मनीष कुमार जोशी

खेल हमेशा शांति और भाईचारे का संदेश देते है जबकि जंग हमेशा खेलों को बुरी तरह से प्रभावित करती है। जंग खेलों को असहाय करती है। वर्तमान में रूस और यूक्रेन की जंग में मानवता तो शर्मसार हो ही रही है लेकिन खेल भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे है और यह प्रभाव इतना गहरा है कि बरसों तक खेलों को इस दुष्प्रभाव से निकलने में संघर्ष करना पड़ेगा।

यूक्रेन और रूस में टेनिस और शतरंज लोकप्रिय खेल है परन्तु जंग के बाद खासकर यूक्रेन में खेलो की वापसी के लिए एक लंबा वक्त लगेगा हालांकि खेल और उससे जुड़े खिलाड़ी अभी भी शांति का संदेश दे रहे हैं। एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं है जो जंग का समर्थन कर रहा हो। सभी शांति की अपील कर रहे हैं परन्तु इन देशों में ही नहीं पूरी दुनिया में इस जंग से खेल प्रभावित हो रहे है।

रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने के बाद दुनिया के कई देशो और खेल संगठनों ने खेल आयोजनों पर रोक लगा दी है। रूस में होने वाले लगभग सभी टूर्नामेंट रोक दिए गए हैं या स्थगित कर दिए गए हैं। यूईएफए ने चैपियंस ली के फाइनल को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से पेरिस स्थानान्तरित कर दिया है। यूरोपीय फुटबाल सीजन का फाइनल अभी भी 28 मई को ही होगा लेकिन अब यूईएफ की कार्यकारी समिति के फैसले के बाद यह फ्रांस में होगा। फार्मूला वन ने इस सीजन के सोची में रूसी ग्रैंड प्रिक्स को स्थगित कर दिया है। पोलैंड के फुटबाल एसोसिएशन ने कहा है कि पोलैंड रूस के खिलाफ विश्व पात्रता मुकाबला नहीं खेलेगा जिसका कई देशों ने समर्थन किया है।

रूस और यूक्रेन की जंग के बीच अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने रूस का खुला विरोध किया है। इस जंग को देखते हुए आइओसी ने सभी अंतरराष्ट्रीय खेल संघों को रूस या बेलारूस में वर्तमान में नियोजित अपने खेलो आयोजनों को स्थानान्तरित करने या रद करने को कहा है। टेनिस और शतरंज के कई खिलाड़ियों के लिए यह जंग परेशानी पैदा करने वाली है।

इस जंग में फंसे खिलाड़ी न तो किसी टूर्नामेंट में भाग ले पाएंगे ओर अभ्यास से भी दूर हो जाएंगे। जंग यदि ज्यादा बढ़ती है तो हमलों में स्टेडियम भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। जंग के बाद भी सामान्य स्थिति बहाल करने में काफी वक्त लग सकता है। ऐसे में रूस और यूक्रेन के अलावा आस पास के देशों में भी खेल बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं।

प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ओलंपिक और अन्य खेल आयोजन नहीं हुए थे। जहां ये युद्ध लड़े गए थे वहां खेलों को सुचारू करने में लंबा वक्त लग गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान को उबरने में काफी वक्त लगा था। ऐसा ही कुछ यूक्रेन के साथ हो सकता है। यूक्रेन के खेल जितने प्रभावित होंगे उतने रूस के खेल भी प्रभावित हो सकते हैं।

कई देश इस जंग के बाद रूस के साथ खेलने से इनकार कर सकते हैं। पूर्व में इस प्रकार की जंग के बाद ऐसे परिणाम देखने को मिले हैं। ओलंपिक में इस प्रकार के बहिष्कार देखने को मिले हैं। जब इस प्रकार के बहिष्कार होते हैं तो खेल अपना असली स्वरूप खो देते हैं। एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का अभाव हो जाता है। फिर खेल न होकर वे जंग में किसी पक्ष की सेना का प्यादा बन जाता है।

जंग के दौरान खेल अपने स्तर पर कुछ नहीं कर सकते हैं। वे पूरी तरह से असहाय नजर आते हैं। फिर भी पूरी दुनिया में खेल और खिलाड़ी अपने स्तर पर जंग रोकने का प्रयास कर रहे हैं। कहीं खेल आयोजनों को स्थगित करें और कहीं जंग कर रहे देशों का बहिष्कार करके। खिलाड़ी भी अपने स्तर पर शांति की अपील कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात शांति की सबसे ज्यादा अपील रूसी खिलाड़ी कर रहे हैं।

रूस के टेनिस खिलाड़ी एंड्रे रूबलेव ने दुबई चैम्पियनशिप के फाइनल के समय टीवी कैमरे के सामने नो वार प्लीज लिखकर जंग करने वालों को बड़ा संदेश दिया। टेनिस की दुनिया के नबर वन रूसी खिलाड़ी डेनियल मेदवेदव का कहना है कि एक टेनिस खिलाड़ी के रूप में वे पूरी दुनिया में शांति को बढ़ावा देना चाहते हैं।

आइओसीसी ने भी शांति की अपील की है। खेल और खिलाड़ी पूरी दुनिया में शांति की अपील कर रहे हंै। कुल मिलाकर खेल जगत पूरी तरह से जंग के विरोध में है और अपनी तरफ से जितने प्रयास किए जाने चाहिए, कर रहा है। इस संबध में संबध में शांति की अपील और आयोजन रोकने व स्थगित करने के प्रयास शामिल हैं। जंग में कई टेनिस और शतरंज के खिलाड़ी फंसे हुए हैं और वे अपने टूर्नामेंट में भाग नहीं ले पा रहे हैं।