अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आइएसएसएफ) ने विश्व कप और ओलंपिक सहित अन्य बड़ी खेल प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक के लिए फाइनल्स में सबसे अधिक अंक जुटाने वाले दो निशानेबाजों के बीच मुकाबले के एक अतिरिक्त चरण को हटा दिया है और पुराने प्रारूप को बहाल किया है।

आइएसएसएफ ने 2020 तोक्यो ओलंपिक खेलों के बाद पिस्टल और राइफल निशानेबाजी में विजेता का फैसला करने के लिए फाइनल में अतिरिक्त चरण की शुरुआत की थी।आइएसएसएफ अब फिर से पुरानी एलिमिनेशन प्रणाली पर वापस चला गया है जहां सर्वश्रेष्ठ स्कोरर को स्वर्ण पदक मिलेगा। शीर्ष दो निशानेबाज अब स्वर्ण पदक के लिए अलग से प्रतिस्पर्धा ाहीं करेंगे। यह परिवर्तन बाकू (8-15 मई) में आइएसएसएफ पिस्टल/राइफल विश्व कप से प्रभावी होगा और पेरिस में 2024 ओलंपिक खेलों के दौरान भी इसका पालन किया जाएगा।

खेल को और अधिक दर्शकों के अनुकूल बनाने के लिए 2020 तोक्यो ओलंपिक के बाद फाइनल के लिए अंकों का एक नया प्रारूप पेश किया गया था जहां पहले की एलिमिनेशन प्रक्रिया की जगह दो सर्वाधिक अंक जुटाने वाले निशानेबाजों के बीच स्वर्ण पदक के लिए मुकाबला होता था। पहले 16 अंकों तक पहुंचने वाले निशानेबाज को विजेता घोषित किया जाता था।

यह प्रणाली भोपाल में हाल ही में समाप्त हुए आइएसएसएफ पिस्टल/राइफल विश्व कप तक लागू थी। आइएसएसएफ ने क्वालीफिकेशन दौर में कोई बदलाव नहीं किया है जहां से सबसे ज्यादा स्कोर करने वाले आठ निशानेबाज फाइनल में जगह बनाते हैं। फाइनल के लिए प्रारूप में बदलाव करके आइएसएसएफ ने न केवल अंक प्रणाली को सरल बनाया है बल्कि दर्शकों के लिए भी मुकाबले को समझना आसान कर दिया है।

नवीनतम प्रारूप के अनुसार फाइनल में सभी आठ निशानेबाजों को पांच शाट की दो सीरीज मिलेंगी। इसके बाद 14 एकल मैच शाट होंगे जहां आठ फाइनलिस्टों में सबसे कम अंक प्राप्त करने वाला निशानेबाज 12वें शाट के बाद बाहर हो जाएगा और यह प्रक्रिया हर दो शाट पर तब तक जारी रहेगी जब तक कि पदक विजेताओं का फैसला नहीं हो जाता। विजेता का फैसला करने के लिए फाइनल में कुल 24 शाट दागे जाएंगे।

भारत के राइफल कोच और हाई परफार्मेंस मैनेजर दीपक दुबे ने कहा कि पिस्टल और राइफल टीम को नए नियमों से अवगत करा दिया गया है और वे नए नियम को ध्यान में रखते हुए बाकू में होने वाले विश्व कप के लिए ट्रेनिंग करेंगे। राष्ट्रीय ट्रायल के लिए भोपाल में मौजूद दुबे ने कहा, ‘ये नए (नियम) बदलाव तकनीकी नहीं हैं इसलिए निशानेबाजों को अपनी तकनीक में कोई बड़ा बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है।

समय में केवल कुछ बदलाव की आवश्यकता होगी जो आसानी से किया जा सकता है और इस महीने के अंत में दिल्ली में राष्ट्रीय शिविर के दौरान हम इस पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि हम बाकू विश्व कप से पहले नए प्रारूप से काफी परिचित होंगे। हम राष्ट्रीय ट्रायल में नए प्रारूप को पूरी तरह से लागू करेंगे।

दुबे ने कहा कि एकमात्र बदलाव जो मैंने देखा (आइएसएसएफ नियम पुस्तिका में), वह यह था कि स्वर्ण पदक विजेता का फैसला करने के लिए अतिरिक्त दौर को समाप्त कर दिया गया है जहां प्रतियोगिता में शेष बचे शीर्ष दो निशानेबाजों को फिर से स्वर्ण के लिए मुकाबला करना पड़ता था और सबसे पहले 16 अंक तक पहुंचने वाला चैंपियन बनता था। बाकी सब कुछ समान है।