझे यह भी पता है कि विराट क्रिकेट खेलने के बाद खेल से दूर चले जाएंगे। वह ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो कोच बनना या ब्रॉडकास्टर की भूमिका निभाना पसंद करेंगे। जब इंग्लैंड में भारत अपना पहला टेस्ट खेलेगा तो मुझे उनकी कमी खलेगी। वह एक चैंपियन हैं और यही वह चीज है, जिसे मैं याद रखना चाहूंगा। कभी भी कुछ हल्के में नहीं लेते थे।”

कोहली का टेस्ट करियर

कोहली ने 123 टेस्ट मैच खेलकर 9230 रन बनाए। 36 वर्षीय कोहली ने भारत के इंग्लैंड दौरे से कुछ महीने पहले टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। अपने टेस्ट करियर में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए 28 टेस्ट मैचों में कोहली ने पांच शतक और नौ अर्धशतकों सहित 1951 रन बनाए। भारतीय बल्लेबाज ने अपने करियर में इंग्लैंड के खिलाफ इंग्लैंड में दो शतक और पांच अर्धशतकों सहित 1096 रन बनाए हैं। 2014 में इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों में 134 रन बनाने के बाद 2018 में कोहली ने एजबेस्टन और ट्रेंटब्रिज में एक शतक सहित पांच टेस्ट मैचों में 593 रन बनाए।

2018 में इंग्लैंड दौरे पर कोहली का शानदार प्रदर्शन

शास्त्री ने कोहली के उस दौरे पर प्रदर्शन को लेकर कहा, “क्या आपको याद है कि उन्होंने इंग्लैंड के लिए खुद को कैसे फिर से पेश किया? 2014 के बुरे प्रदर्शन (पांच टेस्ट में 134 रन) के बाद उन्हें अपनी योग्यता पर संदेह हुआ। चार साल बाद उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अंग्रेजी आक्रमण (पांच टेस्ट में 593 रन) के साथ खिलवाड़ किया। इंग्लैंड में लंबे समय से शतक के इंतजार को खत्म करने की ओर बढ़ते हुए एजबेस्टन में संयम का परिचय दिया। उन्होंने इंग्लैंड के दिग्ग्ज जेम्स एंडरसन को अहंकार से नहीं, बल्कि धैर्य से खेला। यह मास्टरक्लास डिफेंसिव बैटिंग थी। उन्होंने उस दौरे पर महानता का मुकाम हासिल किया।”