खेल पंचाट यानी CAS (कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स) ने विनेश फोगाट की अपील खारिज कर दी। उन्हें पेरिस ओलंपिक में सिल्वर मेडल नहीं मिलेगा। पेरिस ओलंपिक में महिला कुश्ती के 50 किग्रा भार वर्ग के फाइनल से पहले विनेश फोगाट ने वजन घटाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन 100 ग्राम से चूक गईं। पेरिस गेम्स में विनेश फोगाट के कोच रहे वोलर अकोस ने खुलासा किया है कि वजन घटाने के लिए विनेश ने फाइनल से पहले रात में साढ़े पांच घंटे से ज्यादा प्रयास किया। वोलर अकोस ने यह भी बताया कि एक समय तो ऐसा लगा था कि वह मर जाएंगी।

विनेश फोगाट के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे हंगरी के पहलवान वोलर अकोस ने गुरुवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि टीम ने दूसरे दिन के वजन मापने से पहले हरसंभव कोशिश की ताकि पहलवान स्वर्ण पदक मुकाबले के लिए मैट पर उतर सके। हंगरी में एक फेसबुक पोस्ट में वोलर अकोस ने विनेश फोगाट की अपना पहला ओलंपिक पदक हासिल करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। हालांकि, वोलर अकोस ने बाद में यह पोस्ट हटा ली।

वोलर अकोस ने लिखा, ‘सेमीफाइनल के बाद, 2.7 किग्रा अतिरिक्त वजन बचा था; हमने एक घंटे और बीस मिनट तक व्यायाम किया, लेकिन 1.5 किग्रा अभी बचा हुआ था। बाद में, 50 मिनट के सॉना बाथ के बाद, उसके शरीर पर पसीने की एक बूंद भी नहीं दिखी। कोई विकल्प नहीं बचा था, और आधी रात से सुबह 5:30 बजे तक, उसने अलग-अलग कार्डियो मशीनों और रेसलिंग मूव्स पर काम किया।’

वोलर अकोस ने लिखा, ‘एक बार में लगभग तीन-चौथाई घंटे फिर 2-3 मिनट के आराम लेने के बाद फिर से शुरू कर देना। वह गिर गई, लेकिन किसी तरह हमने उसे उठाया और उसने सॉना बाथ में एक घंटा बिताया। मैं जानबूझकर ड्रामेटिक डिटेल्स नहीं लिखता, लेकिन मुझे सिर्फ इतना याद है कि एक समय लगता था कि वह मर सकती है।’

कोच वोलर अकोस ने लिखा कि हालांकि विनेश फोगाट अयोग्य घोषित होने के बाद रो पड़ी थीं, लेकिन उन्होंने शालीनता दिखाई। अकोस ने बताया, ‘उस रात अस्पताल से लौटते समय हमारी एक दिलचस्प बातचीत हुई। विनेश फोगाट ने कहा- ‘कोच, दुखी मत होइए क्योंकि आपने मुझसे कहा था कि अगर मैं खुद को किसी मुश्किल स्थिति में पाती हूं और मुझे अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो मुझे यह सोचना चाहिए कि मैंने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला पहलवान (जापान की यूई सुसाकी) को हराया है। मैंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया, मैंने साबित कर दिया कि मैं दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक हूं। हमने साबित कर दिया है कि गेमप्लान काम करते हैं। पदक, पोडियम सिर्फ वस्तुएं हैं। प्रदर्शन को नहीं छीना जा सकता।’

गंगा में पदक नहीं बहाना चाहती थीं विनेश फोगाट: कोच

विनेश फोगाट ओलंपिक पदक को कितना महत्व देती हैं, इस पर जोर देते हुए कोच ने पिछले साल रेसलिंग प्रोटेस्ट को याद किया, जब उन्होंने बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक (दोनों ओलंपिक पदक विजेता) के साथ हरिद्वार में गंगा में अपने पदक विसर्जित करने का फैसला किया था। अकोस ने कहा, ‘विनेश ने साक्षी और बजरंग से अपनी मेहनत से अर्जित ओलंपिक पदक नदी में न डालने की विनती की थी। उसने उनसे विनती की कि वे उन्हें अपने पास रखें क्योंकि वे खास थे। लेकिन उन्होंने (बजरंग और साक्षी) उसे समझाया कि यात्रा महत्वपूर्ण थी और उनका प्रदर्शन पदकों से परिभाषित नहीं था।’