दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी सफलता के लिए कोई टोटका अपनाते हैं। क्रिकेटर्स भी अलग नहीं हैं। पहले भी क्रिकेटर्स के अंध विश्वास और टोटके को लेकर खबरें आ चुकी हैं। हालांकि, शायद ही यह किसी को मालूम हो कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विटाट कोहली का नाम भी बहुत पहले ऐसे ही क्रिकेटरों की सूची में शामिल था। लेकिन एक व्यक्ति की सलाह के बाद उन्होंने इन सब चीजों से तौबा कर ली। जी हां, सलाह देने वाला वह शख्स कोई और नहीं बल्कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और मिस्टर कूल महेंद्र सिंह धोनी हैं।

विराट कोहली ने इंडिया टीवी के शो ‘आप की अदालत’ में यह खुलासा किया था। एंकर रजत शर्मा ने उनसे सवाल किया, ‘क्या आप दुश्मनों पर काला जादू करने के लिए कलाई में काला धागा बांधते हैं।’ इस पर विराट ने कहा, ‘मैं टोटकों पर विश्वास नहीं करता है। काला रिस्ट बैंड इसलिए बांधता हूं, क्योंकि शुरू से ही पहनता चला आ रहा हूं। वनडे की जो ब्लू यूनिफॉर्म है, उसके साथ सफेद रिस्ट बैंड नहीं पहन सकते, क्योंकि बॉल व्हाइट होती है।’

उन्होंने कहा, ‘मैं पहले अंधविश्वासी था, लेकिन उससे भी बहुत प्रेशर आता है। मतलब एक ग्लब्स है। आप उसी से खेले जा रहे हैं। जब वह फट गया तो आपको लगेगा कि अब रन नहीं बनेंगे। मैं पहले अंधविश्वासी था, लेकिन अब नहीं हूं।’ इस पर रजत शर्मा ने पूछा, ‘पहले ऐसा होता था कि जब बड़ा मैच होता था तो उससे एक दिन पहले नेट प्रैक्टिस नहीं करते थे।’

विराट ने कहा, ‘हां कभी-कभी ऐसा होता था, लेकिन जब आप ज्यादा खेलने लगते हैं तो उसके बाद आप उस दिन पर कैसा फील कर रहे हैं यह उस पर निर्भर करता है। मैच से पहले कभी आपका मन बैटिंग करने का करता है, कभी नहीं करता है। तो पहले मैं इन सब चीजों के बारे में सोचता था, लेकिन अब नहीं सोचता।’

रजत शर्मा ने पूछा, ‘कभी आपने सोचा कि आपने ये सब अंधविश्वास छोड़ दिए और आपकी परफॉर्मेंस फिर बहुत अच्छी हो गई।’ इस पर विराट कोहली ने कहा, ‘हां, इंग्लैंड में मेरे साथ हुआ। वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज में मैं बहुत सफल नहीं हुआ था, इसलिए मेरा माइंडसेट बहुत अच्छा नहीं था। मैं खुद को बहुत लो फील कर रहा था। जब इंडिया लौटा तो मुझे बैक इंजरी भी हो गई। फिर मैं बेंगलुरु (एनसीए) में 15 दिन रहा अकेले।’

विराट ने कहा, ‘बाद में जब फिट हुआ मेरा टीम में सेलेक्शन हुआ। मेरे लिए वह सीरीज बहुत अहम थी, क्योंकि इंजरी के बाद कमबैक करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उस सीरीज में मैंने पहले मैच में रन बनाए, फिर अगले तीन मैच में रन नहीं बन पाए। मैं थोड़ा डिप्रेस हो गया। इस पर एमएस धोनी ने बुलाकर बात की। उनको लगा कि मूड ठीक नहीं लग रहा है।’

कोहली ने बताया, ‘उन्होंने पूछा कि क्या प्रॉब्लम है। तब मैंने बताया कि ऐसा-ऐसा मेरा माइंडसेट है। तब उन्होंने बोला कि किसी चीज के बारे में मत सोचो। सिर्फ जाकर खेलो।’ विराट ने कहा, ‘हमारा आखिरी वनडे मैच कार्डिफ में था। तो उस मैच में मैं नया रिस्ट बैंड, नए ग्लब्स, नए पैड, नया बैट मतलब सबकुछ नया, जिससे मैं एक बार भी नहीं खेला था, उसके साथ मैं क्रीज पर उतरा और उस मैच में मैंने सेंचुरी बनाई। उसके बाद से मैंने बिल्कुल सोचना बंद कर दिया कि इन सब चीजों से कोई फर्क पड़ता है।’